कन्हैया कुमार को राहुल गांधी की गाड़ी में चढ़ने से क्यों रोक दिया गया, कहीं वजह तेजस्वी यादव तो नहीं?

पटना में राहुल गांधी की रैली के दौरान उस वक्त विवाद खड़ा हो गया, जब कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को उनकी गाड़ी पर चढ़ने से रोक दिया गया. बिहार की राजनीति में मजबूत पहचान रखने वाले इन दोनों नेताओं को रोके जाने को लेकर अटकलें तेज हैं कि कहीं ये कदम तेजस्वी यादव को नाराज़ होने से बचाने के लिए तो नहीं उठाया गया.;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 11 July 2025 10:51 PM IST

Why was Kanhaiya Kumar stopped from Rahul Gandh's vehicle: बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन की संविधान बचाओ रैली में कांग्रेस नेता व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की गाड़ी में चढ़ने से कन्हैया कुमार को रोक दिया गया. इससे सियासी विवाद पैदा हो गया. लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कन्हैया कुमार को गाड़ी पर चढ़ने क्यों नहीं दिया गया.

अब ये तो राहुल गांधी ही जानें कि उनकी गाड़ी में जगह कम थी या दिल में, लेकिन पटना में जो हुआ, उसने एक बात तो साफ कर दी कि कन्हैया कुमार फिलहाल इतने ताक़तवर नहीं हुए कि अपने शीर्ष नेता के साथ मंच साझा कर सकें. कन्हैया किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वे पार्टी के आधिकारिक नेता हैं. कई मुद्दों पर वे पार्टी की तरफ से बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोलते रहे हैं.

क्या वजह सिर्फ 'सुरक्षा व्यवस्था' थी?

कहने को तो तर्क दिए जा सकते हैं कि भीड़ अधिक थी, जगह सीमित थी, सुरक्षा सख्त थी, लेकिन वीडियो सबूत बताते हैं कि उस गाड़ी पर कुछ ऐसे चेहरे भी दिखे, जिन्हें शायद आम कांग्रेस कार्यकर्ता भी न पहचान पाए. ऐसे में सवाल लाज़िमी है- क्या ये महज़ सुरक्षा का मामला था या कोई राजनीतिक संदेश था?

कन्हैया बनाम तेजस्वी: 2019 से अब तक चला आ रहा तनाव

तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार के बीच का तनाव नया नहीं है. 2019 में जब कन्हैया CPI के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे थे, तो RJD ने वहां अपना उम्मीदवार उतार दिया, जबकि CPI और RJD एक ही गठबंधन में थे. नतीजा ये हुआ कि दोनों हार गए और जीत का फायदा BJP के गिरिराज सिंह को मिला. तब से ही दोनों नेताओं के बीच नरम मुस्कुराहटों के पीछे की तल्खी राजनीति के जानकारों से छिपी नहीं है.

हालांकि, अब जब 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष एक मंच पर आने की कोशिश कर रहा है, कन्हैया नरमी दिखा रहे हैं और सार्वजनिक रूप से तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में स्वीकार भी कर चुके हैं.

क्या राहुल गांधी ने तेजस्वी को नाराज़ होने से बचाया?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी बिहार में तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते. तेजस्वी फिलहाल विपक्षी खेमे में बिहार का सबसे मजबूत चेहरा हैं. ऐसे में यह भी संभव है कि कन्हैया और पप्पू को गाड़ी से दूर रखने का फैसला राहुल की सहमति से ही हुआ हो.

सवाल यह नहीं है कि गाड़ी पर चढ़ने की अनुमति क्यों नहीं मिली, सवाल यह है कि क्या यह पूरी स्थिति ज़्यादा गरिमा और संवाद के साथ मैनेज नहीं की जा सकती थी? अगर इन दोनों नेताओं को पहले से समझा-बुझाकर अलग रखा जाता, तो शायद यह सार्वजनिक असहजता और वीडियो विवाद पैदा ही नहीं होता.

सार्वजनिक छवि को झटका

भीड़ के बीच गाड़ी तक पहुंचना, फिर सुरक्षाकर्मियों द्वारा हटाया जाना- यह दृश्य कन्हैया कुमार और पप्पू यादव जैसे नेताओं की राजनीतिक छवि को झटका देता है. भले ही दोनों जितनी भी सफाई दें, वीडियो गवाह हैं और रहेंगे.

यह घटना न सिर्फ दो नेताओं की स्थिति को दर्शाती है, बल्कि कांग्रेस और RJD के बीच गठबंधन की 'गहराई बनाम मजबूरी' की राजनीति को भी उजागर करती है.

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