चुने नहीं जाने का डर, अनदेखी या ख़राब प्रदर्शन- रोहित, कोहली, पुजारा के संन्यास की असली वजह क्या है?
रोहित शर्मा, विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज क्रिकेटरों के हालिया संन्यास ने फैंस को झकझोर दिया है. हालांकि वजहें साफ हैं - उम्र, गिरता प्रदर्शन और चयनकर्ताओं का भरोसा न होना. रोहित ने टेस्ट में औसत प्रदर्शन और 38 साल की उम्र में विदाई ली, विराट 2020 से टेस्ट में लगातार संघर्ष कर रहे थे, जबकि पुजारा लंबे इंतज़ार और कमजोर बल्लेबाज़ी से निराश होकर हटे. तीनों का संन्यास भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक युग का अंत माना जा रहा है.;
इस साल क्रिकेट से संन्यास लेने की ख़बरें झकझोर रही हैं क्योंकि एक-एक कर कई दिग्गज संन्यास का एलान कर रहे हैं. विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे क्रिकेटरों के साथ-साथ संन्यास लेने वाले क्रिकेटरों में वरुण एरोन, रविचंद्रन अश्विन और चेतेश्वर पुजारा जैसे क्रिकेटर का नाम जुड़ा है. रोहित, विराट और अश्विन को छोड़ कर अन्य सभी क्रिकेटर्स लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले के लिए टीम इंडिया में नहीं चुने जा रहे थे जिसके बाद उन्होंने थक हार कर संन्यास का एलान कर दिया.
जहां एक ओर इन खिलाड़ियों के कद को देखते हुए बात ये की जा रही है कि अगर बीसीसीआई ने इनका साथ दिया होता तो शायद के एक-दो साल और खेल लेते लेकिन कोई इन खिलाड़ियों के पिछले कुछ सालों के दरम्यान टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन की चर्चा नहीं कर रहा. चलिए हम आपको बताते हैं कि इन तीनों खिलाड़ियों ने क्रिकेट के बड़े फ़ॉर्मेट में हाल के दिनों में कैसा प्रदर्शन किया है और- चुने नहीं जाने का डर या ख़राब प्रदर्शन- रोहित, विराट, पुजारा के संन्यास की असली वजह क्या है?
पहले से थीं रोहित के संन्यास लेने की अटकलें
रोहित के संन्यास लेने के कयास तो तभी से लगाए जा रहे थे जब इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर वो कप्तान होते हुए भी ख़ुद को सिडनी टेस्ट की प्लेइंग इलेवन से यह कहते हुए बाहर रखे कि उनकी फ़ॉर्म सही नहीं है. हालांकि उनके संन्यास की चर्चा के बीच उसी सिडनी टेस्ट के दौरान मैच के ब्रॉडकास्टर चैनल से बातचीत में रोहित ने रिटायरमेंट की अटकलों को ख़ारिज कर दिया था. रोहित ने साफ़ तौर पर कहा था कि उन्हें न तो रेस्ट दिया गया है और न हटाया गया है. उन्होंने सेलेक्टर्स और कोच से बात करके ख़ुद मैच से अलग रहने का फ़ैसला किया है.
इसके बाद एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा था कि वो फ़िलहाल संन्यास लेने पर विचार नहीं कर रहे हैं. लेकिन मई के महीने में उन्होंने इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए जब टेस्ट क्रिकेट से अपने संन्यास की घोषणा की तो यह स्पष्ट हो गया कि सेलेक्टर्स ने इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें नहीं चुने जाने का संदेश साफ़ तौर पर दे दिया है. यहां मैं आंकड़ों के नज़रिए से यह ज़रूर बताना चाहूंगा कि रोहित शर्मा जिस तरह वनडे के बादशाह हैं, टेस्ट में उनका वो प्रदर्शन नहीं दिखता है. यह इसी से स्पष्ट है कि टेस्ट की 116 पारियों में उनके नाम महज़ 4301 रन ही हैं जो महेंद्र सिंह धोनी, अजिंक्य रहाणे और मोहिंदर अमरनाथ जैसे बल्लेबाज़ों से भी कहीं कम है. साथ ही उम्र भी रोहित की 38 साल की हो चली थी.
