बेंगलुरु में एक और 'अतुल सुभाष', हेड कांस्टेबल ने वर्दी में दी जान; सुसाइड नोट में लिखा- पत्नी और ससुर...
Bengaluru Head constable Suicide Case: बेंगलुरु में एक और अतुल सुभाष जैसा मामला सामने आया है. एक हेड कांस्टेबल ने रेलवे ट्रैक पर वर्दी में ही सुसाइड कर लिया. उसके पास से मिले सुसाइड नोट में पत्नी और ससुर पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हेड कांस्टेबल हुलीमावु ट्रैफिक पुलिस स्टेशन में तैनात था.

Bengaluru Head constable Suicide Case: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के बाद एक पुलिस कांस्टेबल ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए वर्दी में ही जान दे दी. मृतक की पहचान एचसी थिप्पन्ना (34) के रूप में हुई है. वे हुलीमावु ट्रैफिक पुलिस स्टेशन में हेड कांस्टेबल थे.
थिप्पन्ना विजयपुरा जिले के सिंधगी कस्बे के पास हंडिगानुरू गांव के रहने वाले थे. उन्होंने शुक्रवार रात को हीलालिगे रेलवे स्टेशन और कार्मेलराम हुसगुरु रेलवे गेट के बीच रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या की. उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. बयप्पनहल्ली रेलवे पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
'पत्नी और ससुर आत्महत्या के लिए जिम्मेदार'
थिप्पन्ना ने एक सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुर को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी और अपने ससुर यमुनाप्पा की यातनाओं से बहुत दुखी होकर सुसाइड कर रहे हैं. उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी है.
हेड कांस्टेबल ने बताया कि 12 दिसंबर को मेरी पत्नी और ससुर ने मुझे शाम 7.26 बजे फोन किया, 14 मिनट तक बात की और मुझे धमकाया. थिप्पन्ना ने कहा कि जब अगली सुबह उन्होंने अपने ससुर से बात की, तो उन्होंने कांस्टेबल से मर जाने को कहा और कहा कि उनकी बेटी मेरे बिना बेहतर रहेगी. मेरे साथ उन्होंने दुर्व्यवहार भी किया. पुलिस ने बीएनएस की धारा 108, 351(3) और 352 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
9 दिसंबर को अतुल सुभाष ने की आत्महत्या
बता दें कि बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने 80 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों के सुसाइड नोट में पत्नी और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाया था. अतुल ने कहा था कि उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया उनसे अलग रही है. वह उनसे तलाक के लिए 3 करोड़ रुपये की मांग की है.
अतुल ने कहा कि अगर कोर्ट यह फैसला करता है कि भ्रष्ट जज और मेरी पत्नी और दूसरे उत्पीड़क दोषी नहीं हैं, तो मेरी अस्थियों को कोर्ट के बाहर किसी नाले में बहा दें। जब तक मेरे उत्पीड़कों को सज़ा नहीं मिल जाती, तब तक मेरा अस्थि विसर्जन न करें. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट को भी ईमेल भेजकर उनसे आग्रह किया था कि वे प्रताड़ित पतियों को बचाने के लिए कुछ कदम उठाएं और मामले में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार करें.