महाकुंभ से लेकर वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर तक... 2025 कैसे बना भगदड़ का साल? 8 जगहों पर 129 लोगों ने गंवाई जान
2025 में भारत में मंदिरों, रेलवे स्टेशनों और राजनीतिक रैलियों में हुई भगदड़ से अब तक 129 लोगों की मौत हो चुकी है. कई घटनाओं में भीड़ प्रबंधन की भारी कमी और प्रशासनिक लापरवाही सामने आई. धार्मिक आस्था, राजनीतिक भीड़ और जश्न के मौकों पर सुरक्षा इंतजाम नाकाफी साबित हुए. दो मिनट की अफरातफरी ने सैकड़ों परिवारों को हमेशा के लिए तबाह कर दिया.
Stampedes India 2025: भारत में 2025 का साल भारी भीड़ और भगदड़ की दर्दनाक घटनाओं से दहशत भरा रहा है. धार्मिक स्थलों से लेकर राजनीतिक रैलियों और रेलवे स्टेशनों तक, जहां भी भीड़ जुटी, वहां सुरक्षा इंतज़ाम नाकाफी साबित हुए. अब तक देश में आठ बड़ी भगदड़ की घटनाओं में 129 लोगों की मौत हो चुकी है. दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश में धार्मिक आयोजनों और बड़े समारोहों में उमड़ने वाली भीड़ कई बार प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर भारी पड़ जाती है.
1- आंध्र प्रदेश मंदिर भगदड़ (1 नवंबर) - 9 मौतें
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एकादशी दर्शन के दौरान संकीर्ण रास्ते से प्रवेश व निकासी और भीड़ का भारी दबाव भगदड़ में बदल गया, जिससे 8 महिलाओं समेत 9 लोगों की मौत हो गई. घायल और बचे लोगों ने मंदिर प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया.
2- करूर राजनीतिक रैली भगदड़ (27 सितंबर)- 41 मौतें
तमिलनाडु के करूर में तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) प्रमुख विजय की रैली के दौरान 10 हजार की क्षमता वाले मैदान में 30 हजार से अधिक लोग पहुंचे, जिससे भगदड़ मच गई और 41 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए. विजय का देर से पहुंचना भी हादसे का कारण बना. 3 अक्टूबर को चेन्नई हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार की एकल पीठ ने इस घटना को 'एक बड़ी मानव निर्मित आपदा' बताया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की सीबीआई से जांच कराने का निर्देश दिया.
3- हरिद्वार मंदिर भगदड़ (27 जुलाई)- 9 मौतें
हरिद्वार के मंसा देवी मंदिर में 27 जुलाई को एक अफवाह, बिजली का करंट लगा है, से अचानक भगदड़ मच गई. इस दौरान एक बच्चे समेत 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 30 लोग घायल हो गए. इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.
4- बेंगलुरु RCB सेलिब्रेशन (4 जून) - 11 मौतें
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु यानी RCB के आईपीएल ट्रॉफी जीतने की खुशी में आयोजित जश्न में लगभग 3 लाख लोग इकट्ठा हुए.इस दौरान अफरातफरी मचने से 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 अन्य घायल हो गए. कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में आरसीबी को इसका जिम्मेदार ठहराया.
5- गोवा मंदिर भगदड़ (3 मई) - 6 मौतें
उत्तरी गोवा के शिरगाओ में 3 मई को लैऱाई देवी जात्रा यात्रा के दौरान भगदड़ मचने से 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 अन्य घायल हो गए. भगदड़ तब शुरू हुई, जब एक भक्त ने अपनी बेंत से बल्ब को छुआ, जिससे करंट लग गया और वह पास के अन्य लोगों पर गिर गया. घटना के समय मंदिर में 50 हजार से 70 हजार के करीब लोग मौजूद थे.
6- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ (15 फरवरी) - 18 मौतें
15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी अफरातफरी के बीच हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें चार बच्चे भी शामिल थे. बड़ी संख्या में यात्री प्रयागराज में महाकुंभ मेले के लिए ट्रेन पकड़ने पहुंचे थे, जहां कथित अव्यवस्था और भीड़ के दबाव ने स्थिति को बेहद भयावह बना दिया. रिपोर्ट्स के अनुसार शाम 6 बजे के बाद से भीड़ तेजी से बढ़ी और रेलवे रिकॉर्ड के मुताबिक 7,600 अनारक्षित टिकट लगभग 1,500 टिकट प्रति घंटे की दर से बेचे गए. दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म 16 पर आने की घोषणा से हड़कंप मच गया, जबकि ट्रेन पहले से ही प्लेटफॉर्म 14 पर खड़ी थी, जिससे लोग गलत दिशा में भागने लगे. इसके अलावा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि एक यात्री का भारी सामान सीढ़ियों पर गिर गया था, जिससे कई लोग ठोकर खाकर गिर पड़े और भगदड़ का रूप ले लिया.
7- प्रयागराज कुंभ भगदड़ (29 जनवरी) - 30 मौतें
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम क्षेत्र में महाकुंभ मेले के दौरान हुई भीषण भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए. यह हादसा तड़के उस समय हुआ जब मौनी अमावस्या के पावन स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु नदी तट की ओर उमड़ पड़े. भारी भीड़ ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए और संकरी पट्टी की ओर दौड़ पड़ी, जिसके चलते कई लोग कुचले गए. घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया गया.
8- तिरुपति मंदिर भगदड़ (9 जनवरी)- 6 मौतें
आंध्र प्रदेश के तिरुमला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शन के टिकट लेने के दौरान मची भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की जान चली गई. बड़ी संख्या में भीड़ जमा होने, लंबा इंतज़ार और अचानक गेट खुलने से अफरा-तफरी मच गई. घटना पर दुख जताते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के बोर्ड सदस्य भानु प्रकाश ने माफी मांगी और श्रद्धालुओं से क्षमा याचना की.
इन घटनाओं ने साफ किया कि भीड़ नियंत्रण सिस्टम नाकाफी है. सुरक्षा प्लानिंग में बड़ी चूक हुई. अफवाह और पैनिक सबसे बड़ा खतरा है. धार्मिक भीड़ और राजनीतिक इवेंट में तैयारी कमजोर रही. भगदड़ों में 130 के करीब लोगों की जान जा चुकी है, और सरकारों के लिए यह चेतावनी है कि भीड़ प्रबंधन राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा बनना चाहिए.





