कौन हैं हुमायूं कबीर जो ममता बनर्जी को दे रहे खुली चुनौती, उनके बयान से TMC नेता बेचैन क्यों?
Who Is Humayun Kabir: हुमायूं कबीर, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की बेलडांगा सीट से विधायक हैं. इन दिनों वह लगातार सुर्खियों में रहने लगे हैं. कभी बाबरी मस्जिद तो कभी सीएम ममता बनर्जी और टीएमसी के खिलाफ बयान को लेकर. अब उन्होंने अपने बयान में कहा है कि 2026 विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं रह पाएंगी.;
Who Is Humayun Kabir: पश्चिम बंगाल की राजनीति में चुनावी सरगर्मी बढ़ने से पहले अचानक हलचल मच गई है. वो विधायक जिसने कल तक पार्टी के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, वही आज टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पर हमला बोल रहे हैं. उस नेता का नाम हुमायूं कबीर है. उनके सार्वजनिक बयान से तूफान खड़ा कर दिया, जिसे सुनकर न सिर्फ उनकी अपनी पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया, बल्कि पूरा बंगाल मीडिया और राजनीतिक हलका चर्चा में है.
कौन हैं TMC से निकाले गए हुमायूं कबीर?
पश्चिम बंगाल की बेलडांगा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने राजनीति 1993 में कांग्रेस के साथ शुरू की थी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के करीबी माने जाने वाले हुमायूं कबीर ने पहली बार कांग्रेस में रहते ही पंचायत चुनाव में अपना नसीब आजमाया था. विधानसभा चुनाव भी पहला 2011 में कांग्रेस में रहते हुए ही लड़ा और जीते. एक साल में ही उनका कांग्रेस से मन भर गया और नवंबर 2012 में हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस में हुमायूं कबीर को मंत्री बनाया गया. मंत्री बने रहने के लिए जरूरी चुनाव जीतने की शर्त पूरी करने के लिए रेजिनानगर विधानसभा उपचुनाव में उतरे, लेकिन हार गए, इसलिए मंत्रीपद भी गंवाना पड़ा.
कबीर सुर्खियों में क्यों?
हुमायूं कबीर ने जुलाई 2025 में घोषणा की थी कि अगर TMC अपने मुर्शिदाबाद जिला नेतृत्व में सुधार नहीं करता. तो वे अपनी अलग पार्टी बनाएंगे. उन्होंने कहा था कि नई पार्टी 2026 विधानसभा चुनाव में 50–52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अब दिसंबर 2025 में, कबीर ने एक और विवादित बयान देते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद के बेलडांगा इलाके में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखूंगा.
इसके बाद TMC ने उन पर कार्रवाई करते हुए टीएमसी से सस्पेंड कर दिया है. TMC का कहना है कि कबीर सांप्रदायिक राजनीति (communal politics) कर रहे थे, जो पार्टी की नीतियों के खिलाफ है. सस्पेंशन के तुरंत बाद हुमायूं कबीर ने कहा कि वे 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे और 2026 के चुनावों में टीएमसी व अन्य पार्टियों को टक्कर देंगे.
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उन्होंने यह दावा भी किया कि वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2026 में मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी. उन्होंने ममता बनर्जी को RSS का एजेंट तक करार दिया है. इससे पहले मुर्शिदाबाद व अन्य हिस्सों में नई पार्टी बनाने की चेतावनी दी है.
पश्चिम बंगाल की बेलडांगा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने राजनीति 1993 में कांग्रेस के साथ शुरू की थी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के करीबी माने जाने वाले हुमायूं कबीर ने पहली बार कांग्रेस में रहते ही पंचायत चुनाव में अपना नसीब आजमाया था. विधानसभा चुनाव भी पहला 2011 में कांग्रेस में रहते हुए ही लड़ा और जीते. एक साल में ही उनका कांग्रेस से मन भर गया और नवंबर 2012 में हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस में हुमायूं कबीर को मंत्री बनाया गया. मंत्री बने रहने के लिए जरूरी चुनाव जीतने की शर्त पूरी करने के लिए रेजिनानगर विधानसभा उपचुनाव में उतरे, लेकिन हार गए, इसलिए मंत्रीपद भी गंवाना पड़ा.
ममता पर कब-कब उठाए सवाल
हुमायूं कबीर ने पहले भी 2015 में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे. आरोप भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर लगाए गए थे कि ममता बनर्जी उन्हें पार्टी में राजा की हैसियत दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. हुमायूं कबीर की यह हरकत ममता बनर्जी को नागवार गुजरी और हुमायूं कबीर को 6 साल के लिए तृणमूल कांग्रेस से निकाल दिया. इसके बाद हुमायूं कबीर ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की. निर्दलीय की टिकट पर 2016 के विधानसभा चुनाव में उतरे, हार के बाद दोबारा कांग्रेस में लौट आए. वहां भी ज्यादा देर तक नहीं रुके और 2018 में भाजपा में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस में दोबारा 2020 में आए थे.