वो रिफ्यूज करे या जहन्नुम में जाए... हिजाब विवाद पर नीतीश कुमार का बचाव करते हुए यह क्या बोल गए गिरिराज सिंह? हमलावर हुआ विपक्ष
बिहार में हिजाब विवाद और गहराता जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने की कोशिश के बाद शुरू हुए बवाल में अब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान ने आग में घी डाल दिया है. महिला के चेहरे दिखाने से इनकार पर गिरिराज सिंह ने 'नौकरी ले या जहन्नुम में जाए' जैसी आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे सियासी तूफान खड़ा हो गया। विपक्षी दलों और मुस्लिम नेताओं ने बयान को अपमानजनक और घृणित बताया है, जबकि जदयू और एनडीए नेता इसे नीतीश कुमार के बचाव के तौर पर पेश कर रहे हैं. यह विवाद अब महिला सम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और सत्ता की संवेदनशीलता जैसे बड़े मुद्दों से जुड़ चुका है.;
Nitish Kumar hijab row, Giriraj Singh controversial statement: हिजाब विवाद को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चल रही सियासी घमासान के बीच अब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान नए विवाद की वजह बन गया है. नीतीश कुमार का खुलकर बचाव करते हुए गिरिराज सिंह ने उस महिला डॉक्टर पर तीखी टिप्पणी की, जिसने नियुक्ति पत्र लेते वक्त चेहरा दिखाने से इनकार किया था.
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गिरिराज सिंह ने दोहराया कि इस पूरे मामले में नीतीश कुमार ने कोई गलती नहीं की. उन्होंने कहा, “अगर कोई नियुक्ति पत्र लेने आता है तो क्या पहचान नहीं दिखाई जाती? क्या यह कोई इस्लामिक देश है? पासपोर्ट बनवाने या एयरपोर्ट पर भी तो चेहरा दिखाना पड़ता है. यह भारत है, यहां भारत का कानून चलेगा.” जब उनसे पूछा गया कि अगर महिला नौकरी लेने से ही इनकार कर देती तो क्या होता, इस पर गिरिराज सिंह ने बेहद आपत्तिजनक लहजे में कहा, “वो नौकरी लेने से मना करे या जहन्नुम में जाए.” इतना कहकर वे पत्रकारों से बातचीत छोड़कर चले गए.
बयान पर सियासी बवाल, विपक्ष हमलावर
गिरिराज सिंह के इस बयान के बाद विपक्षी दलों और मुस्लिम नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती, जो जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कड़ा हमला बोला. उन्होंने लिखा कि इस तरह की भाषा बेहद घृणित है और मुस्लिम महिलाओं के पहनावे पर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
हिजाब विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
मंगलवार को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1,200 से अधिक आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. इसी दौरान एक महिला डॉक्टर हिजाब/नकाब में मंच पर आईं. वीडियो में देखा गया कि नीतीश कुमार पहले उनसे बात करते हैं और फिर अचानक उनका नकाब हटाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उन्हें रोकने की कोशिश करते भी दिखे. वीडियो सामने आते ही विपक्षी दल राजद और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर महिला की निजता और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
जदयू की सफाई, ‘प्यार और सम्मान’ का दावा
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू लगातार उनका बचाव कर रही है. पार्टी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा, “नीतीश जी ने एक मुस्लिम बेटी को प्यार से देखा. वे चाहते थे कि समाज उसकी सफलता का चेहरा देखे.” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष और कुछ मुस्लिम नेता जानबूझकर मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.
एनडीए सहयोगी की टिप्पणी से नया विवाद
इस बीच एनडीए सहयोगी निषाद पार्टी के नेता और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद की टिप्पणी ने भी नया विवाद खड़ा कर दिया. एक स्थानीय चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, “वह भी आदमी हैं. अगर नकाब छूने से इतना बवाल मच गया, तो कहीं और छू देते तो क्या हो जाता?” इस बयान के बाद आलोचना और तेज हो गई, और पूरा मामला अब सिर्फ नीतीश कुमार तक सीमित न रहकर एनडीए नेताओं की सोच और बयानबाज़ी पर सवाल खड़े कर रहा है.
बढ़ता विवाद, सियासी तापमान चरम पर
हिजाब को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब महिला सम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और सत्ता की संवेदनशीलता जैसे बड़े मुद्दों से जुड़ गया है. गिरिराज सिंह और अन्य नेताओं के बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है, जिससे आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी टकराव और तेज होने के संकेत हैं.