अब दुश्मन देश सपने में ही कर देगा सरेंडर, 67 हजार करोड़ के हथियार! 87 घातक ड्रोन और 110 ब्रह्मोस मिसाइलें मंजूर
रक्षा मंत्रालय ने ₹67,000 करोड़ के भारी-भरकम रक्षा सौदों को मंजूरी दी है, जिसमें 87 घातक सशस्त्र ड्रोन और 110 ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की खरीद शामिल है. ये फैसले ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सैन्य शक्ति को और मजबूत करने के लिए लिए गए हैं. ये हथियार दुश्मन पर दूर से हमला कर लौटने में सक्षम हैं, जिससे भारत की रणनीतिक बढ़त और तेज़ होगी.

भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को लगभग ₹67,000 करोड़ के अत्याधुनिक रक्षा सौदों को सैद्धांतिक मंजूरी (AoN) दे दी है. इनमें 87 भारी-भरकम सशस्त्र ड्रोन और 110 से अधिक एयर-लॉन्च ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों की खरीद शामिल है. ये वही हथियार हैं जिनका इस्तेमाल मई में पाकिस्तान पर जवाबी हमले के दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' में किया गया था.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने इन प्रस्तावों को मंजूरी दी है. यह कदम भारतीय सेनाओं को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
87 घातक MALE ड्रोन- ₹20,000 करोड़ की ताकत
रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा स्वीकृत 87 मध्यम ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने वाले सशस्त्र ड्रोन (MALE RPAs) भारत की तीनों सेनाओं के लिए एक बड़ी बढ़त माने जा रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'ऐसे MALE ड्रोन की आवश्यकता ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीव्र रूप से महसूस की गई थी. ये ड्रोन लंबी दूरी पर मिशन को अंजाम देने में सक्षम होंगे और इनमें एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें व लेज़र-गाइडेड बम लगाए जाएंगे.
इन ड्रोन की लागत लगभग ₹20,000 करोड़ होगी और अतिरिक्त ₹11,000 करोड़ लॉजिस्टिक और 10 साल की OEM सपोर्ट सेवाओं पर खर्च किए जाएंगे. यह ड्रोन 60% स्वदेशी सामग्री के साथ भारतीय और विदेशी कंपनियों के संयुक्त उत्पादन के तहत बनाए जाएंगे.
MQ-9B से तेज़ डिलीवरी की उम्मीद
भारत पहले ही अमेरिका से 31 MQ-9B ‘प्रिडेटर’ हाई-एल्टीट्यूड ड्रोन का सौदा कर चुका है जिसकी डिलीवरी 2029-30 के आसपास शुरू होगी। इसके मुकाबले, ये नए 87 MALE ड्रोन ऑपरेशन के बाद जल्दी मिल सकेंगे. मई की कार्रवाई में भारत ने पहले से मौजूद इज़राइली ‘हारोप’ और ‘हार्पी’ कामिकाजे ड्रोन का प्रयोग किया था, जो दुश्मन के रडार और ठिकानों पर आत्मघाती हमलों के लिए जाने जाते हैं.
ब्रह्मोस मिसाइलों की नई खेप: ₹10,800 करोड़ की घातक मार
रक्षा मंत्रालय ने 110 से अधिक एयर-लॉन्च ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी है, जिनकी लागत लगभग ₹10,800 करोड़ आंकी गई है. इन मिसाइलों की रेंज 450 किलोमीटर है और ये Mach 2.8 की गति से दुश्मन पर प्रहार करने में सक्षम हैं.
ब्रह्मोस मिसाइलें भारत-रूस संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा निर्मित की जाती हैं और इनका संयोजन सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों के साथ मिलकर दुश्मन के खिलाफ बेहद मारक साबित होता है- जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा गया.
नौसेना के लिए नई लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम
DAC ने पुराने युद्धपोतों के लिए आठ ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और वर्टिकल लॉन्चर्स की खरीद को भी हरी झंडी दी है, जिसकी कीमत ₹650 करोड़ है. अभी तक करीब 20 अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत ब्रह्मोस से लैस हो चुके हैं। पिछले साल ही ₹19,519 करोड़ की लागत से 220 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद की गई थी। अब तक ब्रह्मोस से जुड़े कुल सौदे ₹58,000 करोड़ के पार जा चुके हैं.