यूनुस सरकार ने चरमपंथियों को गोद में बिठाया और आतंकियों को छोड़ा, तभी दे रहे 'चिकन नेक' पर अनर्गल बयान; हिंसा पर बोलीं शेख हसीना
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मौजूदा हालात पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने ICT के फैसले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि Awami League को बाहर रखकर कराया गया कोई भी चुनाव लोकतंत्र नहीं बल्कि ताजपोशी होगा. शेख हसीना ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव, बढ़ते कट्टरपंथ, अल्पसंख्यकों पर हमलों और अंतरिम सरकार की नीतियों पर भी खुलकर बात की. उनका कहना है कि वैध सरकार और स्वतंत्र न्यायपालिका की वापसी से ही बांग्लादेश में स्थिरता और न्याय संभव है.
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है और इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina ने चुप्पी तोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रखी है. ANI को दिए गए ई-मेल इंटरव्यू में शेख हसीना ने मौजूदा हालात, अंतरिम सरकार की भूमिका, न्याय व्यवस्था, चुनाव, भारत-बांग्लादेश रिश्तों और बढ़ते कट्टरपंथ पर विस्तार से अपनी चिंताएं सामने रखीं. उनका बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि बांग्लादेश के भविष्य को लेकर चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है.
शेख हसीना का साफ कहना है कि बांग्लादेश आज जिस अस्थिरता, हिंसा और वैचारिक भटकाव से गुजर रहा है, उसकी जड़ें लोकतंत्र से दूर जाने में छिपी हैं. उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि जब तक वैध सरकार और स्वतंत्र न्यायपालिका बहाल नहीं होती, तब तक न देश के भीतर शांति आएगी और न ही पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में स्थिरता लौटेगी.
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ICT के फैसले पर तीखा हमला
शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) के फैसले को न्याय नहीं बल्कि राजनीतिक सफाया करार दिया. उनका कहना है कि उन्हें न तो खुद का बचाव करने का मौका दिया गया और न ही अपनी पसंद के वकील रखने की अनुमति. उनके अनुसार, इस ट्रिब्यूनल का इस्तेमाल Awami League के खिलाफ सुनियोजित ‘विच हंट’ के रूप में किया गया.
फिर भी संस्थाओं में भरोसे का दावा
कड़ी आलोचना के बावजूद शेख हसीना ने कहा कि उनका भरोसा बांग्लादेश की संवैधानिक परंपराओं से पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने विश्वास जताया कि जब वैध शासन लौटेगा और न्यायपालिका दोबारा स्वतंत्र होगी, तब सच्चा न्याय जरूर मिलेगा.
चुनाव बिना Awami League के?
आगामी चुनावों को लेकर शेख हसीना ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि Awami League के बिना चुनाव, चुनाव नहीं बल्कि ताजपोशी होगी. उनका आरोप है कि मौजूदा शासक व्यवस्था जनता के एक भी वोट के बिना शासन कर रही है और अब नौ बार जनता द्वारा चुनी गई पार्टी को प्रतिबंधित करने की कोशिश हो रही है.
लोकतंत्र पर सीधा खतरा
शेख हसीना के मुताबिक, अगर Awami League पर प्रतिबंध बरकरार रहा तो लाखों बांग्लादेशी नागरिक प्रभावी रूप से वोट देने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे. ऐसे चुनाव से बनने वाली किसी भी सरकार के पास नैतिक अधिकार नहीं होगा और यह राष्ट्रीय मेल-मिलाप का ऐतिहासिक मौका गंवाने जैसा होगा.
प्रत्यर्पण और भारत का जिक्र
भारत में रह रही शेख हसीना ने अपने प्रत्यर्पण की मांगों को हताश और दिशाहीन प्रशासन की राजनीति बताया. उन्होंने कहा कि ICT की प्रक्रिया एक राजनीतिक कठपुतली अदालत थी और दुनिया इसे समझती है. उन्होंने भारत द्वारा दिए गए संरक्षण और सभी भारतीय राजनीतिक दलों के समर्थन के लिए आभार जताया.
बांग्लादेश वापसी पर साफ रुख
शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश न्याय से बचने के लिए नहीं, बल्कि खून-खराबा रोकने के लिए छोड़ा. उन्होंने अंतरिम सरकार को चुनौती दी कि अगर आरोपों में दम है तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय अदालत, द हेग में ले जाया जाए. वैध सरकार और स्वतंत्र न्यायपालिका लौटते ही वह देश वापस लौटने को तैयार हैं.
भारत-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव
भारत-बांग्लादेश संबंधों में आई खटास पर शेख हसीना ने सीधा आरोप अंतरिम सरकार पर लगाया. उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ बयानबाजी, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफलता और कट्टरपंथियों को खुली छूट देने से हालात बिगड़े हैं. उनके मुताबिक, भारत बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद साझेदार रहा है और यह रिश्ता किसी अस्थायी सरकार से बड़ा है.
भारत विरोधी भावना और कट्टरपंथ
शेख हसीना ने दावा किया कि भारत विरोधी माहौल कट्टरपंथी तत्वों द्वारा गढ़ा गया है, जिन्हें मौजूदा शासन ने ताकत दी. उन्होंने आरोप लगाया कि यही लोग भारतीय दूतावास पर हमले, मीडिया दफ्तरों पर हमले और अल्पसंख्यकों पर हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं.
सुरक्षा, उग्रवाद और ‘चिकन नेक’
उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार ने चरमपंथियों को सत्ता में जगह दी, दोषी आतंकियों को रिहा किया और खतरनाक बयानबाजी को बढ़ावा दिया. भारत के पूर्वोत्तर और ‘चिकन नेक’ जैसे मुद्दों पर दिए गए बयान को उन्होंने खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना बताया, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नुकसानदेह हैं.
पाकिस्तान, विदेश नीति और भविष्य
पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ाने पर शेख हसीना ने कहा कि अंतरिम सरकार के पास विदेश नीति बदलने का कोई जनादेश नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि बांग्लादेश की विदेश नीति जनता के वोट से तय होनी चाहिए, न कि कुछ कट्टरपंथी विचारधाराओं से. उनका विश्वास है कि लोकतंत्र लौटते ही बांग्लादेश-भारत रिश्ते फिर उसी मजबूत आधार पर खड़े होंगे, जो पिछले 15 वर्षों में बने थे.





