वोट चोरी का खेल अब नहीं चलेगा... राहुल गांधी का BJP-EC पर सीधा वार, 8 मिनट के वीडियो में क्या-क्या लगाए आरोप?
राहुल गांधी ने नए वीडियो में चुनाव आयोग और भाजपा पर 'संस्थागत वोट चोरी' का आरोप लगाया. उन्होंने कई राज्यों में चुनाव नतीजों और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाए. SIR प्रक्रिया पर भी हमला बोला और कहा कि वंचित समुदायों को जानबूझकर बाहर किया जा रहा है. राहुल बोले, “वक़्त बदलेगा, सज़ा मिलेगी.” विपक्ष ने जांच की मांग दोहराई है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल (X) पर एक नया वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर "संस्थागत वोट चोरी" का गंभीर आरोप लगाया. राहुल ने कहा, "वोट चोरी सिर्फ़ एक चुनावी घोटाला नहीं है, ये भारत के संविधान और लोकतंत्र के साथ गद्दारी है." उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब जनता जाग रही है और वक़्त बदलने वाला है. उनका यह वीडियो उनकी हाल की लाइव प्रेज़ेंटेशन के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने फर्जी वोटर्स को लेकर विस्तृत आंकड़े पेश किए थे.
राहुल गांधी ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के चुनावों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन जगहों पर उन्होंने ज़मीनी स्तर पर जनता में सत्ता विरोधी लहर देखी थी, लेकिन परिणाम उससे उलट आए. उन्होंने 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को ‘चौंकाने वाला’ बताया और कहा, “मैंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हर ज़िले में सत्ता-विरोधी माहौल देखा. फिर भी हमें 234 में से सिर्फ़ 65 सीटें मिलीं. ये कैसे मुमकिन है?” उन्होंने बैंगलोर सेंट्रल जैसे लोकसभा क्षेत्रों के उदाहरण देते हुए दावा किया कि एक ही पते पर सैकड़ों फर्जी वोट दर्ज हैं.
चुनाव आयोग को खुली चुनौती
जब चुनाव आयोग ने राहुल से शपथ लेकर सबूत मांगे, तो राहुल ने पलटवार करते हुए कहा, "मेरा वचन ही मेरी शपथ है." उन्होंने यह साफ किया कि जो कुछ उन्होंने कहा है, वह सार्वजनिक रूप से और पूरी जिम्मेदारी के साथ कहा है. राहुल गांधी ने आयोग से मांग की है कि वह न सिर्फ उनके द्वारा बताए गए आंकड़ों की जांच करे, बल्कि पूरे देश की वोटर लिस्ट का स्वतंत्र ऑडिट कराए. उनका कहना है कि अगर सबकुछ सही है तो जांच से डरने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए.
बचपन की याद से शुरुआत
राहुल गांधी ने अपने वीडियो की शुरुआत एक निजी अनुभव से की. उन्होंने कहा, “1980 में मैं और मेरी बहन प्रियंका घर में बैठकर हाथ से चुनावी पोस्टर बनाते थे. तभी से हम राजनीति को जीते आए हैं.” इसके बाद उन्होंने बताया कि चुनाव की प्रक्रिया चाहे वो बूथ मैनेजमेंट हो, वोटर लिस्ट हो या वोटिंग पैटर्न सब कुछ उन्हें गहराई से समझ आता है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते कुछ सालों से वो देख रहे हैं कि "मूड एक होता है और रिज़ल्ट दूसरा आता है", जिससे लोकतंत्र की बुनियादी प्रक्रिया पर ही सवाल उठते हैं.
SIR पर गहराया विवाद
राहुल गांधी ने विशेष रूप से बिहार में चल रही SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर सवाल उठाए. उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीबों, दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को वोटर लिस्ट से हटाने की साज़िश है. SIR के तहत मतदाता को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ रही है, जो कि कई वंचित वर्गों के लिए कठिन है. कांग्रेस, राजद और INDIA गठबंधन के अन्य दलों का दावा है कि SIR के नाम पर भाजपा वोटबैंक की साफ-सफाई कर रही है. ये मामला अब पटना हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है और इसकी न्यायिक जांच की भी मांग हो रही है.
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को 'पराजय की हताशा' बताया. पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि राहुल हार का ठीकरा अब EVM और चुनाव आयोग पर फोड़ रहे हैं. लेकिन विपक्ष का कहना है कि अगर चुनाव आयोग निष्पक्ष है तो उसे हर बूथ की वोटर लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिए और एक स्वतंत्र संस्था से जांच करानी चाहिए. राहुल का नया वीडियो एक बड़ी बहस को जन्म देता है- क्या भारत में चुनाव उतने पारदर्शी हैं जितने दिखते हैं? और अगर नहीं, तो क्या विपक्ष अब लोकतंत्र की सच्ची लड़ाई लड़ रहा है?