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बांग्लादेश की सियासत में भूचाल, बैन के बाद अवामी लीग नहीं लड़ पाएगी फरवरी 2026 का चुनाव, क्‍या ऐसे ही होंगे निष्‍पक्ष चुनाव?

बांग्लादेश की सियासत एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. देश में अंतरिम सरकार के गठन और सत्ता परिवर्तन के बाद अब आगामी संसदीय चुनावों को लेकर माहौल और ज्यादा गरमा गया है. फरवरी 2026 में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले यह साफ कर दिया गया है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग इस चुनावी मैदान में नजर नहीं आएगी. इस फैसले ने देश के राजनीतिक भविष्य, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को लेकर नई बहस छेड़ दी है.

बांग्लादेश की सियासत में भूचाल, बैन के बाद अवामी लीग नहीं लड़ पाएगी फरवरी 2026 का चुनाव, क्‍या ऐसे ही होंगे निष्‍पक्ष चुनाव?
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 25 Dec 2025 3:57 PM IST

बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. अंतरिम सरकार के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि शेख हसीना की अगुवाई वाली अवामी लीग फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएगी. पार्टी की गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध और पंजीकरण निलंबन ने चुनावी प्रक्रिया से उसके बाहर होने की स्थिति बना दी है, जिसने देश की सियासी दिशा को लेकर नई बहस छेड़ दी है.

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इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या अवामी लीग के बिना होने वाला चुनाव वास्तव में निष्पक्ष और समावेशी कहा जा सकता है. सत्ता परिवर्तन, कानूनी कार्रवाइयों और अंतरराष्ट्रीय नजरों के बीच खड़ा बांग्लादेश अब ऐसे मोड़ पर है, जहां लोकतंत्र, जनादेश और राजनीतिक वैधता को लेकर गंभीर सवाल सामने आ रहे हैं.

अंतरिम सरकार का साफ संदेश

अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने यह स्पष्ट कर दिया कि अवामी लीग के राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लागू है और इसी कारण पार्टी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकती. सलाहकार परिषद की बैठक के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का पंजीकरण रद्द किए जाने के बाद अवामी लीग की भागीदारी संभव नहीं है. सरकार की नीति इस मुद्दे पर बिल्कुल साफ है और इसमें किसी तरह की असमंजस की स्थिति नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय दबाव पर सरकार का रुख

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब अमेरिकी सांसदों की ओर से भेजे गए एक कथित पत्र को लेकर सवाल उठा, तो शफीकुल आलम ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र नहीं देखा है और उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है. हालांकि उन्होंने दोहराया कि विदेशी प्रतिक्रियाओं के बावजूद सरकार अपने फैसले पर कायम है और अवामी लीग की स्थिति में किसी बदलाव की संभावना नहीं है.

प्रतिबंध की पृष्ठभूमि और कानूनी आधार

अंतरिम सरकार ने इससे पहले मई महीने में एक अधिसूचना जारी कर अवामी लीग और उससे जुड़े सभी संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगा दी थी. यह आदेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में चल रहे मामलों के निपटारे तक लागू रहने की बात कही गई थी. गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना में आतंकवाद विरोधी संशोधन अध्यादेश के तहत कार्रवाई का उल्लेख किया गया था. पार्टी का पंजीकरण निलंबित है और उसके कई नेता फिलहाल न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं.

शेख हसीना का पलटवार

शेख हसीना ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अवामी लीग के बिना होने वाला चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सत्ता का औपचारिक हस्तांतरण भर होगा. उनका कहना है कि जिस सरकार को जनता का एक भी वोट नहीं मिला, वह अब उस पार्टी को चुनाव से बाहर कर रही है, जिसे नौ बार जनादेश मिला है. हसीना ने चेतावनी दी कि इस कदम से करोड़ों मतदाता हाशिये पर चले जाएंगे.

लोकतंत्र और वैधता पर सवाल

पूर्व प्रधानमंत्री का यह भी कहना है कि यदि लोगों को अपनी पसंद की पार्टी को वोट देने का अवसर नहीं मिला, तो वे मतदान से दूर रहेंगे. ऐसे में इस प्रक्रिया से बनने वाली सरकार के नैतिक अधिकार पर गंभीर सवाल खड़े होंगे. उन्होंने इसे राष्ट्रीय मेल-मिलाप का खोया हुआ अवसर करार दिया, जिसकी इस समय बांग्लादेश को सख्त जरूरत है.

फरवरी 2026 की ओर बढ़ता बांग्लादेश

जुलाई में हुए छात्र आंदोलन के बाद सत्ता परिवर्तन से गुजर चुके बांग्लादेश में अब नजरें फरवरी 2026 के चुनावों पर टिकी हैं. लेकिन अवामी लीग की गैरमौजूदगी और लगातार बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच यह चुनाव देश की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, यह सवाल अभी अनुत्तरित है.

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