Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: बिहार चुनाव में NDA की जीत की असली गेमचेंजर योजना, असम CM हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा रोल
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की बड़ी जीत का सबसे बड़ा गेमचेंजर ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को माना जा रहा है, जिसके तहत चुनाव से पहले 1.5 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये की पहली किस्त मिली. इस योजना की रूपरेखा तैयार करने में असम CM हिमंत बिस्वा सरमा और उनकी टीम की निर्णायक भूमिका रही, जिन्होंने ‘जीविका 10 हजार मॉडल’ को बिहार सरकार के सामने प्रस्तुत किया. RJD की ‘मां बहन मान’ योजना और विपक्ष के दबाव के बीच NDA को महिलाओं के बीच मजबूत पकड़ दिलाने में यह स्कीम निर्णायक साबित हुई.
Bihar Election 2025, NDA Victory, Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की भारी जीत का श्रेय जिन कारणों को दिया जा रहा है, उनमें सबसे प्रमुख मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना है. यह वही योजना है, जिसके तहत चुनाव से ठीक पहले 1.5 करोड़ महिलाओं के खातों में पहले किस्त के रूप में 10,000 रुपये भेजे गए थे. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस योजना ने महिला मतदाताओं के बीच NDA की पकड़ को मजबूत किया.
NDA नेताओं का मानना है कि इस योजना की अवधारणा को आकार देने में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की भूमिका बेहद अहम रही. सरमा ने खुद बताया कि बिहार सरकार के अनुरोध पर उन्होंने लगभग पांच महीने पहले अपने अधिकारियों की टीम पटना भेजी थी. इस टीम ने उस समय के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और मौजूदा मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के सामने ‘जीविका 10 हजार मॉडल’ की प्रस्तुति दी, जिसे बाद में नई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में शामिल किया गया.
'सामूहिक विचार-विमर्श' का परिणाम थी योजना
JD(U) नेताओं ने सरमा की भूमिका स्वीकार की है, हालांकि उनका कहना है कि योजना 'सामूहिक विचार-विमर्श' का परिणाम थी. सरमा ने The Indian Express से कहा कि यह मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न, '3 करोड़ लाखपति दीदी' से प्रेरित था. सरमा ने यह भी दावा किया कि मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना भी असम की अरुनोदय योजना से प्रेरित थी.
असम टीम की प्रस्तुति में यह सुझाव दिया गया कि महिलाओं को 10,000 रुपये गैर-वापसी योग्य सीड मनी के रूप में दिए जाएं ताकि वे कोई छोटा कारोबार शुरू कर सकें. इसके बाद बिहार के अधिकारियों ने योजना को विस्तृत करते हुए इसमें 2 लाख रुपये तक का अतिरिक्त वित्तीय सहयोग जोड़ दिया, जो किश्तों में कारोबार की व्यवहार्यता के आधार पर दिया जाएगा.
नीतीश कुमार की कोर वोटबैंक मानी जाती हैं महिलाएं
JD(U) के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, RJD नेता तेजस्वी यादव के ‘मां बहन मान योजना’ के ऐलान के बाद NDA महिला-केंद्रित मजबूत मॉडल की तलाश में था. तेजस्वी ने हर महिला को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था, जिससे NDA खेमे में चिंता बढ़ गई थी, क्योंकि महिलाएं लंबे समय से नीतीश कुमार की कोर वोटबैंक मानी जाती हैं.
नीतीश सरकार पर दबाव बना रहा था विपक्ष
उधर, विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर दबाव बना रहा था, जिसने 2023 में जाति आधारित सर्वेक्षण के बाद घोषणा की थी कि 94,000 अत्यंत गरीब परिवारों के प्रत्येक सदस्य को 2 लाख रुपये वार्षिक सहायता दी जाएगी, लेकिन यह वादा अधूरा रह गया.
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने क्या कहा?
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया, '10 हजार योजना', जिसे प्रचार के दौरान लोग ‘दस हज़ारी’ कहने लगे, वास्तव में बिहार की ही एक पुरानी योजना, सतत जीविकोपार्जन योजना, का विस्तृत रूप है.. इस योजना में पहले ताड़ी कारोबार छोड़ने वाले लोगों को 10,000 रुपये दिए जाते थे और बाद में 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता... महिला रोजगार योजना इसी मॉडल का सार्वभौमिक संस्करण है.
'योजना का श्रेय केंद्र सरकार को भी जाता है'
BJP प्रवक्ता कुमकुम भारद्वाज ने दावा किया कि इस योजना का श्रेय केंद्र सरकार को भी जाता है, क्योंकि जीविका समूहों को फंडिंग का आधार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) है। उनके अनुसार, जन-धन योजना ने महिलाओं के लिए आर्थिक समावेशन का रास्ता खोला और NRLM ने इसे मजबूत आधार दिया.
, विपक्ष ने 'दस हज़ारी' योजना के समय पर उठाए सवाल
इस बीच, विपक्ष ने 'दस हज़ारी' योजना के समय पर सवाल उठाए हैं. चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले 1.21 करोड़ महिलाओं को रकम दी गई, जबकि 30 लाख महिलाओं को भुगतान चुनाव घोषित होने के बाद हुआ. जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि सरकारी मशीनरी और जीविका समूहों का इस्तेमाल 'मतदाताओं को लुभाने' के लिए किया गया. उनके अनुसार, हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 60,000 महिलाओं को 10,000 रुपये दिए गए और 2 लाख के लोन का वादा किया गया, जिसमें यह संदेश दिया गया कि यह लाभ केवल NDA की जीत पर ही जारी रहेगा.





