मंगल पर जीवन है! नासा की वायरल मशरूम वाली तस्वीर पर क्यों छिड़ी बहस, क्या है रहस्य?
अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था NASA की 13 साल पुरानी एक तस्वीर फिर से दुनिया भर के स्पेस साइंटिस्टों के बीच सुर्खियों में है. इसकी चर्चा उस समय शुरू हुई जब यूएफओ स्कॉट वारिंग ने इसे अपने ब्लॉग पर सभी से साझा करते हुए दावा किया कि मंगल पर जीवन संभव है. अब इसको लेकर मंगल ग्रह के बारे में रुचि रखने वाले वहां पर जीवन है या नहीं, को लेकर बहस में उलझ गए हैं.

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर की एक दशक से ज्यादा पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. इस तस्वीर में मंगल ग्रह पर मशरूम जैसी वस्तु होने का संकेत दिया गया है. यूएफओ (अपरिचित उड़ती वस्तु) के प्रति उत्साही स्कॉट वारिंग का दावा है कि मशरूम की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि मंगल ग्रह पर जीवन संभव है.
दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि यह मशरूम नहीं, एक प्राकृतिक चट्टान है, जिससे मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर लोगों में नए सिरे से रुचि बढ़ी है.
12 साल पहले नासा ने कैद की थी तस्वीर
दरअसल, नासा के मार्स रोवर क्यूरियोसिटी की यह पुरानी तस्वीर लाल ग्रह पर जीवन की संभावना के बारे में अटकलें फिर से तेज हो गई हैं. यह तस्वीर नासा ने वैज्ञानिकों ने 19 सितंबर 2013 को कैद की थी. इस रहस्यमयी घटनाओं पर अपने ब्लॉग के लिए जाने दुनिया भर में चर्चित यूएफओ के वारिंग ने कहा कि उन्होंने नासा की वेबसाइट पर संग्रहीत मंगल ग्रह की छवियों की समीक्षा करते समय इस असाधारण संरचना की खोज की.
मंगल पर जीवन है या नहीं, बहस फिर शुरू
यूएफओ के वारिंग ने कहा, 'तस्वीर के मध्य-नीचे के पास एक छोटे से उभार को हाइलाइट करते हुए सुझाव दिया है कि यह एक घुमावदार तने और झुर्रीदार टोपी वाले मशरूम जैसा दिखता है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले मशरूम के समान है. उसके बाद से उनके दावे सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, जिससे एलियन जीवन के अस्तित्व पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है.'
बता दें कि नासा के लिए मार्स हैंड लेंस इमेजर (MAHLI) ने यह तस्वीर कैप्चर की थी, जो रोवर के रोबोटिक आर्म से जुड़ा एक कैमरा है जो मार्टियन चट्टानों और मिट्टी की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीर है.
ब्लॉगर ने क्यों की नासा की आलोचना?
एक ब्लॉग पोस्ट में वारिंग ने कथित तौर पर वस्तु को अनदेखा करने के लिए NASA की आलोचना की। उन्होंने लिखा, "NASA को इसे अपने ऑनबोर्ड उपकरणों का उपयोग करके छूना, टकराना, गिराना या काटना चाहिए था. यहां तक की जांच के लिए अपने लेजर का उपयोग करना चाहिए था."
वैज्ञानिक विशेषज्ञों ने इस दावे का खंडन किया है. बर्मिंघम विश्वविद्यालय के एक ग्रह वैज्ञानिक डॉ. गैरेथ डोरियन ने डेली मेल को बताया कि वस्तु संभवतः प्राकृतिक रूप से होने वाली चट्टान है. उनके अनुसार जो मशरूम जैसा प्रतीत होता है, वह शायद डिस्क के आकार की चट्टान है जो हवा के कारण आसपास की रेत और धूल के कारण समय के साथ इस रूप में दिखाई दे रही है.
वैज्ञानिक डॉ. गैरेथ डोरियन के अनुसार, 'यह वस्तु जीवन होने का प्रमाण तो नहीं है, लेकिन फिर से सामने आई छवि ने अंतरिक्ष विज्ञान के सबसे बड़े अनुत्तरित प्रश्नों में से एक के बारे में लोगों की इच्छा को फिर से जगा दिया है. यही वजह है कि 'क्या मंगल ग्रह पर जीवन है या कभी था' को लेकर चर्चा चरम पर है.
वायरल मशरूम जैसी चट्टान भले ही उत्तर न दे, लेकिन यह इस बात की याद दिलाती है कि मानव मंगल ग्रह के कई रहस्यों को उजागर करने में कितनी शिद्दत से जुटा है.'
क्यूरियोसिटी रोवर क्या है?
नासा का क्यूरियोसिटी रोवर जो 2012 से मंगल ग्रह की सतह पर काम कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में मंगल को लेकर कई रहस्यमयी सुराग मिले हैं. इसने मंगल ग्रह की चट्टानों में कार्बनिक अणुओं और वायुमंडल में मीथेन का पता लगाया है, जिन्हें सूक्ष्मजीव जीवन के संभावित संकेतक माना जाता है. फिर भी अब तक कोई निर्णायक सबूत सामने नहीं आया है.