गावस्कर, शास्त्री, टेलर ने भी लगाया था रोहित के संन्यास का पूर्वानुमान
तो जब रोहित सिडनी टेस्ट नहीं खेले तब सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री और मार्क टेलर जैसे पूर्व क्रिकेटरों ने भी स्पष्ट तौर पर उनके रिटायरमेंट को लेकर कुछ ऐसे ही बयान दिए थे जो आख़िर सच साबित हुआ. तब गावस्कर ने कहा था, "अगर भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में नहीं पहुंचता तो मेलबर्न टेस्ट रोहित शर्मा का आख़िरी मैच होगा.'' वहीं शास्त्री ने मैच की कमेंट्री के दौरान गावस्कर की बातों से सहमति जताते हुए कहा था, "ऐसा होने की आशंका तब होती है जब आप लय में न हों. रन नहीं बना रहे हों. मानसिक रूप से परेशान हों तो मैं तो समझता हूं कि एक कप्तान ने ज़िम्मेदारी लेते हुए बेंच पर बैठने का फ़ैसला कर साहस दिखाया है.'' तो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान मार्क टेलर ने कहा था, ''किसी देश का कप्तान सिरीज़ के आख़िरी निर्णायक टेस्ट से बाहर रहने का फ़ैसला नहीं करता है. निश्चित तौर पर उन्हें हटाया गया है. मुझे नहीं पता कि वो लोग सीधे तौर पर ये क्यों नहीं कह देते कि उन्हें हटाया गया है.''
कोहली का टेस्ट से संन्यास कितना उचित?
जहां रोहित के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के कयास पहले से लगाए जा रहे थे और यह माना जा रहा था कि वो इंग्लैंड दौरे से शुरू हो रहे 2025-27 टेस्ट चैंपियनशिप में शायद ही खेलेंगे, वहीं विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के फ़ैसले ने उनकी लंबी चौड़ी फ़ैन फ़ॉलोइंग को पूरी तरह हिला कर रख दिया. रोहित की तरह कोहली ने भी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के एलान के लिए इंस्टाग्राम का रुख़ किया जहां उनके 274 मिलियन यानी 27.4 करोड़ फ़ॉलोअर्स हैं.
2020 से ही टेस्ट में विराट खेलते दिखे औसत पारियां
विराट ने 2024-25 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर पर्थ के पहले टेस्ट में ही अपने करियर का 30वां शतक जमाया था. लेकिन उसके बाद उनके बल्ले से रन निकलने अचानक बंद हो गए थे. अगली सात पारियों में 7, 11, 3, 36, 5, 17 और 6 यानी कुल 85 रन ही निकल सके और वो भी 12.14 की औसत से, जो कि निश्चित रूप से एक चिंताजनक प्रदर्शन था. सही मायने में देखा जाए तो विराट का टेस्ट मैचों में प्रदर्शन 2020 से ही बहुत औसत रहा है. उन्होंने 2020 से 2022 तक के तीन वर्षों में खेले गए 20 टेस्ट मैचों की 36 पारियों में सिर्फ़ 24.68 की औसत से 917 रन बनाए. 2021 में जब घरेलू मैदान पर ऑस्ट्रेलिया और विदेशी धरती पर दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ एक बार फ़िर उनके बल्ले से रन निकले तो माना गया कि विराट की फ़ॉर्म में वापसी हो गई है. पर 2024-25 में उनका बल्ला एक बार फ़िर रूठ गया और वो 11 टेस्ट मैचों की 21 पारियों में 440 रन ही बना सके और उनका औसत सिर्फ़ 22.10 का रहा, उस पर ऑस्ट्रेलिया में अच्छी शुरुआत मिलने के बावजूद जब वो पूरी सिरीज़ में रन बनाने के लिए जूझते रहे, तो हो सकता है कि उन्होंने अपने पिछले पांच सालों के इन्हीं प्रदर्शनों को ध्यान रखते हुए संन्यास का फ़ैसला लिया हो.
