बिहार के बाद बंगाल में होगा खेला! SIR की वजह से बांग्लादेशियों की घर-वापसी, क्या घुसपैठ पर BJP का दावा सच साबित हो रहा है?

पश्चिम बंगाल में SIR शुरू होते ही बिना दस्तावेज़ वाले बांग्लादेशी नागरिक बड़ी संख्या में अपने देश लौट रहे हैं, जिससे घुसपैठ को लेकर BJP-TMC के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है. भाजपा इसे अपने वर्षों पुराने दावों की पुष्टि बता रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस इसे “राजनीतिक नाटक” और “बैकडोर NRC” कह रही है. BSF के मुताबिक रोज़ 150–200 लोग सीमा पार कर रहे हैं. 2026 चुनाव से पहले SIR बंगाल में सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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भारत–बांग्लादेश सीमा पर एक असामान्य दृश्य तेजी से चर्चा का विषय बन गया है. बिना कागज़ों वाले बांग्लादेशी नागरिकों का अचानक अपने देश लौटना. इन लोगों में वे भी शामिल हैं जो 10–15 साल पहले दलालों के ज़रिए भारत में दाखिल हुए, अस्थायी बस्तियों में रहने लगे और फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर स्थानीय राजनीतिक-सामाजिक ढांचों का हिस्सा बन गए. लेकिन जैसे ही पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू हुआ, भय और अनिश्चितता ने इन अवैध प्रवासियों को सीमा की ओर धकेल दिया.

यह 'रिवर्स माइग्रेशन' सिर्फ एक मानवीय या प्रशासनिक घटना नहीं है. इसने बंगाल की राजनीति में घुसपैठ के मुद्दे को फिर केंद्र में ला खड़ा किया है. बीजेपी इसे अपने वर्षों पुराने आरोपों की पुष्टि मान रही है, जबकि टीएमसी इसे 'राजनीतिक नाटक' बताकर खारिज कर रही है. SIR पर बढ़ते विवाद ने 2026 विधानसभा चुनाव से पहले माहौल को और अधिक गर्म कर दिया है.

हकीमपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़

हकीमपुर सीमा चौकी पर पिछले दो सप्ताह से सैकड़ों बांग्लादेशी परिवार बैग, बोझा और बच्चों के साथ लौटते दिखाई दे रहे हैं. इनमें वे लोग भी हैं जिन्होंने भारत में लंबे समय तक रहकर आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड तक बनवा लिए थे. स्थानीय सूत्रों का कहना है कि SIR की खबरों ने इनमें भय का माहौल पैदा कर दिया. कहीं पूछताछ हो गई, तो गिरफ्तारी या डिटेंशन का डर.

अब तस्वीरें सच साबित कर रही हैं: बीजेपी

बीजेपी नेताओं ने सीमा से आ रही तस्वीरों को घुसपैठ पर अपने दावों की सीधी पुष्टि बताया. प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, “ये लोग इसलिए लौट रहे हैं क्योंकि वे पकड़े जाने से डर रहे हैं. SIR ने घुसपैठियों की नींद उड़ा दी है. अब सच्चाई सबके सामने है.” भाजपा का मानना है ਕਿ पिछले 20–25 वर्षों में अवैध आबादी ने राज्य की जनसांख्यिकी और चुनावी परिणामों को गहराई तक प्रभावित किया है.

हर दिन 150–200 लोग लौट रहे

BSF के अनुसार, केवल नवंबर 2025 में ही करीब 1700 अवैध बांग्लादेशी सीमा पार कर चुके हैं. बीजेपी का कहना है कि यह आंकड़ा बताता है कि राज्य में अवैध प्रवास की जड़ें कितनी गहरी हैं. उनका दावा, “5,000 फर्जी मतदाता नाम हटे हैं… यह सिर्फ शुरुआत है.”

यह सब स्क्रिप्टेड है, स्वाभाविक कुछ नहीं: टीएमसी

तृणमूल कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम को BJP का चुनाव-पूर्व ऑपरेशन मान रही है. TMC सांसद ने कहा, “हकीमपुर में जो दिख रहा है वह स्वाभाविक नहीं, बल्कि 2026 चुनाव से पहले एक कथा गढ़ने की कोशिश है. यह ‘बैकडोर NRC’ का प्रयास है.” TMC का आरोप है कि SIR को “मुसलमानों और गरीब वर्गों पर लक्षित राजनीतिक हथियार” बनाया जा रहा है.

अगर ये अवैध थे, तो गिरफ्तार क्यों नहीं किया?

तृणमूल प्रवक्ता कृष्णु मित्रा ने BSF और केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “क्या ये घुसपैठिए मीडिया का इंतज़ार कर रहे थे? एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई, न किसी दलाल पर कार्रवाई. क्या यह सिर्फ़ कैमरे के लिए बनाई गई तस्वीरें हैं?” उनका दावा है कि असली लक्ष्य वोटर सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाना है.

'बैकडोर NRC' का आरोप

TMC और कुछ NGOs का कहना है कि SIR सिर्फ डाक्यूमेंट सुधार की कवायद नहीं, बल्कि NRC जैसी प्रक्रिया है जिसे बिना आधिकारिक घोषणा लागू किया जा रहा है. NGOs का आरोप, “ग़रीबी में रहने वाले लोग 20 साल पुराने डॉक्यूमेंट कैसे दिखाएं? यह मानवीय संकट पैदा करने जैसा है.”

ज़मीन पर क्या है हकीकत?

स्थानीय गांवों में अफवाह है कि दस्तावेज़ न मिलने पर तत्काल गिरफ्तारी होगी. मतदाता सूची से नाम हटने पर ऊँचाई दीवारों वाले कैंप में भेज दिया जाएगा. SIR टीम घर-घर छापेमारी कर रही है. हालांकि प्रशासन ने सभी अफवाहों को खारिज किया है, लेकिन डर के माहौल ने प्रवासियों को खुद-ब-खुद सीमा पार लौटने पर मजबूर कर दिया.

'घुसपैठ' बन गया केंद्रीय मुद्दा

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यह मुद्दा आगे और बड़ा होने वाला है. BJP इसे “नेशनल सिक्योरिटी” का सवाल बना रही है. TMC इसे “वोटर दमन” और “राजनीतिक एजेंडा” बता रही है. SIR की वजह से सैकड़ों वास्तविक गरीब परिवारों को भी परेशानी हो रही है. आने वाले महीनों में यह विवाद 2026 के चुनावी नैरेटिव का सबसे प्रभावी मुद्दा बन सकता है.

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