लालू के साथी से विरोधी और फिर किंगमेकर... नीतीश कुमार आज 10वीं बार लेंगे CM पद की शपथ- जानें ’मुन्ना’ से मुख्यमंत्री बनने तक की जर्नी
पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार आज 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नया इतिहास रचने जा रहे हैं. बुधवार को NDA विधायक दल की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर नई सरकार के गठन का दावा पेश किया. पीएम मोदी समेत कई शीर्ष नेता शपथग्रहण समारोह में मौजूद रहेंगे. उधर, बिहार की राजनीति में उनका यह नया अध्याय उस लंबी यात्रा और राजनीतिक उतार-चढ़ाव का प्रतीक है जिसने उन्हें राज्य का सबसे प्रभावशाली नेता बनाया.;
पटना गुरुवार को एक बार फिर बिहार की सियासत के सबसे बड़े मंच का गवाह बनने जा रहा है. ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, जो उन्हें भारत के आधुनिक राजनीतिक इतिहास के सबसे अधिक बार शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री की श्रेणी में स्थापित करता है. बुधवार को उनके इस्तीफे और सरकार के औपचारिक बिखराव के बाद NDA की नई सरकार के गठन की तैयारी पूरी हो गई है. बुधवार को राजभवन में राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें नई सरकार बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा. इससे पहले NDA विधायकों की बैठक में नीतीश को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया.
प्रस्ताव JDU के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने रखा और इसका समर्थन BJP नेताओं, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा, ने किया. LJP (RV), HAM और RLM ने भी समर्थन दिया. इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और यूपी के डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य समेत शीर्ष नेताओं के साथ राजभवन पहुंचे और नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. शपथ से पहले सभी NDA पार्टियां समर्थन पत्र सौंपेंगी.
प्रधानमंत्री मोदी भी शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल
गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होने वाले हैं. यह NDA की शक्ति प्रदर्शन का भी मंच होगा.
कैबिनेट का खाका तैयार, NDA में संतुलन साधने की कोशिश
- नई सरकार का आकार और चेहरे लगभग तय माने जा रहे हैं... सूत्रों के अनुसार, JDU के 14 मंत्री होंगे, जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल हैं. विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, मदन सहनी, मोहम्मद जामा खान, उमेश कुशवाहा, अशोक चौधरी आदि मंत्री पद के दावेदार हैं. कुछ नए चेहरों, जैसे- राहुल कुमार सिंह, सुधांशु शेखर, कलाधर प्रसाद और पन्ना लाल सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
- BJP के 16 मंत्री होंगे. ज्यादातर पुराने चेहरे बरकरार रखे गए हैं, जिनमें सम्राट चौधरी, मंगल पांडे, रेनू देवी, जिबेश कुमार, नीरज सिंह, जानक राम, सूर्येंद्र मेहता, संतोश कुमार सिंह आदि शामिल हैं. वहीं, संभावित नए चेहरों में पूर्व IPS आनंद मिश्रा, राणा रंधीर, गायत्री देवी और विजय कुमार खे़मका आदि शामिल हैं.
- छोटे सहयोगियों LJP (RV) के 3 मंत्री, HAM व RLM के 1-1 मंत्री शामिल होंगे.
- विधानसभा अध्यक्ष BJP का, जबकि डिप्टी स्पीकर JDU का होगा.
- NDA केंद्र–राज्य संतुलन, जातीय प्रतिनिधित्व और राजनीति की मजबूती को पूर्व की तुलना में ज्यादा व्यवस्थित तरीके से साधना चाहता है.
नीतीश कुमार: आंदोलनकारी से 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने तक की ‘राजनीतिक गाथा’
बिहार की राजनीति में अगर किसी नेता की यात्रा सबसे ज्यादा उतार–चढ़ाव, पलटवार, गठबंधन परिवर्तन और राजनीतिक पुनर्जन्म से भरी है, तो वह हैं नीतीश कुमार... उनका नाम सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि बिहार की सत्ता की धुरी का पर्याय बन चुका है...
