एशिया कप का भारत और पाकिस्तान ने क्यों किया था बायकॉट? कहानी जानी अनजानी
एशिया कप 1986 में भारत ने श्रीलंका में जारी गृह युद्ध और सुरक्षा कारणों से बायकॉट किया था. उस समय अनुराधापुरा नरसंहार और खिलाड़ी सुरक्षा के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने टीम को भेजने से इनकार किया. पाकिस्तान ने 1990 में भारत के साथ राजनीतिक तनाव के कारण टूर्नामेंट का बायकॉट किया. भारत ने पिछले 34 सालों में एशिया कप की मेजबानी नहीं की है. इस साल 9 सितंबर से टूर्नामेंट शुरू हो रहा है, जिसमें भारत, पाकिस्तान समेत कुल 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं.;
9 सितंबर से एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू होने जा रहा है. इस बार इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, यूएई, ओमान और हॉन्गकॉन्ग समेत कुल 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं. भारत और पाकिस्तान जैसे चिर प्रतिद्वंद्वियों के शामिल होने के कारण यह टूर्नामेंट शुरू से ही चर्चा में रहा है. पर इसकी कई कहानियां आज के क्रिकेट प्रेमियों को शायद ही पता हों. ऐसी ही कहानी है साल 1986 और 1990 की.
एशिया कप 1986 इस टूर्नामेंट का दूसरा संस्करण था. इसका आयोजन श्रीलंका में 30 मार्च से 6 अप्रैल तक होना था. इसमें एशिया कप के पहले संस्करण की विजेता भारतीय टीम, उपविजेता श्रीलंका और तीसरे नंबर पर रही पाकिस्तान के साथ ही बांग्लादेश की नई टीम खेलने वाली थी.
1986 के एशिया कप से भारत के हटने की वजह
तब श्रीलंका में पिछले तीन साल से वहां की सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) के बीच चल रहा गृह युद्ध जारी था. उस आयोजन से क़रीब एक साल पहले ही वहां अनुराधापुरा नरसंहार (मई 1985) जैसी घटना हुई थी, जिसमें 146 लोग मारे गए थे. उसके बाद से ही यह गृह युद्ध अपने सबसे हिंसक दौर में प्रवेश कर गया था. ऐसे में खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने बीसीसीआई को निर्देश दिया कि वो इस टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले ले. सरकार ने ऐसे माहौल में टीम भेजने से साफ़ इनकार कर दिया.
बम विस्फ़ोट के बाद न्यूज़ीलैंड ने भी किया दौरा रद्द
हालांकि उस टूर्नामेंट में भारत के नहीं खेलने के बाद पाकिस्तान, होस्ट श्रीलंका और बांग्लादेश की टीमों ने भाग लिया और उस दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई और श्रीलंका इस टूर्नामेंट का पहली बार चैंपियन बना. एक साल बाद जब श्रीलंका में हुए एक बम विस्फ़ोट के बाद न्यूज़ीलैंड की टीम ने भी वहां का अपना दौरा रद्द कर दिया तब भारत सरकार की 1986 के एशिया कप में टीम इंडिया को नहीं भेजने की दूरदर्शिता जगजाहिर हुई.
ख़राब अंपायरिंग की वजह से...
वैसे तब भारत और श्रीलंका के बीच क्रिकेट के रिश्ते में भी तल्खी चल रही थी. 1985 के श्रीलंका दौरे पर भारत को ख़राब अंपायरिंग का सामना करना पड़ा था. उसी वजह से श्रीलंका ने पहली बार भारत को टेस्ट सीरीज में मात दी थी. उस सीरीज़ में मिली हार से उबरते हुए अभी एक साल का ही वक़्त गुज़रा था कि टीम को एशिया कप में खेलने जाना था और वहां अंपायरिंग फ़िर ख़राब होगी इस आशंका में कई खिलाड़ी भी एशिया कप 1986 में भाग नहीं लेना चाहते थे. श्रीलंका में अशांति तो थी ही, लिहाजा सरकार ने खिलाड़ियों की भावनाओं का समर्थन किया.
1986 के टूर्नामेंट पर क्या असर पड़ा?
भारत की ग़ैरमौजूदगी ने इस टूर्नामेंट में टीमों की संख्या घटा दी. पाकिस्तान, श्रीलंका औऱ बांग्लादेश की टीमें आपस में खेलीं. पाकिस्तान और श्रीलंका फ़ाइनल में पहुंचे. जहां श्रीलंका ने पाकिस्तान को हराते हुए पहली बार ख़िताब हासिल किया था. टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी श्रीलंका के अर्जुन राणातुंगे थे तो सबसे अधिक विकेट पाकिस्तान के अब्दुल कादिर को मिला था. अपने घरेलू पिच पर एशिया कप हासिल करने के बाद वहां के तत्कालीन राष्ट्रपित जेआर जयवर्धने ने मैच के अगले दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया.
पाकिस्तान ने भी किया है एशिया कप का बायकॉट
इस साल इस टूर्नामेंट का 17वां संस्करण खेला जा रहा है. श्रीलंका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने सभी संस्करणों में इस टूर्नामेंट में भाग लिया है. भारत की तरह ही पाकिस्तान ने भी एक बार इस टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था. ऐसा 1990 के संस्करण में हुआ था. तब पाकिस्तान ने भारत के साथ तल्ख रिश्तों को लेकर टूर्नामेंट का बायकॉ़ट कर दिया था.
34 साल से नहीं की है मेजबानी
आपको ये भी बता दें कि भारत ने पिछले 34 सालों से एशिया कप टूर्नामेंट का आयोजन नहीं किया है. इसकी सबसे बड़ी वजह दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव का होना है. जब भी भारत को मेजबानी देने की बात आती है, पाकिस्तान अड़ंगे लगाता है. 2018 में भारत को मेजबानी मिली भी तो सभी मैच यूएई में खेले गए, जैसा कि इस बार भी हो रहा है और मजबूरी में भारत को यूएई में ही बतौर होस्ट खेलना पड़ रहा है.