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पार्टी देखूं या परिवार... तेजस्वी ने क्यों ठुकराया नेता प्रतिपक्ष का पद? फिर लालू ने संभाला मोर्चा- पढ़ें RJD बैठक में क्या-क्या हुआ

बिहार चुनावों में करारी हार के बाद आरजेडी के भीतर हलचल थमने का नाम नहीं ले रही. पार्टी के चेहरे तेजस्वी यादव पर जहां हार की जिम्मेदारी का बोझ है, वहीं परिवार के भीतर की कलह ने हालात और पेचीदा कर दिए हैं. समीक्षा बैठकों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नेतृत्व की दिशा क्या होगी और आरजेडी किस राह पर चलेगी.

पार्टी देखूं या परिवार... तेजस्वी ने क्यों ठुकराया नेता प्रतिपक्ष का पद? फिर लालू ने संभाला मोर्चा- पढ़ें RJD बैठक में क्या-क्या हुआ
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( Image Source:  Social Media )
हेमा पंत
By: हेमा पंत

Published on: 18 Nov 2025 7:14 PM

बिहार चुनावों में करारी हार के बाद आरजेडी के भीतर हलचल थमने का नाम नहीं ले रही. पार्टी के चेहरे तेजस्वी यादव पर जहां हार की जिम्मेदारी का बोझ है, वहीं परिवार के भीतर की कलह ने हालात और पेचीदा कर दिए हैं. समीक्षा बैठकों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नेतृत्व की दिशा क्या होगी और आरजेडी किस राह पर चलेगी.

इसी उथल-पुथल के बीच तेजस्वी का अचानक नेता प्रतिपक्ष बनने से इनकार करना और फिर पिता लालू यादव के दबाव पर मान जाना इस सियासी ड्रामे में और दिलचस्प मोड़ जोड़ देता है.

तेजस्वी का इनकार और लालू का हस्तक्षेप

समीक्षा बैठक में तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि वे इस चुनावी हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं और अब सिर्फ विधायक की भूमिका निभाना चाहते हैं. उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी को नया नेतृत्व मिलना चाहिए. लेकिन लालू यादव ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि तेजस्वी ही सदन में पार्टी का चेहरा रहेंगे. परिवार और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी एक सुर में तेजस्वी के पक्ष में समर्थन जताया.

25 सीटों पर सिमट गई आरजेडी

2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनी आरजेडी इस बार सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई. इस गिरावट का दबाव तेजस्वी के चेहरे पर साफ दिखा, लेकिन लालू यादव की हिदायतों ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी अभी भी उनके अनुभव और तेजस्वी की युवाशक्ति के संयोजन पर ही टिके रहना चाहती है.

संजय यादव पर विवाद और तेजस्वी का बचाव

तेजस्वी यादव ने मीटिंग में अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी संजय यादव का खुलकर बचाव किया. रोहिणी आचार्य द्वारा लगाए गए निजी आरोपों के बाद संजय यादव लगातार निशाने पर थे, लेकिन तेजस्वी ने कहा कि उन्हें चुनावी हार का जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल गलत है. संजय यादव लंबे समय से तेजस्वी की टीम का अहम हिस्सा हैं, चुनावी रणनीति, उम्मीदवार चयन और कैंपेन प्लानिंग में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. दिलचस्प बात यह है कि पहले तेज प्रताप भी उन्हीं पर आरोप लगा चुके हैं कि वे खुद को तेजस्वी से दूर रखते हैं. यह विवाद अब परिवार के भीतर गहराई तक पहुंच चुका है.

परिवार की दरार पर लालू का बयान

रोहिणी के परिवार छोड़ने वाले पोस्ट ने माहौल और तनावपूर्ण बना दिया. हालांकि तेजस्वी ने इस पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन लालू यादव ने साफ कहा कि 'यह हमारा आंतरिक मामला है, इसे परिवार में ही सुलझाया जाएगा.' हार के बाद आरजेडी जिस संकट से गुजर रही है, उसमें राजनीतिक रणनीति, परिवार की भावनाएं और पार्टी नेतृत्व की मजबूरी, तीनों ही एक-दूसरे से उलझे दिखाई देते हैं. बिहार की राजनीति में यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई, बल्कि एक नया अध्याय शुरू होने वाला है.

बिहारतेजस्वी यादव
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