शुरुआत: बख्तियारपुर से जेपी आंदोलन तक
- 1951 में जन्मे नीतीश बचपन में ‘मुन्ना’ नाम से पुकारे जाते थे। पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर और कांग्रेस से जुड़े थे.
- पटना इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हुए वे यूनाइटेड स्टूडेंट्स फ्रंट से जुड़े.
- 1972 में स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष बने.
- इंजीनियर की नौकरी छोड़कर JP आंदोलन में कूद पड़े.
शुरुआती चुनाव और हार–जीत
- 1977 व 1980: हरनौत से दो चुनाव, दोनों में हार
- 1985: पत्नी मंजू सिन्हा द्वारा दिए गए ₹20,000 से चुनाव लड़कर पहली जीत
- 1989: लोकसभा पहुंचे
- 1990: लालू के सबसे भरोसेमंद सहयोगी बने
लालू से मोहभंग और समता पार्टी
1995 के चुनाव में नीतीश–जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी बनी, लेकिन लालू 167 सीटों के साथ सत्ता में लौटे.
2000 का बड़ा पल: ‘7 दिन की सरकार’
NDA ने नीतीश को CM बनाया, लेकिन बहुमत न जुटा सके और सरकार सिर्फ 7 दिनों में गिर गई.
2005: बदलाव की शुरुआत
- फरवरी में अधर में लटका चुनाव, राष्ट्रपति शासन
- नवंबर 2005: NDA की बड़ी जीत
- नीतीश पहली बार पूर्ण मजबूत CM बने, 'सुशासन मॉडल' यहीं से शुरू हुआ
2010: काम का चरम
- 115 सीटों की चमकदार जीत
- विकास और कानून व्यवस्था को बिहार के एजेंडा पर लौटाया
2013: मोदी के विरोध में NDA से अलगाव
गोवा में मोदी को प्रचार समिति प्रमुख बनाए जाने के बाद JDU–BJP का 17 साल पुराना गठबंधन टूट गया.
2014–15: हार, इस्तीफा और वापसी
- लोकसभा में सिर्फ 2 सीटें
- नीतीश ने इस्तीफा दिया, मांझी को कुर्सी सौंपी
- फिर खुद लौट आए और लालू के साथ हाथ मिला लिया
- 2015 में RJD–JDU–Congress गठबंधन की सरकार
2017: मास्टरस्ट्रोक- महागठबंधन से बाहर, NDA में वापसी
20 महीने में भ्रष्टाचार आरोपों के बाद लालू से अलग होकर नीतीश फिर NDA में आ गए.
2020- कम सीटों के बावजूद NDA के CM
JDU तीसरे स्थान पर आई (43 सीटें), लेकिन NDA ने उन्हें CM माना.
2022–24: फिर पलटी, फिर वापसी
- 2022 में नीतीश ने बीजेपी से “कभी साथ नहीं जाने की कसम” खाई और महागठबंधन में चले गए.
- जनवरी 2024 में फिर NDA में वापसी और 9वीं बार शपथ ली
2025- 10वीं शपथ, नया रिकॉर्ड
- 85 सीटों के साथ JDU ने 2025 में जोरदार वापसी की
- नीतीश फिर NDA का चेहरा बने और बिहार का एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू हो गया
बिहार की राजनीति में नीतीश अब 'फैक्टर' नहीं,'फॉर्मूला' हैं
बिहार की चुनावी राजनीति में जातीय समीकरण, विकास, भ्रष्टाचार-विरोध, दिल्ली–पटना रिश्ते… जैसे हर बड़े सवाल में नीतीश कुमार निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. 10वीं शपथ के साथ वे सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि इंडियन पॉलिटिक्स के सबसे लंबे और सबसे जटिल राजनीतिक प्रयोग का नाम बन चुके हैं.