INSIDER: शिल्पी जैन कांड उछाल कर छाए प्रशांत किशोर, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की खामोशी उनके ‘राकेश’ होने की चुगली कर रही है!
जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने 1999 के शिल्पी जैन–गौतम सिंह हत्याकांड को फिर से उछालते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (उर्फ़ राकेश कुमार) पर नामज़द होने का आरोप लगाया है. किशोर के आरोपों और सवालों ने चुनावी माहौल गर्म कर दिया है और सम्राट चौधरी की खामोशी पर सियासी बहस तेज है. लेख में कटाक्ष है कि पुराने मामले के ‘गड़े मुर्दे’ राजनीतिक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं और अब सम्राट चौधरी के लिए अपना नाम साफ़ करने की चुनौती पैदा हो गई है.;
जब-जब जमाने में गड़े मुर्दे उखड़ते हैं या उखाड़े जाते हैं तब-तब...कैसे ये सियासतदानों के गले की फांस बन जाते हैं, जैसे कि अब से करीब 26-27 साल पहले बिहार की राजधानी पटना (Patna Bihar Shilpi Jain Murder) में हुए शिल्पी जैन-गौतम सिंह (Shilpi Jain Gautam Singh Murder) दोहरे हत्याकांड का मरा हुआ सांप, या कहिए कि बीते कई साल से बोतल में बंद इस डबल मर्डर रूपी ‘राजनीतिक-जिन्न’ को बोतल से बाहर निकाल कर जनसुराज पार्टी के बांके-बहादुर प्रशांत किशोर ने बिहार के चीफ-मिनिस्टर नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) के राइट हैंड यानी बेहद खास-विश्वासपात्र राज्य के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार (Deputy CM Samrat Chaudhary alias Rakesh Kumar) की जान का कलेश बना डाला है.
बिहार के राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में इस मुद्दे पर मची अफरा-तफरी मची है या कहिए कि बिहार में चुनावी सिर-फुटव्वल के इस दौर में जनसुराज पार्टी के प्रशांत किशोर द्वारा, विधानसभा चुनाव 2025 के गरम माहौल में बुने गए घने जाल में चौतरफा बुरी तरह से उलझ कर फड़फड़ा रहे, सम्राट चौधरी की खामोशी के संग यह कहानी “आग में घी” का काम कर रही है. सूबे में चूंकि माहौल इलेक्शन का है. गली-कूचे के स्तर का नेता भी सत्ता के सिंहासन पर सजकर बैठने की हसरत में अंधा हुआ पड़ा है. तो बीते दो दशक से सत्ता के सिंहासन का सुख भोगकर मलाई चाट रहे सत्तासीन फिर से सत्ता के सिंहासन पर खुद के बैठने का मोह, किसी भी कीमत पर छोड़ने को राजी नहीं हैं.
चुप क्यों बैठते प्रशांत किशोर...
सत्ता के सिंहासन की इस घुड़दौड़ में शामिल प्रशांत किशोर भला फिर कैसे और क्यों चुप बैठे रहते? सो जब लगा कि राजनीतिक विरोधियों के गढ़ में सेंध लगाकर उन्हें धराशाही करने का कोई और रास्ता या बहाना हाथ नहीं लग रहा है. तब फिर ऐसे में प्रशांत किशोर ने भी सोचा कि बिहार राज्य सरकार और कानून-कोर्ट कचहरी की फाइलों में बीते 26-27 साल से दफन. बिहार के जंगलराज के बदनाम शिल्पी जैन गौतम सिंह डबल मर्डर के गड़े मुर्दे ही उखाड़कर क्यों न पॉलिटिक्स के बाजार में बेचकर कैश करा लिये जाएं.
नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की बोलती बंद
3 जुलाई 1999 को हुए शिल्पी जैन और गौतम सिंह दोहरे हत्याकांड का मरा हुआ सांप प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक प्रपंच के खजाने से जब बाहर निकाला, तो वह सीधा जाकर गिरा सूबे के मौजूदा डिप्टी चीफ मिनिस्टर सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार के गले में. ऐसा मरा हुआ सांप जिसने सूबे के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की न केवल बोलती बंद कर डाली अपितु, बिहार में सत्ता के सिंहासन का सुख भोगने को दिन-रात बेचैन हुए पड़े प्रशांत किशोर ने, गुरु-चेला नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की ‘घिघ्घी’ तक बांध दी. जिससे नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी के मुंह से शिल्पी जैन गौतम सिंह हत्याकांड को लेकर आज आवाज तक नहीं निकल रही है.