जब पुजारा ने लिया संन्यास का फ़ैसला...
अभी हाल ही में जब 2023 वर्ल्ड क्रिकेट चैंपियनशिप के फ़ाइनल के बाद से टेस्ट टीम में चुने जाने का इंतज़ार करते हुए थक कर चेतेश्वर पुजारा ने संन्यास लेने का एलान किया तो उन्होंने अपनी बातों के दौरान एक ऐसी बात कही जो पूरी नहीं हो कर भी अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है. पुजारा ने कहा कि "पिछले कुछ सालों के बारे में... जब मैं भारतीय टीम का हिस्सा नहीं था... मैं ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहता...". संन्यास लेने के बाद पुजारा ने एक इंटरव्यू में युवाओं को ये भी सलाह दी कि वो "टेस्ट क्रिकेट स्पेशलिस्ट बनने पर फ़ोकस न करें", तो एक बार फ़िर उनका दर्द झलका.
कैसे रहे पुजारा के करियर के आखिरी साल
चलिए एक नज़र पुजारा के अंतिम वर्षों के टेस्ट करियर पर भी डालते हैं. सबसे पहले पिछले साल खेले गए उनके अंतिम टेस्ट मैच की बात करते हैं जो कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फ़ाइनल मैच भी था. उसकी पहली पारी में 30 रन पर दो विकेट गिर चुके थे, पुजारा नंबर-3 पर आए पर पारी संभाल नहीं सके और 14 रन बनाकर आउट हो गए. दूसरी पारी में कप्तान रोहित के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए अर्धशतकीय साझेदारी निभाई लेकिन जैसे ही रोहित आउट हुए उनका भी ध्यान भंग हो गया और एक अस्वाभाविक शॉट खेलने की कोशिश में 27 के निजी स्कोर पर अपना विकेट गंवा बैठे. यानी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल जैसे बड़े मुक़ाबले में उनके बल्ले से महज़ 20.5 की औसत से दो पारियों में कुल 41 रन ही निकल सके.
चलिए क्रिकेट के खेल में ऐसा भी होते देखा गया है कि बड़े से बड़ा बल्लेबाज़ बड़े से बड़े मौक़े पर दोनों पारियों में शून्य पर आउट हो जाता है. लेकिन टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल से तीन महीने पहले जब ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ अपने घरेलू पिच पर जब पुजारा ने तीन टेस्ट मैच खेले तो उसमें उनके बल्ले से 7, 0, नाबाद 31, 01, 59 और 42 का स्कोर निकला था. पुजारा तीन टेस्ट की छह पारियों में 28 की औसत से केवल 140 रन ही बना सके. तो भले ही पुजारा को इंतज़ार रहा होगा कि वो टेस्ट टीम में वापसी करेंगे पर उनके बल्ले से भी रन नहीं निकल रहे थे. साथ ही उनकी उम्र भी 37 साल से अधिक की हो चुकी थी, तो जब उनसे कम उम्र के विराट (36 साल) सुपर फ़िट रहते हुए भी संन्यास ले चुके थे तो सेलेक्टर्स ने निश्चित रूप से यह जोखिम लेने की सोची होगी कि भले ही इंग्लैंड में हार जाएं पर युवाओं को आजमाने का यह बेहतरीन मौक़ा है. ऐसे में जब इंग्लैंड के दौरे पर उन्हें टीम में जगह नहीं दी गई तो पुजारा ने संन्यास लेना ही मुनासिब समझा. वैसे भी पुजारा ने इंग्लैंड सिरीज़ के दौरान बतौर कमेंटेटर अपनी नई पारी शुरू कर ही दी है.
तो रोहित, विराट और पुजारा के हाल के प्रदर्शनों का विश्लेषण करने के पीछे मंशा यही है कि जो आवाज़ें इनके खेलते रहने के लिए उठाई जा रही थीं वो इनके हाल के प्रदर्शनों को भी देखें और ये भी सोचें कि क्या उम्रदराज हो चले इन दिग्गजों को युवाओं को मौक़ा न दिया जाना गंवारा होता?