सिद्धारमैया की कुर्सी रहेगी या शिवकुमार बनेंगे कर्नाटक के नए CM? ब्रेकफास्ट की टेबल पर होगा फैसला- 10 बड़ी बातें

कर्नाटक में सत्ता को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच खींचतान चरम पर पहुंच गई है. हाईकमान ने दोनों नेताओं को नाश्ते पर बैठकर समाधान खोजने के निर्देश दिए हैं, जबकि शिवकुमार गुट 2023 के चुनाव बाद किए गए कथित पावर-शेयरिंग वादे का हवाला देकर नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है. दूसरी ओर, सिद्धारमैया ने किसी भी समझौते से इनकार करते हुए कहा है कि वे हाईकमान के हर फैसले का पालन करेंगे. इस बीच मंत्री, विधायक और दिल्ली दौरे ने अटकलों को और तेज कर दिया है। सत्ता संतुलन, जातीय-सामाजिक समीकरण और पार्टी की भविष्य की रणनीति को देखते हुए हाईकमान स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है।;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 29 Nov 2025 7:41 AM IST

Karnataka political crisis, Siddaramaiah vs DK Shivakumar: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रहा सत्ता-गतिरोध अब खुलकर सामने आ गया है. शुक्रवार को सिद्धारमैया ने पहली बार स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि हाई कमांड जो निर्णय लेगा, मैं उसी का पालन करूंगा. उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी नेतृत्व ने दोनों नेताओं को शनिवार सुबह नाश्ते पर बैठकर समाधान निकालने का निर्देश दिया है. शनिवार सुबह 9:30 बजे दोनों की मुलाकात सीएम आवास कावेरी में तय की गई है.

कांग्रेस की 2023 जीत के बाद से ही यह दावा होता रहा है कि हाई कमांड ने 'ढाई साल ढाई साल' वाली पावर-शेयरिंग डील तैयार की थी, जिसके तहत आधे कार्यकाल के बाद शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाना था. हालांकि, सिद्धारमैया और उनके समर्थक इस दावे को लगातार नकारते रहे हैं. इस बीच शिवकुमार खेमे के कई विधायक दिल्ली जाकर हाई कमांड पर दबाव बनाने लगे, जिससे अटकलें और तेज हो गईं.

सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार विवाद -10 बड़ी बातें

  1. सिद्धारमैया का बयान- मैं वही करूंगा जो हाई कमांड कहेगा: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया से साफ कहा, “कल की बैठक सिर्फ ब्रेकफास्ट मीटिंग है. हाई कमांड जो कहेगा, मैं उसी पर चलूंगा.” उन्होंने 'आंतरिक कलह' की खबरों को भी कम करके दिखाया.

  2. मंच पर साथ आए दोनों नेता, पर शिवकुमार का 'संकेत':  शुक्रवार को एक सरकारी कार्यक्रम में दोनों नेता एक साथ दिखे, लेकिन इसी मंच पर शिवकुमार ने सोनिया गांधी द्वारा पीएम पद ठुकराने का हवाला देकर एक तरह से ‘बलिदान’ और ‘त्याग’ का राजनीतिक संदेश दिया. इस बयान को सत्ता-साझेदारी के संदर्भ में देखा जा रहा है.
  3. मंत्री जी. परमेश्‍वर बोले, “अगर हाई कमांड चाहे तो शिवकुमार सीएम बनें”:  मंत्री जी परमेश्वर के बयान के कुछ ही मिनट बाद सिद्धारमैया समर्थक ज़मीर अहमद खान ने उलटा दावा किया. उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया ही पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे.
  4. हाई कमांड ने नेताओं को चेताया-नेतृत्व पर पब्लिक में मत बोलो: अनेक कांग्रेसी मंत्रियों ने सार्वजनिक बयानों पर असहमति जताई. ईश्वर खंड्रे ने कहा, “हमें निर्देश दिया गया है कि नेतृत्व परिवर्तन पर टिप्पणी न करें.”
  5. हाई कमांड आंतरिक रिपोर्ट तैयार कर रहा है: सूत्रों के अनुसार, दिल्ली नेतृत्व कर्नाटक नेताओं से लगातार रिपोर्ट ले रहा है कि अगर नेतृत्व बदलता है तो राजनीतिक और जातीय समीकरणों पर क्या असर पड़ेगा.
  6. सिद्धारमैया की ताकत-SC/ST, OBC, मुस्लिम वोटर्स: सिद्धारमैया की छवि जन-नेता की है और वे बड़ी सामाजिक आबादी पर प्रभाव रखते हैं. वहीं, शिवकुमार की ताकत संगठन कौशल व चुनाव मैनेजमेंट है, जो भविष्य के चुनावों के लिए उपयोगी माना जा रहा है.
  7. शिवकुमार समर्थक विधायकों का दिल्ली दौरा, दबाव बढ़ाया: लगभग एक दर्जन विधायक हाल ही में दिल्ली पहुंचे थे. इससे स्पष्ट है कि शिवकुमार खेमे ने हाई कमांड को संदेश देने की कोशिश की है कि वे भी गंभीर दावेदार हैं. 
  8. '2.5 साल डील'—क्या थी या नहीं?: सिद्धारमैया गुट इसका साफ खंडन करता है. शिवकुमार गुट कहता है, “वादा किया गया था.” हाई कमांड अब इस मुद्दे की पूरी जांच कर रहा है.
  9. खरगे बोले- इस पर सार्वजनिक बहस मत करो:
    दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सख्त लहजे में कहा कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है, मीडिया में बोलना अनुचित है.
  10. सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने कहा- हाई कमांड से कोई निर्देश नहीं: सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने मीडिया पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि शिवकुमार भी कह चुके हैं कि वे हाई कमांड के निर्णय का ही पालन करेंगे.

शिवकुमार का सोनिया गांधी वाला बयान- क्या यही है 'संकेत'?

महिलाओं–बुजुर्गों–दिव्यांगों के सरकारी कार्यक्रम में शिवकुमार ने कहा, “सोनिया गांधी PM बन सकती थीं, लेकिन उन्होंने देशहित में त्याग किया.” राजनीतिक संकेतों के जानकार मानते हैं कि शिवकुमार अपने 'त्याग और संघर्ष' को हाई कमांड तक संदेश रूप में भेज रहे हैं.

आधे कार्यकाल के बाद उठा यह तूफ़ान

कर्नाटक सरकार ने नवंबर में अपने 2.5 साल पूरे किए हैं. इसी के साथ दोनों नेताओं के बीच 'कुर्सी' को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट, बयानबाज़ी और समर्थकों की हलचल बढ़ गई. स्थिति अभी भी पूरी तरह साफ नहीं, लेकिन संकेत साफ हैं-कर्नाटक में नेतृत्व बदलने या बनाए रखने पर कांग्रेस का सबसे बड़ा फैसला आने वाला है.

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