अपनी डफली-अपना राग... वक्फ बिल को लेकर सरकार के साथ रहेगी जेडीयू-टीडीपी?
वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू और टीडीपी का रुख स्पष्ट नहीं है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. सरकार को लोकसभा में बहुमत के लिए इन सहयोगी दलों के समर्थन की जरूरत होगी. विपक्ष इस बिल को मुस्लिम विरोधी बता रहा है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता लाने वाला कदम कह रही है. संसद में इस मुद्दे पर तीखी बहस होने की संभावना है.

वक्फ संशोधन बिल को दो अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया है. हालांकि, विपक्ष इसे लेकर 12 घंटे चर्चा की मांग कर रहा है, जिससे इस बिल पर जोरदार बहस होने की संभावना है. सरकार इस बिल को दोनों सदनों में पास कराने के लिए फ्लोर मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित कर रही है. ऐसा लग रहा है कि इसे पास कराने में कोई खास मुश्किल नहीं आएगी.
इस बिल के समर्थन में कुछ दल खड़े हैं, जबकि अन्य इसका विरोध कर रहे हैं. इसके समर्थन में आने वाले दलों का मानना है कि यह वक्फ संस्थाओं के प्रबंधन में सुधार लाएगा. वहीं विपक्ष इसे धार्मिक मामलों में सरकार की ज्यादा दखलअंदाजी मानता है. दोनों पक्षों के बीच विचारधारात्मक अंतर स्पष्ट रूप से चर्चा में दिख सकता है. अब NDA के घातक दल भी इनके विरोध में आए हैं. आइए जानते हैं सहयोगी दलों का क्या कहा है?
सियासत हुई तेज
ईद की छुट्टी के बाद संसद की कार्यवाही शुरू होते ही वक्फ संशोधन बिल को लेकर सियासत तेज हो गई है. खासतौर पर एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दल, जेडीयू और टीडीपी, इस बिल पर अपने रुख को लेकर चर्चा में हैं. इनके समर्थन के बिना सरकार के लिए बिल पास कराना मुश्किल हो सकता है. जेडीयू का कहना है कि वह अंतिम मसौदे का इंतजार कर रही है, जबकि टीडीपी फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रही. दोनों ही दल मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर कोई भी फैसला लेना चाहते हैं.
जेडीयू का क्या है प्लान?
जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, पार्टी ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष अपनी चिंताओं को पहले ही रख दिया था. पार्टी का मानना है कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों को एक-दूसरे से डरने की जरूरत नहीं है और वक्फ कानून में पहले भी संशोधन होते रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम संगठनों और वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी आशंकाओं को समझा था. इसके बाद पार्टी ने जेपीसी को अपनी सिफारिशें दी थीं. अब जेडीयू बिल के अंतिम स्वरूप का इंतजार कर रही है, जिसके बाद वह अपना रुख स्पष्ट करेगी.
टीडीपी नहीं करना चाहेगी नुकसान
आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ टीडीपी भी इस मुद्दे पर सतर्कता बरत रही है. पिछले साल अगस्त में लोकसभा में जब यह बिल पेश किया गया था, तब पार्टी ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने का समर्थन किया था. लेकिन हाल के महीनों में मुस्लिम संगठनों के विरोध के कारण टीडीपी का रुख थोड़ा नरम पड़ा है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मुस्लिम नेताओं ने मुलाकात कर अपनी आपत्तियां जाहिर की थीं. टीडीपी के वरिष्ठ नेता नवाब जान ने कहा कि नायडू ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचे. हालांकि, पार्टी ने अभी तक इस बिल पर खुलकर समर्थन या विरोध नहीं किया है.
सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ता टकराव
इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच भी टकराव बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और AIMIM जैसे दल इसे मुस्लिम विरोधी और संविधान के खिलाफ बता रहे हैं. वहीं, सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने और पिछड़े मुस्लिम समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है. जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में 14 संशोधनों की सिफारिश की थी, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. अब यह बिल बजट सत्र में पेश होने की संभावना है, जिससे संसद में जबरदस्त बहस होने की उम्मीद है.
क्या जेडीयू-टीडीपी सरकार के साथ रहेंगी?
भाजपा के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है, इसलिए सहयोगी दलों का समर्थन उसके लिए बेहद अहम है. जेडीयू के 12 और टीडीपी के 16 सांसद इस बिल के भविष्य को तय कर सकते हैं. दोनों दलों के सामने मुश्किल यह है कि वे भाजपा के साथ रहकर सरकार का समर्थन करें या अपने राज्यों में मुस्लिम समुदाय की नाराजगी से बचें. जेडीयू और टीडीपी दोनों ही अपने-अपने राज्यों में मुस्लिम वोटों पर निर्भर हैं, जिससे वे कोई भी जल्दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहते. हालांकि दोनों दलों के सुझाव को बिल में शामिल कर लिया गया है.
हो सकती है अग्निपरीक्षा
अगले कुछ दिनों में इन दलों का रुख साफ हो सकता है, लेकिन अभी तक वे संभलकर चल रहे हैं. सरकार को भी अपने सहयोगियों की चिंताओं का समाधान निकालना होगा, ताकि संसद में बिल पर किसी बड़े गतिरोध से बचा जा सके. वक्फ संशोधन बिल न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी सरकार के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है.