लालू के साले साधु यादव के गराज से मिली थी शिल्पी जैन की लाश
पटना वीमेंस कॉलेज की स्टूडेंट शिल्पी जैन जोकि बिहार के नामी कपड़ा व्यवसायी उज्जवल कुमार जैन की बेटी थीं, 3 जुलाई 1999 को उनकी लाश उन्हीं के हम-उम्र युवक-दोस्त गौतम सिंह की लाश के साथ रात के वक्त बरामद हुई थी. जिस गैराज में खड़ी कार में लाशें मिलीं वह गैराज गांधी मैदान पटना के पास मौजूद विधायक क्वार्टर्स में स्थित थी. गैराज के एकदम बराबर में स्थित था लालू यादव के साले, राबड़ी देवी के भाई, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव, भारती यादव मीसा यादव के मामा साधू यादव का सरकारी फ्लैट. साधू यादव उन दिनों एमएलसी थे. उस दोहरे हत्याकांड में उनका भी नाम खूब सुर्खियों में रहा था क्योंकि लाशें उन्हीं के गैराज में खड़ी कार से मिली थीं. वे उस डबल मर्डर में फंसते-फंसते कैसे बच गए. इस सवाल का जवाब 26-27 साल बाद भी सीबीआई, बिहार पुलिस और इन तीन दशक में बिहार में आई- गईं सरकारें भी न तलाश सकीं. क्योंकि इस डबल मर्डर की परतें खुलते ही बिहार के कई बड़े इज्जतदार, माननीय-राजनेता और उनके रुतबे-रसूखदार घराने जनता के सामने चौराहे पर नंगे जो हो जाते.
किशोर की गुगली से कैसे बचेंगे सम्राट?
हां, अब तो इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि उसी इतने पुराने शिल्पी जैन और गौतम सिंह के डबल मर्डर के गड़े मुर्दे उखाड़ कर देखिए, आज कैसे 26 साल बाद जनसुराज पार्टी के तेज-दिमाग मैनेजर प्रशांत किशोर ने बिहार की सत्ता के गलियारों में तूफान ला दिया है. विशेषकर यह मुद्दा नीतीश कुमार और उनके उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को तो न उगलते बन रहा है न ही निगलते बन रहा है. बिहार की सत्ता के दोनों कद्दावर मंझे हुए खिलाड़ियों की समझ में नहीं आ रहा है कि वे, अपने राजनीतिक धुर-विरोधी प्रशांत किशोर द्वारा फेंकी गई इस गुगली की हद या चपेट में आने से खुद को आखिर बचाएं भी तो कैसे.
अभी तो प्रशांत किशोर ने बस एक सवाल पूछा है?
अभी तो प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी से सिर्फ इतना पूछा है कि वह बताएं कि वे शिल्पी जैन-गौतम सिंह डबल मर्डर में “राकेश कुमार” के नाम से शामिल थे या नहीं? प्रशांत किशोर तो यह भी ठोंक कर नहीं कह रहे हैं कि शिल्पी जैन और गौतम हत्याकांड में सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार शामिल थे ही. इतने छोटे या कहिए आधे-अधूरे चार-पांच अल्फाजों के सवाल से जब बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पसीने से तर-ब-तर यानी हलकान हुए पड़े हैं, तब सोचिए कि आने वाले दिनों में अगर प्रशांत किशोर ने कहीं शिल्पी जैन हत्याकांड में सम्राट चौधरी के “राकेश कुमार” के नाम से शामिल होने के मजबूत सबूत ही जमाने के सामने ला पटके. तो आज खुद को खामोश रखकर बचाने की कोशिश में जुटे सम्राट चौधरी, आने वाले दिनों में शिल्पी जैन गौतम हत्याकांड के अब बोतल से बाहर निकाले जा चुके जिन्न से अपनी खाल कैसे बचाएंगे.
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor Jansuraj Party) द्वारा फैलाए जाल में फंसकर फड़फड़ा रहे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) इस कांड में दबी जुबान से “बेदम” होकर सिर्फ इतना भर फुसफुसा रहे हैं कि, प्रशांत किशोर उस डबल मर्डर में कालांतर के जिस राकेश कुमार नाम के आरोपी को आज का “सम्राट चौधरी” बता रहे हैं वह राकेश तो कोई और था. आज के बिहार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सम्राट चौधरी से उस शिल्पी हत्याकांड में नामजद वाले राकेश कुमार आज के सम्राट चौधरी से कोई वास्ता नहीं था. इस वक्त चारों ओर से बुरी तरफ फंसे हुए और बिचारे सम्राट चौधरी तो उस कांड में जैसे मानों एकदम दूध के धुले हुए हों.
