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बिकने वाली है पाकिस्‍तान की इकलौती सरकारी एयरलाइंस PIA, बोली लगाने वालों में सेना-समर्थित फौजी फाउंडेशन भी

IMF के भारी दबाव और कर्ज संकट के बीच पाकिस्तान ने घाटे में डूबी अपनी राष्ट्रीय एयरलाइन PIA को निजीकरण की राह पर डाल दिया है. 23 दिसंबर 2025 को इसकी बोली लाइव प्रसारित होगी. चार बोलीदाताओं में सेना से जुड़े फौजी फाउंडेशन की मौजूदगी सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेलआउट पर निर्भर है और IMF कार्यक्रम के तहत PIA की बिक्री एक अनिवार्य शर्त है. फर्जी पायलट लाइसेंस, अंतरराष्ट्रीय उड़ान प्रतिबंध, क्रैश और कुप्रबंधन ने 2020 से 2025 के बीच एयरलाइन को अरबों के घाटे तक पहुंचा दिया.

बिकने वाली है पाकिस्‍तान की इकलौती सरकारी एयरलाइंस PIA, बोली लगाने वालों में सेना-समर्थित फौजी फाउंडेशन भी
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( Image Source:  X/@Official_PIA )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 4 Dec 2025 9:39 AM

पाकिस्तान एक बार फिर आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा हुआ है, और इसी दबाव के बीच सरकार एक ऐतिहासिक और विवादित कदम उठाने जा रही है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की सख्त शर्तों के तहत पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को निजी हाथों में बेचने की प्रक्रिया तेज कर दी है. यह वही एयरलाइन है जिसे कभी "एशिया की बेहतरीन एयरलाइन" कहा जाता था, लेकिन अब यह भारी घाटे, कुप्रबंधन और घोटालों के बोझ तले लगभग डूब चुकी है.

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प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने बुधवार को घोषणा की कि PIA की बोली प्रक्रिया 23 दिसंबर 2025 को आयोजित होगी और इसे देशभर के सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाइव प्रसारित किया जाएगा. इस घोषणा से पहले उन्होंने इस्लामाबाद में प्री-क्वालिफाइड बोलीदाताओं से मुलाकात की.

कौन-कौन खरीदना चाहता है PIA?

पाकिस्तानी अख़बार डॉन के अनुसार, लगभग दो दशकों में यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्राइवेटाइजेशन कार्यक्रम है. सरकार ने चार संस्थाओं को बोली के लिए मंजूरी दी है:

  • लकी सीमेंट कंसोर्टियम
  • अरिफ हबीब कॉरपोरेशन कंसोर्टियम
  • फौजी फर्टिलाइज़र कंपनी लिमिटेड (फौजी फाउंडेशन समूह)
  • एयर ब्लू लिमिटेड

इनमें सबसे अधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है फौजी फाउंडेशन, जिसका संचालन पाकिस्तान के सैन्य ढांचे से गहराई से जुड़ा माना जाता है. हालांकि सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर सीधे बोर्ड में नहीं बैठते, लेकिन बतौर आर्मी चीफ वे क्वार्टरमास्टर जनरल (QMG) की नियुक्ति करते हैं - जो फाउंडेशन के केंद्रीय बोर्ड में शामिल रहते हैं. इस तरह बड़े कॉर्पोरेट फैसलों पर सेना की संस्थागत पकड़ बरकरार रहती है.

PIA के संभावित खरीदारों में सेना-समर्थित इकाई का शामिल होना इसलिए भी बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन रहा है, क्योंकि आलोचकों का मानना है कि आर्थिक संकट का फायदा उठाकर सेना अपने कॉर्पोरेट साम्राज्य का विस्तार कर रही है.

IMF का दबाव और कर्ज में डूबा पाकिस्तान

पाकिस्तान बीते कई सालों से कर्ज के सहारे चल रहा है. 2023 में अर्थव्यवस्था लगभग ध्वस्त हो चुकी थी, लगातार बढ़ते कर्ज, कुप्रबंधन, राजनीतिक अस्थिरता और सबसे बढ़कर रक्षा खर्च के कारण. वित्त मंत्री ने पहले ही संकेत दिए थे कि सरकार इस साल 86 अरब पाकिस्तानी रुपये प्राइवेटाइजेशन से जुटाना चाहती है. IMF के साथ सितंबर 2024 में हुई 7 अरब डॉलर की बेलआउट डील के तहत पहली किस्त के रूप में 1 अरब डॉलर जारी किया गया, जबकि बाकी राशियों को राजकोषीय सुधारों, टैक्स बढ़ोतरी और सरकारी कंपनियों की बिक्री पर निर्भर किया गया. PIA की बिक्री भी उन्हीं अनिवार्य शर्तों में शामिल है.

