सनातन की धज्जियां उड़ा... रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज विवाद में बाबा बागेश्वर की 'Entry', यूजर्स पर फूटा गुस्सा
Bageshwar Baba News: हाली ही में एक पॉडकास्ट में रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी की कि वे संस्कृत में श्लोक का एक अक्षर भी सही से नहीं समझा सकते. उनके इस बयान पर बवाल खड़ा हो गया और दोनों के समर्थक लड़ पड़े. इस पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बयान जारी किया है.;
Bageshwar Baba News: देश में पिछले कुछ दिनों से धार्मिक कथावाचकों और धर्म गुरुओं को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है. पहले अनिरुद्ध आचार्य अपने अजीबोगरीब बयान से चर्चा में रहे अब प्रेमानंद महाराज और रामभद्राचार्य के बीच तनाव बना हुआ है. इन दोनों के विवाद में बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री हो गई है.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कुछ लोग संतों को आपस में लड़ाना चाह रहे हैं. दोनों का विवाद दिखाने से सनातन धर्म को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि यह सोशल मीडिया पर चर्चा या वायरल करने के विषय नहीं है. प्रेमानंद महाराज और रामभद्राचार्य के मामले पर यूजर्स भी कमेंट कर रहे हैं.
क्या बोले बागेश्वर बाबा?
बागेश्वर बाबा ने कहा कि हमारे गुरुदेव रामभद्राचार्य का एक संदेश चर्चा में है. एक पोडकास्ट में पूछे गए सवाल किया कि क्या प्रेमानंद महाराज के पास चमत्कार है? इसके जवाब में गुरुदेव ने कहा कि हम चमत्कार को नहीं मानते हैं. इस पर शास्त्री ने कहा कि सच बात है. वे हमारे लिए भी कह देते हैं कि हम चमत्कार के चक्कर में नहीं पड़ते हैं. क्योंकि हम बजरंग बली और राम जी के चक्कर में पड़ते हैं.
शास्त्री ने की तारीफ
उन्होंने आगे कहा कि प्रेमानंद महाराज भजनों के जरिए युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ रहे हैं. वहीं रामभद्राचार्य ने राम जन्मभूमि विवाद में रामलला के पक्ष में जीत हासिल की. दोनों अपनी-अपनी जगह वंदनीय हैं और सही हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि हम गुरुदेव के व्यवहार को जानते हैं, उनके मन में किसी के लिए कोई जलन नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर दोनों को लड़वा रहे हैं और सनातन धर्म की धज्जियां उड़ा रहे हैं.
क्या है प्रेमानंद और रामभद्राचार्य विवाद?
एक पॉडकास्ट में रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी की कि वे संस्कृत में श्लोक का एक अक्षर भी सही से नहीं समझा सकते. इस प्रकार उन्होंने प्रेमानंद महाराज के शास्त्रीय ज्ञान और कथावाचन क्षमता पर सवाल उठाया. इस बयान को सुनकर संत समाज में गुस्सा देखने को मिला. कई संतों और अनुयायियों ने इस टिप्पणी को अनुचित तथा अपमानजनक बताया. कई ने माफी मांगने और सम्मान वापस करने की भी मांग उठाई.
विवाद बढ़ने के बाद रामभद्राचार्य ने सफाई दी कि उनका बयान प्रेमानंद महाराज के प्रति अपमानजनक नहीं था. वे उन्हें पुत्र समान मानते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर उनके शब्दों को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है.