ये भगवान की लीला... आंध्र प्रदेश वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ पर बोले मंदिर बनाने वाले, 10 लोगों की गई थी जान
आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एकादशी के दिन हुई भगदड़ में कम से कम 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. हादसे के बाद मंदिर बनाने वाले 95 वर्षीय हरिमुकुंद पांडा ने इसे “भगवान की मर्जी” बताया. पांडा, जो ओडिशा के एक राजपरिवार से आते हैं, ने चार साल पहले ₹10 करोड़ की लागत से यह मंदिर बनवाया था.
आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एकादशी के दिन मची भगदड़ में कम से कम 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई घायल हो गए. हादसे के बाद मंदिर के निर्माता, 95 वर्षीय हरिमुकुंद पांडा ने इसे “भगवान की मर्जी” बताया है.
पांडा ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी संख्या में लोग मंदिर में उमड़ पड़ेंगे. “हर दिन तीन से चार हजार भक्त आते हैं, दर्शन करते हैं और शांति से चले जाते हैं. लेकिन शनिवार को अचानक बहुत भीड़ आ गई. किसी ने पुलिस को नहीं बताया, किसी ने रोका नहीं. सब एक साथ आ गए, बस भगदड़ मच गई,” उन्होंने तेलुगू मीडिया से कहा.
‘भगवान की लीला थी, किसी की गलती नहीं’ - हरिमुकुंद पांडा
हरिमुकुंद पांडा, जिन्होंने करीब चार साल पहले यह मंदिर बनवाया था, ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “किसी की कोई गलती नहीं है, यह भगवान की लीला थी.” हालांकि, इस हादसे की जांच के लिए पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है. पांडा का कहना है कि उन्होंने यह मंदिर अपनी निजी जमीन पर ₹10 करोड़ की लागत से बनवाया था. वे मूल रूप से ओडिशा के एक राजपरिवार से आते हैं और उनके पास लगभग 50 एकड़ जमीन है, जिसमें से 12 एकड़ पर यह भव्य मंदिर बना है. उन्होंने बताया कि मंदिर बनाने का विचार उन्हें तब आया जब वे तिरुमला श्रीवारी मंदिर गए थे और वहां भारी भीड़ के कारण उन्हें धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा था.
हादसे की वजह: ‘बंद प्रवेश द्वार और गलतफहमी’
आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि सुबह करीब 11:30 बजे अचानक अत्यधिक भीड़ उमड़ पड़ी. “एंट्री गेट पर बहुत दबाव था, इसलिए उसे अस्थायी रूप से बंद किया गया. लेकिन लोगों ने सोचा कि वे एक्ज़िट गेट से अंदर जा सकते हैं. इससे घुटन और भगदड़ की स्थिति बन गई,” लोकेश ने कहा.
उन्होंने बताया कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर सीढ़ियां थीं, और ऊपर खड़े एक व्यक्ति के गिरने से नीचे तक ‘कैस्केडिंग इफेक्ट’ हुआ - लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए. “क्यू मैनेजमेंट करने वाले तैयार नहीं थे. ज़्यादातर मृतक महिलाएं हैं,” मंत्री ने बताया.
‘रियल टाइम गवर्नेंस ग्रुप’ से चला बचाव अभियान
नारा लोकेश ने कहा कि हादसे की जानकारी मिलते ही उन्होंने स्थानीय विधायक, मंत्री और रियल टाइम गवर्नेंस व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए त्वरित राहत कार्य शुरू किया. “हमने गृह मंत्री और आपदा प्रबंधन मंत्री से तुरंत संपर्क किया और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करवाया. हमने जितनी संभव हो सकें उतनी ज़िंदगियां बचाने के लिए पूरी कोशिश की,” उन्होंने कहा.
भीड़, आस्था और जिम्मेदारी पर सवाल
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हादसे ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था कितनी अपर्याप्त है. हरिमुकुंद पांडा के शब्दों में - “मैं हमेशा लोगों से कहता था कि सावधानी से जाएं, दर्शन करें और लौट जाएं. लेकिन आज कुछ अलग हुआ… शायद भगवान की मर्जी थी.”





