बीच में बदला नियम तो रोक दी गई भर्ती प्रक्रिया, एक्स सर्विसमैन कोटा हटाने पर IBPS को हाईकोर्ट से करारा झटका
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने IBPS की चल रही भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाकर बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने भर्ती के बीच में पूर्व सैनिक (Ex-Servicemen) कोटा हटाने को गंभीर सवालों के घेरे में लिया है. कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के बाद नियम बदलना “वैध अपेक्षा” (Legitimate Expectation) और न्यायसंगतता के सिद्धांतों के खिलाफ है. इस आदेश से उन उम्मीदवारों को राहत मिली है, जिन्होंने कोटा लागू रहते हुए आवेदन और परीक्षा दी थी. मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च 2026 को होगी, जहां अधिसूचना की वैधता पर विस्तार से विचार किया जाएगा.
बैंकिंग भर्तियों से जुड़े लाखों उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर सामने आई है. Punjab and Haryana High Court ने IBPS की एक अहम भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाकर न सिर्फ चयन प्रक्रिया को रोक दिया, बल्कि पूर्व सैनिकों के अधिकार और सरकारी भर्तियों में निष्पक्षता के सवाल को भी केंद्र में ला दिया है. यह मामला तब उठा, जब भर्ती के बीच में ही Ex-Servicemen कोटा हटाने का फैसला किया गया. वह भी तब, जब उम्मीदवार आवेदन और परीक्षा दे चुके थे.
कोर्ट का यह आदेश केवल एक तकनीकी रोक नहीं है, बल्कि यह “न्यायसंगत अपेक्षा” (Legitimate Expectation) जैसे संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा का संकेत देता है. हाईकोर्ट ने साफ किया कि सार्वजनिक रोजगार में नियमों को खेल के बीच बदलना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे उन उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होता है, जिन्होंने घोषित शर्तों पर भरोसा कर आवेदन किया था.
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क्या है पूरा मामला?
यह विवाद मंजीत बनाम IBPS एवं अन्य मामले से जुड़ा है. याचिका में Institute of Banking Personnel Selection (IBPS) की 27 अक्टूबर 2025 की संशोधित अधिसूचना को चुनौती दी गई, जिसमें भर्ती प्रक्रिया के बीच में ही पूर्व सैनिक कोटा समाप्त कर दिया गया. याचिकाकर्ता मंजीत पहले ही आवेदन कर चुका था और प्रारंभिक परीक्षा में शामिल भी हो चुका था.
भरोसा तोड़ा गया: याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं मोहित मलिक, प्रफुल राणा, मंजीत सिंह और आर.के. ऐठानी ने दलील दी कि जब आवेदन किया गया, उस समय पूर्व सैनिक कोटा प्रभावी था. परीक्षा के बाद नियम बदलना न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि उम्मीदवारों की वैध अपेक्षा को भी तोड़ता है. यह कदम चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है.
चयन प्रक्रिया पर ब्रेक: हाईकोर्ट का आदेश
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विवादित अधिसूचना के तहत आगे की समस्त चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा कि यह रोक उन उम्मीदवारों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी है, जिन्होंने कोटा लागू रहते हुए आवेदन किया था. कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया कि भर्ती के दौरान नियम बदलना सार्वजनिक रोजगार के सिद्धांतों के खिलाफ है.
“Legitimate Expectation” का सिद्धांत क्यों अहम?
अदालत ने आदेश में कहा कि परीक्षा के बाद कोटा हटाना न्यायसंगतता और वैध अपेक्षा के सिद्धांत के विपरीत है. सार्वजनिक भर्तियों में उम्मीदवार यह अपेक्षा रखते हैं कि घोषित नियम अंतिम होंगे. यदि नियम बीच में बदले जाएं, तो यह पूरे चयन तंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर करता है.
IBPS को जवाब तलब
हाईकोर्ट ने IBPS और अन्य प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई से कम से कम सात दिन पहले अपना लिखित जवाब दाखिल करें और उसकी अग्रिम प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को दें. इससे कोर्ट को संशोधित अधिसूचना की वैधता पर विस्तार से विचार करने में मदद मिलेगी.
अगली सुनवाई और असर
मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च 2026 को तय की गई है. तब अदालत यह तय करेगी कि कोटा हटाने का फैसला कानूनी रूप से टिकाऊ है या नहीं. फिलहाल, यह आदेश पूर्व सैनिक उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है और भविष्य की सरकारी भर्तियों में नियम बदलने की प्रवृत्ति पर भी असर डाल सकता है. हाईकोर्ट की यह रोक केवल IBPS भर्ती तक सीमित नहीं है; यह एक स्पष्ट संदेश है कि खेल के नियम बीच में नहीं बदले जा सकते. पूर्व सैनिकों के अधिकारों और सार्वजनिक भर्तियों की निष्पक्षता के लिहाज से यह आदेश दूरगामी महत्व रखता है.





