दीपू चंद्र दास की हत्या करने वालों को जल्द से जल्द मिले सजा... भारत ने बांग्लादेश से कहा- हाई कमीशन पर हमले की रिपोर्ट सिर्फ 'प्रोपेगेंडा'

भारत ने बांग्लादेशी मीडिया की उन रिपोर्टों को सख्ती से खारिज किया है, जिनमें नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन को सुरक्षा उल्लंघन के रूप में दिखाया गया था. विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे 'भ्रामक प्रचार' करार देते हुए स्पष्ट किया कि यह प्रदर्शन मयमनसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बर्बर मॉब लिंचिंग के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से किया गया था. MEA ने कहा कि 20–25 लोगों का एक छोटा समूह कुछ मिनटों के भीतर पुलिस द्वारा तितर-बितर कर दिया गया और किसी तरह की सुरक्षा स्थिति पैदा नहीं हुई.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 21 Dec 2025 4:23 PM IST

Dipu Chandra Das mob lynching: भारत ने बांग्लादेशी मीडिया के एक वर्ग में प्रकाशित उन रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिनमें नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर 'भ्रामक और भड़काऊ प्रचार' किए जाने का आरोप लगाया गया था. यह विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश के मयमनसिंह इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े युवक दीपू चंद्र दास की 'निर्मम और बर्बर हत्या' के खिलाफ किया गया था.

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विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि बांग्लादेशी मीडिया में दिखाई गई तस्वीर और दावे वास्तविकता से कोसों दूर हैं. मंत्रालय के मुताबिक, यह एक सीमित और शांतिपूर्ण विरोध था, जिसे पुलिस ने कुछ ही मिनटों में नियंत्रित कर लिया.

MEA का स्पष्ट बयान: कोई सुरक्षा उल्लंघन नहीं

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रविवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा, “हमने बांग्लादेशी मीडिया के कुछ हिस्सों में इस घटना को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान दिया है. तथ्य यह है कि 20 दिसंबर को लगभग 20–25 युवाओं का एक छोटा समूह नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर एकत्र हुआ था. उन्होंने मयमनसिंह में दीपू चंद्र दास की जघन्य हत्या के खिलाफ नारे लगाए और बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की.”

रणधीर जायसवाल ने साफ शब्दों में कहा कि न तो किसी तरह की बाड़ तोड़ने की कोशिश हुई और न ही किसी प्रकार की सुरक्षा स्थिति उत्पन्न हुई. मौके पर तैनात पुलिस ने कुछ ही मिनटों में भीड़ को तितर-बितर कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम के दृश्य प्रमाण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. MEA ने यह भी दोहराया कि भारत विएना कन्वेंशन के तहत अपने क्षेत्र में मौजूद सभी विदेशी राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर भारत की चिंता

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि भारत बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर लगातार करीबी नजर बनाए हुए है. MEA के अनुसार, भारत के अधिकारी बांग्लादेशी प्रशासन के संपर्क में हैं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार हमलों को लेकर अपनी 'गंभीर चिंता' पहले ही जता चुके हैं. बयान में कहा गया, “हमने बांग्लादेश सरकार से यह भी आग्रह किया है कि दीपू चंद्र दास की बर्बर हत्या में शामिल दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाए.”

हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा

बांग्लादेश में बीते सप्ताह हालात तेजी से बिगड़े हैं. प्रमुख छात्र नेता और इंक़िलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद ढाका सहित कई शहरों में व्यापक अशांति फैल गई. हादी, जो एक हमले में गंभीर रूप से घायल हुए थे, ने सिंगापुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. उनकी मौत के बाद पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने हादी की हत्या के दोषियों के खिलाफ 'किसी भी तरह की रियायत नहीं' देने का दावा किया है.

हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग

इसी अशांत माहौल के बीच शुक्रवार को मयमनसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. हत्या के बाद उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया. इस दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल बांग्लादेश में बल्कि भारत में भी गहरा आक्रोश पैदा किया. इसी आक्रोश के तहत नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसे लेकर अब भारत ने बांग्लादेशी मीडिया की 'गलत और भ्रामक रिपोर्टिंग' पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई है.

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