भारतीय नागरिकता मिलने पर डॉ. मुखी ने खोली पाकिस्तान की पोल पट्टी, बताया - वहां हिंदुओं के साथ क्या होता है?
पिछले 16 साल से अहमदाबाद के सरदार नगर में रहने वाले डॉ. नानिकराज खानूमल मुखी मूलत: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद के निवासी हैं. वह 16 साल पहले विजिटर वीजा पर भारत आए थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता था. वह और उनका परिवार सिंधी हिंदू हैं. अब डॉ. नानिकराज खानूमल मुखी को भी भारतीय नागरिक बन गए हैं.;
साल 2009 में जब वे पाकिस्तान से भारत आए तो डॉ. नानिकराज खानूमल मुखी के पास बहुत कम संपत्ति थी, लेकिन उनके दिल में एक बड़ी उम्मीद थी. जिंदगी का सपना यह था कि कैसे भी अपने परिवार को पाकिस्तान में होने वाले भेदभाव से मुक्ति दिलाना है. सभी को एक बेहतर जिंदगी दूं. उनका ये सपना अब पूरा हो गया है. अब उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई है. नागरिकता मिलने के बाद से वह बहुत खुश हैं. उनकी खुशी की आंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वह कहते हैं, अब मुझे रोकने और टोकने वाला कोई नहीं.
अब बातचीत के दौरान 53 वर्षीय डॉ. मुखी की आवाज में खुशी साफ झलकती है. उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया और उसी दिन उनकी याचिका का निपटारा भी कर दिया गया.
डॉ. मुखी ने कहा, "ऐसा लग रहा है कि जिस चीज के लिए मैं संघर्ष कर रहा था, वह आखिरकार आ गई है. अब मुझे कोई रोक नहीं सकता. अब मैं आधार कार्ड बनवा सकता हूं और एक राज्य विहीन व्यक्ति की तरह नहीं बल्कि एक वैध नागरिक की तरह अपना जीवन जी सकता हूं."
दरअसल, 20 अगस्त 2016 को उन्होंने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था. 11 जुलाई, 2017 को डॉ. मुखी को अहमदाबाद के कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उनके आवेदन के पंजीकरण की पुष्टि की गई थी. 30 मार्च, 2021 को उन्होंने औपचारिक रूप से अपनी पाकिस्तानी नागरिकता त्याग दी और अपना पासपोर्ट नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में जमा कर दिया.
डॉ. मुखी ने कहा, "उन्होंने मुझे चालान (शुल्क) भरने के लिए कहा और कहा कि मेरी नागरिकता 15 दिनों के भीतर संशोधित कर दी जाएगी." डॉ. मुखी की पत्नी भोजी बाई, जिन्होंने उनके साथ नागरिकता के लिए आवेदन किया था, को 9 मार्च 2022 को नागरिकता प्रदान की गई. उनकी बेटी नंदिता दास जो पुणे के बी. जे. मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रही हैं को 16 अक्टूबर 2024 को नागरिकता प्रदान की गई. उनके भाई भोजो और वाशु मुखी और बहन विजयंती मुखी को भी नागरिकता प्रदान की गई.
'इसलिए मैं व्यवस्था की हर दरार से गुजरता हूं'
परिवार के अन्य सदस्यों को तो नागरिकता मिल गई, लेकिन उनका आवेदन लंबित रहा. वह भी एक लंबित खुफिया रिपोर्ट के कारण. कई बार जांच-पड़ताल करने और जिलाधिकारी कार्यालय के बार-बार चक्कर लगाने के बाद डॉ. मुखी ने इस साल की शुरुआत में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 226 के साथ-साथ नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6बी के तहत गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया.
इंडियन एक्सप्रेस ने डॉ. मुखी के हवाले से बताया, "यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है. मैं अब पाकिस्तानी नहीं हूं और मैं अभी भारतीय भी नहीं हूं. इसलिए, मैं व्यवस्था की हर दरार से गुजरता हूं."
नागरिकता न होने से करना पड़ा ये काम
इस बीच साल 2023 में डॉ. मुखी ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) उत्तीर्ण की और अहमदाबाद के रखियाल में प्रैक्टिस शुरू की. हालांकि, अक्टूबर 2024 में उनके क्लिनिक झूलेलाल सोनोग्राफी को एएमसी स्वास्थ्य विभाग (उत्तरी क्षेत्र) ने इस आधार पर सील कर दिया कि उनके पास गुजरात मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण नहीं था, जो कि डॉ. मुखी के अनुसार भारतीय नागरिकता के बिना संभव नहीं है. तब से वह संबद्ध क्षेत्रों में छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा कर रहे थे. उत्तरी क्षेत्र के उप स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अश्विन खराड़ी ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती ने क्लिनिक को सील किया था.
5 अगस्त को सपना हो गया अपना
डॉ. मुखी की ओर से वकील रत्ना वोरा ने कहा, "नागरिकता के लिए आवेदन 2016 से लंबित था. याचिकाकर्ता ने 2021 में एक और आवेदन दायर किया, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद 2024 में उन्होंने फिर से आवेदन किया और मामला लंबित रहा क्योंकि उन्होंने कहा कि उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट नहीं मिली है. हमें आज (गुरुवार) प्रमाणपत्र मिला, जिसका अर्थ है कि उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और 5 अगस्त से नागरिकता प्रदान कर दी गई है. अब वह खुश और निश्चिंत हैं.मेरा सपना अब अपना हो गया है. अब मैं स्टेटलेस नहीं, इंडियन स्टेट का नागरिक हूं."
यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि डॉ. मुखी ने कराची के लियाकत मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और कराची के ही जिन्ना मेडिकल कॉलेज से सोनोग्राफी में डिप्लोमा किया है. गुरुवार को जब डॉ. मुखी का मामला सुनवाई के लिए आया तो न्यायमूर्ति निरल मेहता ने उनके वकील से मौखिक रूप से कहा, "उन्होंने (प्रतिवादियों ने) (नागरिकता का) प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया है." अदालत अहमदाबाद के डीएम और जिला कलेक्टर द्वारा 5 अगस्त को जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र का हवाला दे रही थी, जो गुरुवार को याचिकाकर्ता को सौंपा गया था.
नागरिकता प्रमाण पत्र में क्या है?
डीएम से प्राप्त नागरिकता प्रमाण पत्र में कहा गया है, "अधोहस्ताक्षरी को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए... यह प्रमाणित किया जाता है कि जिस व्यक्ति का विवरण नीचे दिया गया है, वह नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(ए) के प्रावधानों के तहत भारत का नागरिक पंजीकृत है."
क्या है नागरिकता अधिनियम?
भारत में किसी की नागरिकता, नागरिकता अधिनियम 1955 द्वारा शासित होती है. यह अधिनियम बताता है कि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकता है. जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीकरण द्वारा, या जब कोई नया क्षेत्र भारत का हिस्सा बनता है.
अब डॉ. मुखी खुश हैं कि वह अपने पेशे के अनुरूप इंडिया में काम कर सकते हैं, लेकिन उनकी चिंता अब भी बरकरार है. उनके बेटे कबीर जो वर्तमान में कोटा में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया है. उनके सबसे छोटे बेटे रंजीत, जिन्होंने अभी-अभी 12वीं कक्षा पूरी की है. वह अभी भी पाकिस्तानी नागरिक हैं. दोनों को भारतीय नागरिकता दिलानी है.