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200 रुपये की टिकट ने बदल दी किस्मत, मजदूर नसीब कौर बनीं डेढ़ करोड़ की मालकिन, चार साल से खरीद रहे थे टिकट

क्या वाकई किस्मत एक पल में जिंदगी बदल सकती है? क्या रोज़ाना खेतों में मेहनत कर पेट पालने वाली एक साधारण महिला रातों-रात करोड़पति बन सकती है? पंजाब के फरीदकोट जिले के सादिक इलाके में रहने वाली नसीब कौर की कहानी इन सवालों का जवाब ‘हां’ में देती है. गरीबी से जूझते परिवार की यह कहानी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं, जहां उम्मीदें कम थीं, लेकिन किस्मत ने दरवाजा ऐसे खोला कि पूरा गांव जश्न में डूब गया.

200 रुपये की टिकट ने बदल दी किस्मत, मजदूर नसीब कौर बनीं डेढ़ करोड़ की मालकिन, चार साल से खरीद रहे थे टिकट
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 9 Dec 2025 3:50 PM IST

कहते हैं किस्मत कब, कहां और कैसे पलट जाए, कोई नहीं जानता. पंजाब के फरीदकोट के सैदोके गांव में रहने वाली मजदूर नसीब कौर की जिंदगी भी ऐसे ही एक पल में बदल गई. रोज़ाना खेतों में मेहनत कर गुजर-बसर करने वाली नसीब कौर ने कभी सोचा भी नहीं था कि 200 रुपये की एक लॉटरी टिकट उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये की मालकिन बना देगी.

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चार साल से लगातार लॉटरी खरीदने के बावजूद कुछ न मिलने पर उम्मीदें लगभग खत्म हो चली थीं. लेकिन इस बार किस्मत ने ऐसा करवट बदला कि पूरे परिवार की जिंदगी रोशन हो उठी. गांव में खुशियों का माहौल है और लोग इस चमत्कार जैसी घटना को अपनी आंखों से देखने पहुंच रहे हैं.

खेतों में मजदूरी कर पाल रहे थे पेट

गांव सैदोके की नसीब कौर और उनके पति राम सिंह सालों से खेतों में मजदूरी करके परिवार चलाते आ रहे थे. चारों बच्चे शादीशुदा हैं, लेकिन आर्थिक तंगी हमेशा घर की दहलीज पर खड़ी रहती थी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कभी इस परिवार ने सोचा होगा कि 200 रुपये की एक टिकट उनकी जिंदगी में करोड़ों की रोशनी ले आएगी?

चार साल से खरीद रहे थे लॉटरी

राम सिंह पिछले चार साल से लॉटरी खरीदते आ रहे थे, लेकिन कभी कुछ बड़ा हाथ नहीं लगा. 6 दिसंबर की सुबह भी उन्होंने सादिक कस्बे से 200 रुपये की मंथली बंपर लॉटरी खरीदी. इस बार पत्नी नसीब कौर के नाम से. शायद उन्हें भी नहीं पता था कि यह टिकट उनकी किस्मत पलटने वाली है.

डेढ़ करोड़ की बनी मालकिन

उसी शाम जब नतीजे आए, तो पूरा परिवार हैरान रह गया. नसीब कौर की टिकट ने पहला इनाम डेढ़ करोड़ रुपये जीता था. क्या एक मजदूर परिवार के लिए यह खुशी शब्दों में समा सकती है? खबर फैलते ही गांव वालों की भीड़ उनके घर पहुंचने लगी. हर कोई बधाई दे रहा था, जैसे किसी गांव की बेटी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की हो. नसीब कौर और राम सिंह ने कहा कि यह रकम उनके लिए वरदान है. वे इस पैसे से अपने बेटे के लिए जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, ताकि वह अपनी जिंदगी को मजबूती से आगे बढ़ा सके.

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