पी. चिदंबरम के बयान से मचा बवाल, पार्टी ने नहीं दिया साथ; क्या कांग्रेस नेता ने पाकिस्तान को दी क्लीन चिट?
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने पहलगाम आतंकी हमले पर सवाल उठाते हुए कहा कि आतंकी पाकिस्तान से आए, इसका कोई सबूत नहीं है. उन्होंने एनआईए की जांच पर भी सवाल उठाए. इस बयान के बाद राजनीतिक घमासान मच गया है. बीजेपी, शिवसेना और अन्य दलों ने इसे पाकिस्तान के पक्ष में दिया गया बयान बताया है.

पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर जो सवाल खड़े किए हैं, उसने देश की सियासत में हलचल मचा दी है. उनका यह बयान कि "आतंकी स्थानीय हो सकते हैं, पाकिस्तान से होने का कोई सबूत नहीं दिया गया है" ने भाजपा और कुछ क्षेत्रीय दलों को हमलावर बना दिया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने हमले को लेकर पर्याप्त और पारदर्शी जानकारी साझा नहीं की है. उनके ये बयान पाकिस्तान को क्लीनचीट देने जैसा लग रहा है.
चिदंबरम ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि एजेंसी अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि हमलावर कौन थे, वे कहां से आए थे और उन्हें पहचाना क्यों नहीं जा सका. चिदंबरम के अनुसार, जब तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाज़ी होगी. यह टिप्पणी सुरक्षा एजेंसियों की साख पर अप्रत्यक्ष हमला मानी जा रही है.
राजनीतिक बयान या रणनीतिक चूक?
चिदंबरम के बयान के बाद विपक्षी दलों ने इसे ‘पाकिस्तान को क्लीन चिट’ देने जैसा बताया है. खासतौर पर शिवसेना के नेता संजय निरुपम और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि यह बयान राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है. जोशी ने आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए भी चिदंबरम आतंकवाद पर ढुलमुल रवैया अपनाते थे, और आज भी वही रुख दोहरा रहे हैं.
सफाई में क्या बोले चिदंबरम?
बढ़ते विवाद के बीच चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि कुछ ट्रोल्स ने उनके इंटरव्यू के दो वाक्यों को निकाल कर पूरे साक्षात्कार को गलत रूप में प्रस्तुत किया है. उनका आरोप है कि बयान को म्यूट और काट-छांट कर ऐसा दिखाया गया जैसे उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में कुछ कहा हो, जबकि उनका आशय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने से था.
बयान से किनारा करती दिखी पार्टी
जहां एक ओर चिदंबरम अपनी बात पर अड़े हैं, वहीं कांग्रेस के बाकी नेता इस बयान से दूरी बनाते दिख रहे हैं. सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि असली मुद्दा आतंकवाद है और भाजपा जानबूझकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा सेना के साथ खड़ी है और पाकिस्तान को आतंक का निर्यात बंद करने की चेतावनी देती रही है. हालांकि उन्होंने चिदंबरम के बयान पर सीधा समर्थन नहीं दिया.
अखिलेश यादव ने साधा केंद्र पर निशाना
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि जब-जब बीजेपी सत्ता में आती है, आतंकवादी घटनाएं बढ़ जाती हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि पहलगाम हमला कैसे हुआ और आतंकी अब तक कहां छिपे हुए हैं? हालांकि उन्होंने चिदंबरम के बयान पर कोई सीधा समर्थन नहीं किया, लेकिन यह जरूर जोड़ा कि कांग्रेस के पास अपने स्रोत और जानकारी हो सकती है.
शिवसेना (UBT) ने पाकिस्तान को दोषी ठहराया
शिवसेना (UBT) की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता को यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान की भूमिका दशकों से भारत में आतंकी गतिविधियों में रही है. उन्होंने साफ कहा कि इस हमले की ज़िम्मेदारी पहले टीआरएफ ने ली थी, जो पाकिस्तान समर्थित संगठन है. ऐसे में हमें किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सब पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है – भारत को अस्थिर करने का.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बयानबाजी सही?
चिदंबरम के इस बयान ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर विपक्षी नेताओं को भी पहले पूर्ण जानकारी का इंतजार करना चाहिए, या सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है? जहां एक ओर सवाल उठाने की स्वतंत्रता है, वहीं दूसरी ओर ऐसे बयान पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों को गलत नैरेटिव फैलाने का मौका भी देते हैं. यही वजह है कि यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विमर्श का विषय बन गया है.