रोहिणी आचार्य के आरोपों पर किस मुंह से बोलेंगे तेजस्वी यादव? RJD के पूर्व प्रवक्ता ने बताई अंदर की बात
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के परिवार में रोहिणी आचार्य लगातार एक के बाद एक खुलासा कर रहीं हैं. इस तेज प्रताप यादव ने बहन का समर्थन करते हुए कहा कि जो बहन का अपमान करेगा, उसके खिलाफ सुदर्शन चक्र चलेगा. इस मसले पर अब तक तेजस्वी चुप हैं, पर क्यों? कहां हैं तेजस्वी यादव, राबड़ी आवास के बाहर सन्नाटा क्यों है?
बिहार की राजनीति और लालू परिवार में मचे तूफान के बीच तेजस्वी यादव की चुप्पी सबसे ज्यादा चर्चा में है. उनकी बहन द्वारा लगाए गए आरोपों ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, लेकिन तेजस्वी अब तक एक शब्द भी नहीं बोले हैं. विरोधी इसे कमजोरी बता रहे हैं, जबकि समर्थक इसे रणनीतिक चुप्पी कह रहे हैं. आरजेडी विधायक दल की बैठक में भी उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि पार्टी संभालूं या परिवार. आखिर तेजस्वी अब तक क्यों शांत हैं? उनकी चुप्पी के क्या हैं मायने? उनकी यह चुप्पी राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दे रही है. क्या यह रणनीति है या दबाव?
रोहिणी ने क्या लगाए थे आरोप?
लालू परिवार में आंतरिक मतभेद पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला और गंभीर इसलिए है क्योंकि बहन (रोहिणी आचार्य) ने अपने ही परिवार और पार्टी नेतृत्व पर उपेक्षा, भेदभाव और गलत फैसलों के आरोप लगाए. रोहिणी ने चप्पल फेंकने के भी आरोप लगाए हैं. परिवार के फैसलों में उनकी अनदेखी हो रही है. चुनावी रणनीति लागू करने में भाई यानी तेजस्वी यादव एकतरफा फैसले ले रहे हैं. इन आरोपों ने परिवार के भीतर नई खाई पैदा कर दी है.
तेजस्वी की चुप्पी - रणनीति या मजबूरी?
तेजस्वी द्वारा किसी भी बयान से दूरी बनाए रखना कई संकेत देता है. पहला यह कि वो विवाद को हवा नहीं देना चाहते हों. चुनावी हार के बाद से पार्टी पहले से दवाब में है. ऐसे में वे नए विवाद से बचना चाहते हैं. तेजस्वी यादव अक्सर परिवारिक मतभेदों पर सार्वजनिक बोलने से परहेज करते रहे हैं. विपक्ष पहले ही RJD में टूट-फूट का आरोप लगा रहा है. ऐसे में वह बोलने से बेहतर चुप रहना ही समझ रहे हों.
लालू प्रसाद की भूमिका
दूसरी तरफ ये भी बताया जा रहा है कि तेजस्वी बिना पिता की अनुमति के आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते. विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी की चुप्पी से कई तरह के संदेश रहे हैं. पहला ये कि वे कंट्रोल में हैं और मामले को शांत तरीके से हैंडल करना चाहते हैं. परिवार में टकराव को वे बड़ा मुद्दा नहीं बनने देना चाहते, लेकिन उनके विरोधी इसे 'कमजोरी और असहज स्थिति' के रूप में पेश कर रहे हैं. इस बीच सोशल मीडिया में पार्टी समर्थक दो तरफ बंट गए हैं. एक तेजस्वी के समर्थन में, दूसरा बहन की शिकायतों के साथ.
क्या लालू यादव करेंगे हस्तक्षेप?
परिवार में जब भी विवाद बढ़ता है, अंतिम फैसले लालू यादव ही लेते हैं. इस बार भी सभी की निगाहें उन्हीं पर हैं. माना जा रहा है कि वे पर्दे के पीछे बातचीत कर रहे हैं. तेजस्वी संभवतः उन्हीं के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. यानी चुप्पी के पीछे 'ऊपर से निर्देश' भी एक बड़ा कारण हो सकता है.
RJD में इसका क्या असर?
लालू परिवार के सदस्यों के बीच विवाद की वजह से पार्टी में गुटबाजी की चर्चा बढ़ गई है. कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है. तेज प्रताप और अन्य सदस्यों के ताजा बयानों ने माहौल और गरमा दिया है. पार्टी नेतृत्व चाहता है कि कोई भी विवाद नुकसान न पहुंचा दे. यही वजह है कि तेजस्वी की चुप्पी को फिलहाल नुकसान कम करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है.
अनवर हुसैन बहन के अपमान पर क्या बोलेंगे?
राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व प्रवक्ता अनवर हुसैन ने लालू यादव के पारिवारिक विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बेबाकी के साथ कहा है कि तेजस्वी यादव अपनी बहन के अपमान पर किस मुंह से कुछ बोलेंगे. उनके पास बोलने के लिए क्या है? वो अभी कुछ नहीं बोल सकते. अगर कुछ बोलेंगे, तो खुद की जग हंसाई कराएंगे. पार्टी की छिछालेदारी होगी सो अलग.
अनवर हुसैन के मुताबिक असल में उनके काम ही ऐसे हैं कि वो कुछ नहीं कर सकते. हो सकता है कि लालू यादव ने भी कहा हो कि अभी कुछ मत बोलना. इस मामले में एक बात साफ है. तेजस्वी का लालू फैमिली में अपर हैंड है. यही वजह है कि उनके राइट हैंड संजय यादव कुछ भी कर लेता है. यही वजह है उन्होंने कुछ न बोलने की नीति पर चल रहे हैं.
राहुल को डिस क्रेडिट करने की कोशिश
इंडिया गठबंधन के अपमानजनक हार पर कहा कि इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी. इसमें जरूर कुछ झोल है. यह राहुल गांधी को डिस क्रेडिट करने की रणनीति है. ताकि लोकसभा चुनाव परिणाम की वजह से मोदी की इमेज को जो झटका लगा था, उससे बाहन निकला जा सके.





