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'ना-पाक' की बेशर्म फौज को चीन दे रहा AI की ताकत, CENTAIC से भारत की बढ़ सकती है टेंशन; जानें क्‍या है यह बला

चीन और पाकिस्तान अब केवल पारंपरिक सैन्य साझेदारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि AI युद्धनीति में भी गहराई से सहयोग कर रहे हैं. पाकिस्तान का CENTAIC केंद्र, चीन की मदद से नेटवर्क-सेंट्रिक युद्धक्षमता विकसित कर रहा है, जिससे PAF को लाइव युद्ध डेटा और स्मार्ट तकनीक मिल रही है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को इस गठजोड़ की ताकत का एहसास हुआ, जहां युद्ध सूचना और AI ही सबसे बड़ा हथियार बन चुके हैं. भारत के लिए यह रणनीतिक चेतावनी है कि भविष्य के युद्ध टेक्नोलॉजी से तय होंगे, सिर्फ ताकत से नहीं.

ना-पाक की बेशर्म फौज को चीन दे रहा AI की ताकत, CENTAIC से भारत की बढ़ सकती है टेंशन; जानें क्‍या है यह बला
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( Image Source:  AI )

भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद हुए तीन दिवसीय युद्ध के दौरान पाकिस्तान और चीन के बीच रक्षा सहयोग की गहराई एक बार फिर सामने आई. अब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह साझेदारी केवल हथियारों की खरीद या उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध के सबसे उन्नत मोर्चे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तक फैल चुकी है.

बीजिंग अब पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) को मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस (MDO) नेटवर्क बनाने में मदद कर रहा है, जिसमें धरती, आकाश और अंतरिक्ष आधारित सेंसरों को जोड़कर युद्धक्षेत्र की सूचनाएं रियल टाइम में साझा की जाती हैं.


CENTAIC: पाकिस्तान का AI युद्धकेंद्र

राहुल गांधी ने संसद में 29 जुलाई को इस सहयोग पर सवाल उठाए और एक नाम लिया, जिसे अब तक ज्यादा कोई नहीं जानता था- CENTAIC (Centre for Artificial Intelligence and Computing). उन्होंने कहा कि 2020 में चीन की मदद से पाकिस्तान में स्थापित यह केंद्र, PAF को चीनी एयर फोर्स के साथ नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमता में एकीकृत करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है. राहुल ने लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के हवाले से संसद में दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन से युद्धक्षेत्र की लाइव इनपुट्स मिल रही थीं.

CENTAIC क्या करता है?

इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य AI तकनीकों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को आधुनिक हवाई युद्ध में आत्मनिर्भर बनाना है. यह सेंटर निम्नलिखित क्षेत्रों में काम कर रहा है:

  • मशीन लर्निंग (ML) और डीप लर्निंग- निर्णय क्षमता को स्वचालित करने के लिए
  • सेंसर फ्यूज़न - रडार, कैमरा, और अन्य सेंसरों से प्राप्त डेटा को एकीकृत कर युद्धक्षेत्र का समग्र दृश्य बनाना
  • प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स - एयरक्राफ्ट्स की मरम्मत की भविष्यवाणी कर उनकी उपलब्धता बढ़ाना
  • नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) - पायलट और विमान के बीच संवाद को सहज बनाना
  • ह्यूमन-मशीन इंटरफेस (HMI) – उन्नत निर्णयों के लिए पायलटों को मशीनों से बेहतर कनेक्ट करना


इसका लक्ष्य न केवल PAF के लिए स्मार्ट तकनीकों को विकसित करना है, बल्कि पाकिस्तान को AI तकनीक में ग्लोबल R&D भागीदार भी बनाना है.

भारत के लिए खतरा क्यों है CENTAIC?

CENTAIC और PAF-NASTP के माध्यम से पाकिस्तान,

  • हवाई युद्ध में निर्णय लेने की गति बढ़ा सकता है
  • स्वायत्त ड्रोन्स और AI-गाइडेड मिसाइल विकसित कर सकता है
  • PLA के एयर सिस्टम्स के साथ एकीकृत हो सकता है
  • चीन से लाइव युद्ध डेटा प्राप्त कर सकता है

यह भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह पारंपरिक युद्ध को टेक्नोलॉजी-आधारित युद्ध में बदलने की दिशा में कदम है, जहां 'सूचना' ही सबसे बड़ा हथियार है.

चीन-पाक वायुसेना सहयोग: बालाकोट के बाद तेजी

2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य तकनीकी साझेदारी में नया मोड़ आया. 2020 में चीन के रक्षा मंत्री की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान कई रक्षा समझौते हुए. PAF ने चीनी मिसाइल सिस्टम जैसे HQ-9P और HQ-16FE को शामिल किया. JF-17, J-10 जैसे चीनी लड़ाकू विमान पहले से ही PAF की रीढ़ हैं. पाकिस्तान के POK स्थित रडार को चीन के दक्षिणी वायु रक्षा नेटवर्क से जोड़ा गया. अब CENTAIC और PAF-NASTP के जरिए यह सहयोग AI और बिग डेटा तक पहुंच चुका है.


AI: पाकिस्तान का नया शक्ति संतुलन

AI तकनीक से पाकिस्तान,

  • विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटा सकता है
  • सेंसर, लक्ष्य पहचान, मिसाइल गाइडेंस जैसे सॉफ्टवेयर खुद बना सकता है
  • हवाई युद्धों में तेज़ निर्णय ले सकता है
  • संयुक्त R&D में भागीदारी कर अंतरराष्ट्रीय पहचान बना सकता है

विशेषज्ञों का मानना है कि AI पाकिस्तान के लिए एक 'Equaliser' साबित हो सकता है, जो कम संसाधनों के बावजूद उसे रणनीतिक बढ़त दिला सकता है. भारत के लिए CENTAIC कोई सामान्य प्रयोगशाला नहीं है. यह चीन-पाक गठजोड़ की उस अगली पीढ़ी की रणनीति का केंद्र है जो आने वाले वर्षों में युद्ध की परिभाषा ही बदल सकती है. भारत को इसके तकनीकी पहलुओं और रणनीतिक जोखिमों का विश्लेषण कर अपनी युद्धनीति को तेज़ी से आधुनिक बनाना होगा.

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