क्‍या एलियंस ने भेजा था इंटरस्टेलर Comet 3I/ATLAS? नासा ने खोला राज, जारी की पहली क्लोज-अप तस्वीरें

NASA ने इंटरस्टेलर Comet 3I/ATLAS की पहली क्लोज़-अप तस्वीरें जारी कर दीं, जिससे सोशल मीडिया पर फैल रही एलियन तकनीक वाली थ्योरीज़ का अंत हो गया. NASA ने स्पष्ट कहा कि यह एक साधारण धूमकेतु है, किसी भी तरह का “टेक्नो-सिग्नेचर” नहीं मिला. वैज्ञानिकों ने भी एलियन दावों को बेबुनियाद बताया. तस्वीरें सरकारी शटडाउन के कारण देरी से जारी हुईं. 3I/ATLAS की कुछ विशेषताएं अनोखी हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार ये प्राकृतिक कारणों से हैं, कृत्रिम नहीं.;

( Image Source:  X/@NASA )
Edited By :  प्रवीण सिंह
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दुनिया भर में फैली हलचल, सोशल मीडिया पर उठते सवाल, और वैज्ञानिक समुदाय में तेज़ी से बढ़ रही जिज्ञासा - इन सबके बीच NASA ने आखिरकार उस रहस्यमयी इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट Comet 3I/ATLAS की असली तस्वीर दुनिया के सामने रख दी है, जिसे कई लोग एलियन तकनीक तक मान बैठे थे. बुधवार देर रात जारी की गई तस्वीरों ने महीनों की अटकलों पर एक बड़ा ब्रेक लगा दिया है.

यह वही ऑब्जेक्ट है जो जुलाई में पहली बार देखा गया था और कुछ समय बाद अचानक जनता की नजरों से ओझल हो गया. इसके बाद इंटरनेट पर यह चर्चा तेज़ हो गई कि कहीं यह कोई एलियन सिविलाइजेशन का भेजा हुआ सिग्नल, यान, या जांच-उपकरण तो नहीं. स्थिति और पेचीदा तब हो गई जब NASA के कई स्पेसक्राफ्ट ने इसे मंगल के आसपास से कैप्चर किया, लेकिन तस्वीरें जारी नहीं की गईं - क्योंकि इसी दौरान अमेरिकी सरकार 43 दिनों के लिए शटडाउन में चली गई.

अब NASA अधिकारियों ने इन बातों को पूरी तरह “अफवाह” बताया है और कहा है कि 3I/ATLAS पूरी तरह एक साधारण धूमकेतु है - बस उतना साधारण नहीं जितना हम समझते आए हैं.

NASA का बयान - “ये सिर्फ एक धूमकेतु है, एलियन टेक्नोलॉजी नहीं”

NASA के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर अमित क्षत्रिय ने कहा, “यह धूमकेतु जैसा दिखता है और धूमकेतु जैसा ही व्यवहार करता है. इसमें कोई तकनीकी संकेत नहीं मिले हैं.” NASA की साइंस मिशन डायरेक्टर निक्की फॉक्स ने भी साफ कहा कि अब तक किसी भी इमेज या डेटा में ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे यह माना जाए कि यह किसी बाहरी सभ्यता से आया हाई-टेक ऑब्जेक्ट है. उनके शब्दों में, “हमने इससे कोई ‘टेक्नो-सिग्नेचर’ नहीं देखे हैं. यह एक कॉमेट है - बस इतना ही.” यानी सोशल मीडिया पर वायरल उन थ्योरीज़ का NASA ने स्पष्ट और वैज्ञानिक जवाब दे दिया है.

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक बोले - “एलियन यान? यह दावा चीज़ से बने चांद जितना झूठ!”

अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के एस्ट्रोफिजिसिस्ट क्रिस लिनटॉट ने खबरों को पूरी तरह अप्रमाणिक बताया. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, “3I/ATLAS को एलियन स्पेसक्राफ्ट बताना एकदम बेवकूफी है. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं जो एलियन तकनीक की तरफ इशारा करे. आप जितने भरोसे से कह सकते हैं कि चांद चीज़ का बना है, उतने ही भरोसे से कह सकते हैं कि ये एलियन यान है.” लिनटॉट का ये बयान वैज्ञानिक समुदाय के रुख को और मजबूती देता है.

NASA ने आखिर तस्वीरें क्यों रोकीं?

