क्या है क्लाउड सीडिंग? दिल्ली में सितंबर से शुरू होगा ट्रायल, जहरीली हवा से लोगों को मिलेगी राहत

दिल्ली सरकार सितंबर में क्लाउड सीडिंग ट्रायल शुरू करने जा रही है ताकि वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सके. यह प्रयोग IIT-कानपुर के नेतृत्व में होगा और ₹3.21 करोड़ की लागत से किया जाएगा. विशेष विमान Cessna 206-H को सोडियम क्लोराइड जैसे कणों के छिड़काव के लिए तैयार किया गया है, जो कृत्रिम वर्षा उत्पन्न करेंगे. यह पहल मानसून के बाद बढ़ते प्रदूषण से निपटने की एक वैज्ञानिक कोशिश मानी जा रही है.;

( Image Source:  AI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 18 July 2025 7:46 PM IST

What is Cloud seeding: दिल्ली सरकार सितंबर के पहले दो हफ्तों में पहली बार क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) का ट्रायल शुरू करने जा रही है. इसका मकसद कृत्रिम बारिश करवा कर राष्ट्रीय राजधानी की जहरीली हवा को साफ करना है. यह परियोजना IIT-कानपुर के नेतृत्व में संचालित की जा रही है.

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को जानकारी दी कि यह ट्रायल मानसून की वापसी के समय किया जाएगा, क्योंकि इस दौरान अनुकूल बादल बनते हैं. यह ट्रायल पहले जुलाई में होना था, लेकिन IMD, IIT-कानपुर और पुणे स्थित IITM की सलाह पर इसे टाल दिया गया था.

 प्रोजेक्ट के लिए 3.21 करोड़ रुपये की स्वीकृति

दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 3.21 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) से ट्रायल के लिए सभी आवश्यक मंजूरियां मिल चुकी हैं. Cessna 206-H (VT-IIT) विमान को विशेष उपकरणों से लैस किया गया है, जिसमें क्लाउड सीडिंग के लिए आवश्यक इंस्ट्रूमेंट्स लगाए गए हैं.

यह विमान रोहिणी, बवाना, अलीपुर, बुराड़ी और आसपास के उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों जैसे लोनी और बागपत के ऊपर उड़ान भरते हुए क्लाउड सीडिंग करेगा. उड़ान के दौरान विमान बादलों के नीचे उड़ते हुए सोडियम क्लोराइड जैसे हाइज्रोस्कोपिक कण बादलों में छोड़ेगा, जिससे कृत्रिम बारिश हो सके.

'हवाई फोटोग्राफी नहीं की जाएगी'

मंत्री सिरसा ने बताया कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है. कोई भी वर्जित क्षेत्र या हवाई फोटोग्राफी नहीं की जाएगी. उन्होंने इसे एक वैज्ञानिक हस्तक्षेप बताया, जो अगर सफल होता है, तो दिल्ली को हर साल खराब वायु गुणवत्ता से निपटने का नया तरीका मिल सकता है.

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