बांग्लादेश में हिंदुओं पर कहर! 5 दिन में 7 घर जलाए गए, एक और युवक की हुई लिंचिंग; तारिक अनवर ने की शांति की अपील- TOP UPDATES

बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले तेज हो गए हैं. पिछले पांच दिनों में सात हिंदू परिवारों के घर जलाए गए, जबकि एक हफ्ते में दो हिंदुओं की भीड़ द्वारा हत्या (लिंचिंग) की घटनाओं ने देश को झकझोर दिया है. इन घटनाओं से अंतरिम सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं/ हालात के बीच बीएनपी नेता तारिक रहमान ने सभी धर्मों और समुदायों को साथ लेकर चलने की अपील करते हुए शांतिपूर्ण और सुरक्षित बांग्लादेश का संदेश दिया है.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 26 Dec 2025 12:01 AM IST

Bangladesh communal violence, Hindus attacks in Bangladesh: बांग्लादेश इस वक्त गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है. शेख हसीना सरकार के पतन और अंतरिम सरकार के सत्ता संभालने के बाद से देश में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. बीते कुछ दिनों में आगजनी, लिंचिंग और भीड़ हिंसा ने न सिर्फ देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर चिंता पैदा कर दी है.

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5 दिन में 7 हिंदू परिवारों के घर जलाए गए

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले पांच दिनों में कम से कम सात हिंदू परिवारों के घर जला दिए गए. ताजा मामला मंगलवार का है, जब दो परिवारों के आठ सदस्य घर के अंदर सो रहे थे और तभी उनके घरों में आग लगा दी गई.

बाल-बाल बचे लोग

दुबई से लौटे प्रवासी बांग्लादेशी नागरिक मिथुन शिल ने बताया कि जब वे धुएं से जागे तो बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन दोनों दरवाजे बाहर से कुंडी लगाकर बंद कर दिए गए थे. आखिरकार हमें बांस और टीन की दीवारें काटकर जान बचानी पड़ी. मिथुन का कहना है कि यह कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि पूरी तरह योजनाबद्ध हमला है, क्योंकि तीन दिन पहले पास के गांव में भी एक हिंदू परिवार के घर को निशाना बनाया गया था.

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने अब तक पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और बाकी की तलाश जारी है. साथ ही, स्थानीय प्रभावशाली लोगों के साथ बैठक कर सांप्रदायिक सौहार्द और निगरानी बढ़ाने की बात कही गई है.

7 दिन में दो लिंचिंग, देश में गुस्सा

इन आगजनी की घटनाओं के बीच, पिछले सात दिनों में दो लिंचिंग ने हालात और विस्फोटक बना दिए हैं. मध्य मयमनसिंह में 28 वर्षीय हिंदू फैक्ट्री वर्कर दीपू चंद्र दास को कथित ‘धार्मिक अपमान’ के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और शव को आग लगा दी. इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए. अब बुधवार को राजबाड़ी जिले में अमृत मंडल (सम्राट) नाम के व्यक्ति को भीड़ ने पीटकर मार डाला.

पुलिस के अनुसार, सम्राट पर हत्या सहित दो मामले दर्ज थे. वह कथित तौर पर उगाही में लिप्त गिरोह चलाता था और भारत में लंबे समय तक छिपा था. लौटने के बाद उगाही के लिए गांव गया, जहां भीड़ ने उसे पीट दिया. उसके सहयोगी मोहम्मद सलीम को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद, भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेना अंतरिम सरकार और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.

अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने दीपू दास की लिंचिंग की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.” लेकिन ज़मीनी हालात और लगातार घटनाएं सरकार की क्षमता और इच्छाशक्ति पर सवाल उठा रही हैं.

भारत और अंतरराष्ट्रीय चिंता

भारत ने भी कई बार बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. ढाका में हालिया प्रदर्शन में अल्पसंख्यक संगठनों ने सरकार पर नाकामी के आरोप लगाए.

तारिक रहमान की शांति अपील

इसी तनावपूर्ण माहौल में बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से लौटे और शांति, एकता और समावेशी बांग्लादेश की अपील की. उन्होंने कहा, “यह देश पहाड़ और मैदान के लोगों का है- मुस्लिम, हिंदू, बौद्ध और ईसाई सभी का... हमें ऐसा बांग्लादेश बनाना है, जहां हर नागरिक सुरक्षित हो.” उनका यह बयान अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि और आगे की चुनौती

  • अवामी लीग पर प्रतिबंध
  • जमात-ए-इस्लामी का उभार
  • आने वाले चुनाव
  • अल्पसंख्यकों पर हमले
  • कानून-व्यवस्था पर सवाल

इन सबके बीच तारिक रहमान खुद को भविष्य के बड़े दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं. उन्होंने 1971 से लेकर 2024 तक के आंदोलनों का जिक्र करते हुए लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात की.

सवाल अब भी कायम

बांग्लादेश में हालिया घटनाएं यह दिखाती हैं कि सत्ता परिवर्तन के बाद सुरक्षा का खालीपन अल्पसंख्यकों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. शांति अपील और बयान अपनी जगह, लेकिन जब तक जमीन पर सख्त कार्रवाई और भरोसेमंद सुरक्षा नहीं दिखेगी, तब तक डर और असंतोष बना रहेगा. सवाल साफ है- क्या ‘नया बांग्लादेश’ वाकई सभी के लिए सुरक्षित बन पाएगा, या यह सिर्फ सियासी नारा बनकर रह जाएगा?

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