पांडव जैसा NDA, महागठबंधन में 'सिर फुटव्वल'... दिलीप जायसवाल ने RAGA पर कसा तंज, अपने नेता के खिलाफ क्यों हुए पप्पू यादव?
बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर दरार और असहमति बढ़ती जा रही है. पप्पू यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने खुलकर गठबंधन की अंदरूनी खींचतान का जिक्र किया है. एनडीए की मजबूत एकजुटता के मुकाबले महागठबंधन के भीतर दोहरे उम्मीदवार और स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी चर्चा में है. जानें कैसे ये विवाद चुनावी रणनीति और बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.;
बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति और बढ़ती जा रही है. सहयोगी दलों के बीच अंतिम सहमति नहीं बनने से पहले ही कई सीटों पर दोहरे उम्मीदवार खड़े हो चुके हैं. इस परिस्थिति ने चुनावी रणनीति को जटिल बना दिया है. बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में महागठबंधन पर तंज कसा और इसे ‘सिर फुटव्वल’ वाला गठबंधन बताया.
जायसवाल ने कहा कि NDA गठबंधन में पांडव यानी पांच प्रमुख दलों की चट्टानी एकता है, जो किसी भी चुनावी चुनौती का सामना कर सकती है. उनका कहना है कि महागठबंधन के अंदर नेता केवल आरोप-प्रत्यारोप में समय गंवा रहे हैं और जनता इसे देख रही है. उन्होंने जोर देते हुए कहा, “जो महागठबंधन सीटों का बंटवारा नहीं कर सकता, वह बिहार के विकास की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकता. इसलिए मतदाता ने पहले ही तय कर लिया है कि भारी बहुमत से NDA की सरकार बनानी है.”
महागठबंधन पर पैसों का आरोप
जायसवाल ने महागठबंधन पर टिकट बंटवारे में पैसों के खेल का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा, “पहले ये लोग नौकरी के लिए जमीन लिखवाते थे और अब टिकट के लिए पैसे और जमीन दोनों ले रहे हैं. ऐसे लोगों से बिहार के विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती.” उनका यह बयान महागठबंधन के अंदर चल रही भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के मुद्दों को उजागर करता है.
पप्पू यादव का कड़ा हमला
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी महागठबंधन की रणनीति पर तीखा हमला बोला. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “राज्य में 12 स्थानों पर महागठबंधन ने दोहरे उम्मीदवार उतारे हैं. क्या इस तरह से कोई गठबंधन सफल हो सकता है?” उनके बयान से यह स्पष्ट है कि महागठबंधन के भीतर असंतोष और नाराजगी बढ़ रही है.
कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की चिंता
पप्पू यादव ने कहा कि गठबंधन की जिम्मेदारी रखने वालों को समन्वय स्थापित करना चाहिए. उनका यह भी मानना है कि “टिकट बंटवारा पूरी तरह अव्यवस्थित है और स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ है. इससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई है और जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है.” यह बात यह संकेत देती है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो महागठबंधन की चुनावी तैयारी कमजोर पड़ सकती है.
कांग्रेस पर निशाना
पप्पू यादव ने महागठबंधन के भीतर सबसे बड़े दल कांग्रेस को भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए और यह देखना होगा कि क्या वे जनभावनाओं के अनुरूप काम कर रहे हैं या केवल सत्ता की राजनीति में उलझे हुए हैं.” उनके इस बयान से स्पष्ट है कि महागठबंधन के अंदर घटक दलों के बीच तालमेल कमजोर है और इसका असर चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है.
सीमांचल क्षेत्र में संभावित असर
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पप्पू यादव के बयान का असर सीमांचल क्षेत्र में सबसे ज्यादा दिखाई देगा, जहाँ उनका जनाधार और प्रभाव मजबूत है. उनके समर्थकों में यह संदेश जा रहा है कि वे केवल सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांतों और नीति के लिए राजनीति कर रहे हैं. इससे महागठबंधन की एकजुटता और उसके प्रत्याशियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
विवाद सुलझेगा या बढ़ेगा?
अब यह देखना बाकी है कि महागठबंधन के घटक दल पप्पू यादव के बयान पर क्या प्रतिक्रिया देंगे. क्या वे आंतरिक विवाद को सुलझा पाएंगे या टकराव और बढ़ेगा? बिहार चुनाव के नजदीक आने के साथ यह दरार मतदाताओं की राय पर भी असर डाल सकती है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति यथावत रही तो NDA का चुनावी लाभ बढ़ सकता है, जबकि महागठबंधन का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है.