ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा के दौरान क्यों हुआ अटल बिहारी वाजपेयी और 1971 का जिक्र, क्‍या था 54 साल पुराना वो वाकया?

राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए सेना के शौर्य, रणनीति और निर्णायक कार्रवाई को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि भारत ने आतंक के अड्डों को जड़ से खत्म किया और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया. विपक्ष के सवालों को उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की संसदीय गरिमा की याद दिलाकर शांत किया. यह सिर्फ सैन्य विजय नहीं, राष्ट्र की रणनीतिक चेतना है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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लोकसभा में जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का स्वर गंभीर और दृढ़ था. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह कोई सामान्य सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि हमारे राष्ट्र के आत्मसम्मान, अस्मिता और सुरक्षा का जवाब था. 6-7 मई की रात हमारी सेनाओं ने एक ऐसा ऐतिहासिक ऑपरेशन किया, जिसमें आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा गया. राजनाथ ने कहा, “यह सिंदूर की लाली अब साहस की कहानी बन गई है.” सदन की चर्चा में राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी बाजपेयी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 1971 में उन्होंने तत्कालीन सरकार का सपोर्ट किया था.

राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर निर्दोषों की हत्या की. यह मानवता पर सबसे बड़ा धब्बा था. इसी के बाद प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाध्यक्षों के साथ बैठक की और सेना को निर्णायक कार्रवाई की पूरी छूट दी. ऑपरेशन सिंदूर उसी निर्णायक इच्छा शक्ति का परिणाम था.

अटल जी ने की थी तत्कालीन सरकार की प्रशंसा

राजनाथ सिंह ने लोकसभा में यह याद दिलाया कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने कभी भी राष्ट्रहित से समझौता नहीं किया. 1971 के युद्ध के समय अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर तत्कालीन सरकार की खुले मंच पर प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा कि परीक्षा के समय अगर पेंसिल टूटे या न टूटे, मायने रखता है रिजल्ट. ऑपरेशन सिंदूर का परिणाम है- विजय.

अटल बिहारी वाजपेयी का ज़िक्र क्यों किया गया?

राजनाथ सिंह ने वाजपेयी जी का ज़िक्र विपक्ष में रहते हुए भी राष्ट्रहित में सरकार का समर्थन करने वाले नेता के रूप में किया. उन्होंने कहा कि अटल जी ने जब 1971 में विपक्ष में रहकर तत्कालीन इंदिरा सरकार की सराहना की, तब राजनीति से ऊपर देशहित था. यही लोकतंत्र की परिपक्वता होती है. उन्होंने आज के विपक्ष से उसी स्तर की समझदारी की अपेक्षा जताई.

शत्रु के घर में घुसकर किया प्रहार

रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत की जवाबी कार्रवाई पूरी तरह नपी-तुली और सेल्फ डिफेंस में थी. पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और लंबी दूरी के हथियारों से हमले की नाकाम कोशिश की, लेकिन हमारे इलेक्ट्रॉनिक और डिफेंस सिस्टम ने हर प्रयास को नाकाम कर दिया. भारत की सेना ने हर मोर्चे पर दुश्मन के मंसूबों को कुचल दिया.

ऑपरेशन क्यों रोका गया?

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सोचना कि भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में ऑपरेशन रोका, सरासर गलत है. हमने ऑपरेशन केवल इसलिए रोका क्योंकि अपने सभी तय लक्ष्यों को हासिल कर लिया था. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया और युद्ध विराम की गुज़ारिश की. हमने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर फिर से कोई हरकत हुई तो ऑपरेशन दोबारा शुरू होगा.

क्या देश की विजय विपक्ष को नहीं दिखती?

राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर सीधा हमला बोला और कहा कि वे अनावश्यक सवाल कर रहे हैं. “कितने विमान गिरे?” यह पूछने से पहले उन्हें यह पूछना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सफल रहा. रक्षा मंत्री ने कहा कि छोटे मुद्दों में उलझने से सेना का मनोबल गिर सकता है. देश को अपनी सेना के साहस और सफलता पर गर्व करना चाहिए.

भारत की मंशा युद्ध नहीं, शांति है

राजनाथ सिंह ने अंत में कहा कि भारत हर पड़ोसी से मित्रता चाहता है, लेकिन अपनी सुरक्षा और अस्मिता से कोई समझौता नहीं करेगा. ऑपरेशन सिंदूर यही संदेश देता है कि भारत सहिष्णु है, लेकिन कमजोर नहीं. हमारे सैनिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि देश पर हमला करने वाले अब बख्शे नहीं जाएंगे.

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