प्रशांत किशोर के आरोपों पर सम्राट की चुप्पी से उठते सवाल
अगर सम्राट चौधरी वास्तव में शिल्पी जैन हत्याकांड में दूध के धुले हैं ही तो फिर सवाल यह खड़ा होता है कि जब प्रशांत किशोर उन्हें आज, बिहार की राजनीति के मैदान में खुलेआम इसी मुद्दे पर घेर कर चुनौती दे रहे हैं, तब जवाब में सम्राट चौधरी कोई ठोस या कड़ी प्रतिक्रिया प्रशांत किशोर को आखिर क्यों नहीं दे पा रहे है. क्योंकि आज सम्राट चौधरी इस अपने बेहद बदनामी वाले गरम राजनीतिक मुद्दे पर बकरे के बच्चे यानी मेमने की तरह प्रशांत किशोर के सामने ‘मिमिया’ या “घिघिया” रहे हैं. सम्राट चौधरी क्यों नहीं खुलकर कहते हैं कि वे जल्दी ही इन बेबुनियाद बे-सिर पैर के आरोपों के खिलाफ प्रशांत किशोर के ऊपर मानहानि का मुकदमा ठोंक कर उन्हें कोर्ट कचहरी में घसीटेंगे.
धुंआ वहीं उठता है जहां कभी आग लगी हो
कुल जमा यह कहना गलत नहीं होगा कि धुंआ वहीं उठता है जहां कभी आग लगी हो. किसी भी दर-ओ-दीवार पर धुएं के काले डरावने निशां वहीं मौजूद मिलते हैं जहां कभी आग लगकर बुझ चुकी हो. मतलब प्रशांत किशोर ने अगर आज 26-27 साल बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में शिल्पी जैन डबल मर्डर का मरा हुआ सांप लाकर फेंका है. तो कहीं न कहीं तो कुछ न कुछ तो दाल में काला जरूर होगा. दाल में काला है तभी तो इस मामले में अपनी इस कदर छीछालेदर करवा रहे बिहार के मौजूदा उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की वह बुलंद आवाज, उनके अपने ही मुंह से बाहर नहीं निकल पा रही है जिसके लिए वह राजनीति की दुनिया में अबतक जाने-पहचाने जाते रहे हैं.
सम्राट चौधरी के सामने खुद को पाक-साफ साबित करने की चुनौती
बेशक प्रशांत किशोर भले ही सत्ता के सुख से अब तक वंचित रहे हों मगर उन्हें इतना तो ज्ञान होगा ही कि इस तरह के आरोपों की आग सम्राट चौधरी जैसे किसी सत्तासीन कद्दावर राजनीतिक विरोधी की ओर उछालने का परिणाम क्या और प्रशांत किशोर के लिए कितना खतरनाक सिद्ध हो सकता है. अगर आइंदा यह आरोप गलत, मनगढ़ंत या झूठे पाए गए. मतलब साफ है बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव से ठीक पहले प्रशांत किशोर को शिल्पी जैन हत्याकांड के गड़े मुर्दे बाहर लाकर जो जबरदस्त राजनीतिक चाल चलनी थी वह उन्होंने चल दी. अब इन शर्मनाक आरोपों से खुद को पाक-साफ-बेदाग साबित करने का बोझ कहिये या फिर जिम्मेदारी तो सम्राट चौधरी के कंधों पर है. ताकि वे बिहार की जनता के सामने अपना उजला मुंह लेकर वोट मांगने जा सकें. साथ ही यह भी सम्राट चौधरी को ही साबित करना है कि कालांतर में शिल्पी जैन हत्याकांड में नामजद राकेश कुमार नाम के शख्स वे यानी सम्राट चौधरी नहीं थे. अगर ऐसा है तो फिर सवाल यह पैदा होना लाजिमी है कि वह दूसरा राकेश कुमार नाम का और कौन था, जिसे प्रशांत किशोर आज का बिहार का डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ही कालांतर का राकेश कुमार बताकर बिहार की राजनीति में तूफान लाए हुए हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन टाइम पहले जनसुराज पार्टी के माई-बाप प्रशांत किशोर द्वारा गड़े मुर्दे उखाड़ कर राजनीतिक गलियारों में फेंके जाने के बाद मचे बवाल-कोहराम और इस जी के जंजाल में फंसकर पंख कटे हुए पंक्षी की मानिंद फड़फड़ा रहे बिहार के मौजूदा उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की खामोशी, उन्हीं के लिए आज किस कदर मुसीबत बनती जा रही है. बिहार की राजनीति में इस मुद्दे पर इन दिनों मची उठा-पटक कहीं बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में भारतीय जनता पार्टी (बिहार बीजेपी) और उसके सहयोगी दलों के लिए बवाल-ए-जान न बन जाए. अगर ऐसा हुआ तो तय है कि इस दांव का पूरा-पूरा फायदा चुनावों में जनसुराज पार्टी के प्रशांत किशोर को मिलने से कोई नहीं रोक सकेगा. भले ही इस राजनीतिक फायदे के बाद भी राज्य में सत्ता के सिंहासन तक प्रशांत किशोर के पहुंच पाने की हसरत रास्ते में ही क्यों न दम तोड़ जाए.