कौन है बिहार का सबसे बड़ा और छोटा विधानसभा क्षेत्र? दीघा-बरबीघा की दिलचस्प है सियासी कहानी
बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए टफ साबित होने वाला है. एक तरफ राहुल तेजस्वी की जोड़ी तो दूसरी तरफ पीएम मोदी और नीतीश कुमार मोर्चा संभालेंगे. ऐसे में प्रदेश की सबसे छोटी और बड़ी विधानसभा सीटों पर भी चुनावी मुकाबला रोचक होने वाला है. दीघा में यादव तो बरबीघा भूमिहार मतदाता निभाते हैं निर्णायक भूमिका.;
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक माहौल गर्माने लगा है. चुनावी चर्चाएं तेज हो गई हैं. आम से लेकर खास तक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करने में जुटे हैं. ऐसे में लोगों के लिए एक दिलचस्प सवाल यह है कि बिहार का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र कौन सा है? अगर आपको इसका जवाब नहीं मालूम है तो चलिए हम बताते हैं बिहार के सबसे बड़े और छोटे विधानसभा क्षेत्र के बारे में.
बिहार में दीघा विधानसभा सीट एक ओर पटना की चमक दमक से जुड़ा है तो दूसरी ओर बरबीघा छोटे शहर शेखपुरा में बसा है, पर इतिहास से जुड़ा होने के कारण अपने आप में खास है.
सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र 'दीघा'
पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदाता सूची अपडेट के अनुसार वोटरों की संख्या 4,73,108 है. विधानसभा चुनाव 2020 में 4,60,868 मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज थे. इसमें दीघा विधानसभा क्षेत्र में 400 बूथ हैं. यह विधानसभा क्षेत्र में पटना के प्रमुख आवासीय इलाकों में से पाटलिपुत्र हाउसिंग कॉलोनी, पटना का मरीन ड्राइव, दीघा घाट, अटल पथ, जेपी सेतु पाटलिपुत्र कॉलोनी, राजीव नगर जैसे खास इलाके आते हैं. न्यू पटना का यह अहम हिस्सा है. पटना में मौजूद दीघा विधानसभा क्षेत्र गंगा नदी के किनारे बसा है. यह क्षेत्र पटना नगर निगम के 14 वार्डों और छह पंचायतों में फैला हुआ है. यह पटना साहिब लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है.
2008 के परिसीमन के बाद आया अस्तित्व में
साल 2008 में संपन्न चुनावी परिसीमन में दीघा विधानसभा अलग से बना था. यही वजह है कि इस विधानसभा का चुनावी इतिहास बहुत छोटा है. साल 2008 में अस्तित्व में आने के बाद यहां पहली बार 2010 में चुनाव हुआ. पहली बार विधानसभा चुनाव में जेडीयू की पूनम देवी जीतने में सफल हुई थी. इसके बाद 2015 और 2020 में तीसरी बार चुनाव हुआ. चौथी बार 2025 में चुनाव की तैयारी है.
एनडीए की परंपरागत सीट
साल 2010 में जेडीयू को जीत मिली. साल 2015 से अब तक लगातार बीजेपी के संजीव चौरसिया जीतते आ रहे हैं. इस लिहाज से दीघा सीट को एनडीए की परंपरागत विधानसभा क्षेत्र है. जबकि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा यादव मतदाता रहते हैं. इस क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या करीब 95 हजार, मुस्लिमों की 25 हजार, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ, राजपूत, कोइरी, कुर्मी, वैश्य समुदायों की 30 से 40 हजार मतदाता रहते हैं. हालांकि, यहां पर कायस्थ और महिला वोटर भी अहम भूमिका निभाते हैं.
सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र बरबीघा
बिहार के शेखपुरा जिले का बारबीघा विधानसभा सीट मतदाताओं की संख्या के हिसाब से बिहार की सबसे छोटी सीट है. इस क्षेत्र में लगभग 2.15 लाख मतदाता हैं, जो इसे सबसे कम मतदाता संख्या वाली विधानसभा सीट बनाता है.
बरबीघा विधानसभा सबसे छोटा लेकिन ऐतिहासिक क्षेत्र: बरबीघा विधानसभा शेखपुरा जिले में स्थित है और 1994 में मुंगेर से अलग होकर अस्तित्व में आया. नवादा संसदीय क्षेत्र में बरबीघा विधानसभा आता है बरबीघा विधानसभा में 2 लाख 26165 मतदाता 2020 में थे. हालांकि लोकसभा चुनाव में बढ़कर 2 लाख 32994 हो गया है इस बार इनकी संख्या कुछ और बढ़ सकती है.
पहले CM का जन्म स्थान है बरबीघा
श्रीकृष्ण सिंह और दिनकर की भूमि बरबीघा सीट जन्मभूमि है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर भी एक दौर में बरबीघा के विद्यालय में प्रधानाचार्य रह चुके हैं. कांग्रेस का कभी यह क्षेत्र गढ़ रहा है. यह क्षेत्र अब जेडीयू के विधायक के सुदर्शन के पास है.
भूमिहार मतदाता निभाते हैं अहम भूमिका
बरबीघा विधानसभा सीट पर भूमिहार मतदाता सबसे प्रभावशाली वोट बैंक में शुमार है. इस समुदाय के मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लगभग 20 प्रतिशत से अधिक आबादी इन्ही की है. यह समुदाय चुनावों की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाता है. इसके अलावा कुर्मी, यादव और पासवान (महादलित) जातियां भी महत्वपूर्ण वोट विभाजन का हिस्सा बनते हैं. यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस ने 17 विधानसभा चुनावों में से कम-से-कम 10 में जीत दर्ज की है.