हाथ में दादी की तस्वीर, गले में पीला गमछा, सियासी बाजार में अकेला खड़ा तेजप्रताप, बेबसी बता रही लालू के लाल की कहानी
Bihar Chunav 2025: जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव की सियासी तस्वीर इन दिनों बहुत कुछ खुद ब खुद बहुत कुछ बताने लगी है. दरअसल, आजकल तेजप्रताप सियासी बाजार में जहां भी खड़े होते हैं, उनके हाथ में दादी की फोटो, गले में पीला गमछा और चेहरे पर सियासी अकेलापन झलकता रहता है. ऐसा हो भी क्यों नहीं! लालू यादव के लाल उत्तराधिकार की लड़ाई में खुद को साबित करने की जद्दोजहद में जो जुटे हैं.

Bihar Chunav Tej Pratap Yadav News: बिहार की राजनीति में कभी ‘लालू के बड़े लाल’ के नाम से मशहूर तेजप्रताप यादव अब अपनी अलग पहचान गढ़ने की जद्दोजहद में जुटे हैं. एक वक्त था जब आरजेडी की राजनीति में उनकी मौजूदगी सुर्खियों में रहती थी. मगर अब वे पार्टी से दूरी बनाकर अपनी राह खुद चुनते दिखाई दे रहे हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें ( हाथ में दादी की तस्वीर और गले में पीला गमछा) काफी चर्चा में हैं, जो एक इमोशनल और सियासी संदेश देती नजर आती है.
हाल ही में वायरल हुई तेजप्रताप यादव की एक तस्वीर में वे अपनी दादी (लालू प्रसाद यादव की मां मरछिया देवी) की तस्वीर हाथ में लिए नजर आते हैं. यह फोटो न सिर्फ उनकी निजी भावनाओं का प्रतीक है बल्कि यह एक ‘रूट्स से जुड़ने’ का संदेश भी देती है. तेज प्रताप अपने पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के सहारे राजनीतिक जमीन दोबारा मजबूत करने की कोशिश में हैं.
गले में पीला गमछा असली पहचान
तेजप्रताप का पीला गमछा अब उनकी पहचान बन चुका है. वे इसे 'आध्यात्मिक और क्रांति का प्रतीक' बताते हैं. वे अक्सर अपने भाषणों और पोस्ट्स में कहते हैं कि यह गमछा 'जनता की आवाज और धर्मनिष्ठ राजनीति' का प्रतीक है. यह उनकी सियासी शैली को बाकी नेताओं से अलग बनाता है.
राजनीतिक अलगाव या रणनीति?
आरजेडी में फिलहाल तेजस्वी यादव ही पार्टी का चेहरा बने हुए हैं. जबकि तेज प्रताप को हाशिए पर चले गए हैं. वे कई बार अपने बयानों में इस दूरी का इशारा दे चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तेज प्रताप का 'अकेलापन' दरअसल उनकी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. जहां वे खुद को 'जनता का नेता' साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, न कि सिर्फ परिवार की राजनीति का वारिस.
आध्यात्मिक छवि के सहारे खुद को कर रहे मजबूत
तेजप्रताप ने हाल के वर्षों में अपनी आध्यात्मिक छवि को मजबूत किया है. वे कृष्ण भक्ति, योग और वेदांत पर आधारित जीवनशैली अपनाने की बात करते हैं. उनका कहना है, “राजनीति सेवा है, साधना है, और मैं इसे ईश्वर की प्रेरणा से निभा रहा हूं.”
फ्यूचर पॉलिटिक्स का संकेत
तेजप्रताप की यह भावनात्मक और प्रतीकात्मक छवि इस बात का संकेत है कि वे अब अपनी राजनीति को 'भावनाओं और संस्कृति' के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. यह उन्हें युवा मतदाताओं और ग्रामीण भावनाओं से जुड़ने में मदद कर सकती है.
विरासत की लड़ाई, दो भाइयों की बिसात
लालू परिवार की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि यह एक ऐसी रणनीति है जो उन्हें अपने छोटे भाई तेजस्वी से सियासी रूप से अलग पहचान देने में मदद कर सकती है. एक समय था जब लालू परिवार की राजनीति में तेजस्वी और तेज प्रताप एक साथ मंच साझा करते थे. अब तस्वीरें और भाषण दोनों ही कुछ और कहानी कह रहे हैं. तेजस्वी की राजनीति आधुनिक रणनीति, गठबंधन की मजबूती और सत्ता की ओर व्यवस्थित बढ़त पर केंद्रित है. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल को गठबंधन की राजनीति में एक स्थिर चेहरा बनाया और खुद को 'मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार' के रूप में स्थापित किया.
ठीक इसके उलट तेज प्रताप की राजनीति प्रतीकवाद, भावनाओं और 'लालू की विरासत के असली उत्तराधिकारी' की छवि गढ़ने पर केंद्रित है. भगवा दुपट्टा, पारंपरिक लिबास, धार्मिक प्रतीकों और दादी की तस्वीर- ये सब उनके अभियान को एक ‘अपनी अलग राह’ का रंग दे रहे हैं.