कैसे ढही पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन - फर्जी लाइसेंस से लेकर घोटालों तक

PIA की गिरावट रातोंरात नहीं हुई - यह दशकों की प्रशासनिक विफलता, भ्रष्टाचार और राजनीति के दखल का परिणाम है. लेकिन सबसे बड़ा झटका 2020 में तब लगा जब सरकार ने स्वीकार किया कि 30% से अधिक पाकिस्तानी पायलटों के पास फर्जी या संदिग्ध लाइसेंस थे. इसके बाद 262 पायलटों को ग्राउंड करना पड़ा, जिसने एयरलाइन को परिचालन संकट में धकेल दिया.

इसके बाद घटनाएं तेज़ी से बिगड़ती चली गईं. वर्ष 2020 में सबसे पहले EASA ने यूरोप के लिए PIA उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे एयरलाइन के सबसे लाभदायक रूट बंद हो गए. उसी वर्ष यूके और अमेरिका ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लागू कर दिए, जिससे अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर ट्रैफिक और अधिक टूट गया. हालात तब और गंभीर हो गए जब PIA फ्लाइट 8303 क्रैश में 97 लोगों की मौत हुई, जिसने न केवल पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया बल्कि एयरलाइन की सुरक्षा मानकों पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा ऑडिट, पायलट लाइसेंस जांच और आपात मरम्मतों ने कंपनी पर भारी आर्थिक बोझ डाल दिया. नतीजतन, 2020 से 2025 के बीच PIA के राजस्व में तेज़ गिरावट दर्ज हुई और घाटा अरबों पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया, जिससे एयरलाइन लगभग ढहने की कगार पर पहुंच गई.

इसके अलावा, PIA पहले से ही इन पुरानी समस्याओं में फंसी हुई थी:

  • राजनीतिक नियुक्तियां
  • ओवरस्टाफिंग
  • भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी
  • रूट और संसाधनों की गलत योजना
  • टेक्निकल मेंटेनेंस पर अत्यधिक कटौती

इन सबके चलते एयरलाइन का घाटा 200 अरब PKR से अधिक पहुंच गया था और कभी लाभदायक रही एयरलाइन पूरी तरह गिरावट की चपेट में आ गई.

देश की आर्थिक गिरावट और PIA - एक जैसी कहानी

विश्लेषकों के अनुसार PIA की विफलता पाकिस्तान की आर्थिक दिशा का प्रतिबिंब है. संसाधनों का दुरुपयोग, कमजोर गवर्नेंस, राजनीतिक टकराव और

प्रणालीगत भ्रष्टाचार यहां भी साफ दिखते हैं. जिस तरह पाकिस्तान आज IMF की शर्तों पर निर्भर है, उसी तरह PIA भी अरबों के कर्ज और आर्थिक बदहाली के आगे टिक नहीं पाई. अंतर बस इतना है कि अब पूरा देश बाज़ार में खड़ा नजर आ रहा है और PIA उसकी सबसे प्रतीकात्मक मिसाल बन चुकी है.

PIA की बिक्री सिर्फ एक एयरलाइन के निजीकरण की कहानी नहीं है - यह उस देश की कहानी भी है जो बार-बार कर्ज, सैन्य प्रभाव और आर्थिक अव्यवस्था के दुष्चक्र से मुक्त नहीं हो पा रहा. 23 दिसंबर की बोली यह तय करेगी कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन किसी निजी समूह के हाथों में जाएगी, या फिर सेना-समर्थित कॉरपोरेट ढांचे में और अधिक सम्मिलित हो जाएगी. लेकिन इतना तय है कि एक दौर में एशिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइन रही PIA अब पाकिस्तान के आर्थिक पतन का प्रतीक बन चुकी है.

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