कई लोगों ने सवाल पूछा था कि NASA ने मंगल के आसपास से ली गई तस्वीरें तुरंत क्यों जारी नहीं कीं? इसका जवाब सरल है - अमेरिकी सरकार के 43 दिनों के शटडाउन ने NASA की कई गतिविधियां रोक दी थीं. कर्मचारियों की कमी और कानूनी बाध्यताओं के कारण डेटा रिलीज़ नहीं हो पाया. यह देरी ही अफवाहों को हवा देने की सबसे बड़ी वजह बनी.

तस्वीरें क्या दिखाती हैं?

NASA ने बताया कि Comet 3I/ATLAS की तस्वीरें सौरमंडल के कई स्पेसक्राफ्ट ने अलग-अलग एंगल से खींची हैं. इससे वैज्ञानिक पहली बार किसी इंटरस्टेलर विज़िटर की तीन-आयामी (3D) प्रोफ़ाइल तैयार कर सकेंगे. एक वैज्ञानिक ने इसे इस तरह समझाया, “जैसे स्टेडियम में बैठकर आप बेसबॉल देखते हैं. हर किसी का व्यू अलग होता है, कोई भी परफ़ेक्ट नहीं, लेकिन सब मिलकर पिक्चर साफ़ करते हैं.”

3I/ATLAS की ‘अजीब’ विशेषताएं

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ऑब्जेक्ट भले ही “सामान्य धूमकेतु” है, पर इसमें कुछ अनोखे गुण हैं:

  • कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का अनुपात असामान्य
  • निकल और आयरन का रेशियो भी सामान्य सौरमंडलीय कॉमेट्स से अलग
  • इसकी धूल से लाइट का रिफ्लेक्‍शन भी अलग तरह का

लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि ये अंतर “एलियन तकनीक” नहीं, बल्कि सिर्फ एक दूसरे तारामंडल से आने वाले पदार्थों की प्राकृतिक विशिष्टता है. NASA की निकोला फॉक्स ने कहा, “कभी–कभी कॉफी का फ्लेवर बदला हुआ लगता है, लेकिन वह कॉफी ही होती है.” इसी तुलना से उन्होंने समझाया कि “अनोखा” का मतलब “कृत्रिम” नहीं होता.

Avi Loeb ने क्यों बढ़ाया सस्पेंस?

हार्वर्ड के प्रसिद्ध और विवादित एस्ट्रोफिजिसिस्ट Avi Loeb पहले भी ‘ओउमुआमुआ’ जैसे इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को “एलियन प्रोब” कह चुके हैं. इस बार भी उन्होंने दावा किया कि 3I/ATLAS की नॉन-ग्रैविटेशनल एक्सीलरेशन और असामान्य नीली चमक को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. उनके बयान के बाद इंटरनेट पर यह दावा आग की तरह फैल गया कि शायद कोई सभ्यता पृथ्वी को “देख” रही है. NASA ने आज इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया.

अब कहां है 3I/ATLAS? पृथ्वी के सबसे करीब आने वाला है

  • जुलाई में पहली बार देखा गया
  • पिछले महीने यह मंगल की कक्षा के भीतर से गुजर चुका है
  • 19 दिसंबर को यह पृथ्वी के सबसे करीब होगा - दूरी लगभग 170 मिलियन माइल्स
  • इसके बाद यह अगले साल जुपिटर की ओर बढ़ेगा, जहां NASA का Juno स्पेसक्राफ्ट इसकी एक और झलक पकड़ सकता है.
  • उसके बाद यह फिर गहरे और अनंत अंतरिक्ष की ओर लौट जाएगा - और शायद दोबारा कभी न दिखे.

NASA की आधिकारिक तस्वीरें और वैज्ञानिकों की स्पष्ट टिप्पणियों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ब्रह्मांड की हर अनोखी चीज़ एलियन टेक्नोलॉजी नहीं होती. लेकिन 3I/ATLAS जैसे ऑब्जेक्ट हमें याद दिलाते हैं कि ब्रह्मांड में मौजूद विविधता हमारी समझ से कहीं ज़्यादा गहरी और रहस्यमयी है. फिलहाल 3I/ATLAS एक “कॉस्मिक गेस्ट” है - दूसरे तारामंडल से आया हुआ, अपने रहस्य लिए, लेकिन पूरी तरह प्राकृतिक.

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