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SIR: चुनाव आयोग ने खारिज की ममता की हर आपत्ति, चुन-चुन कर दिया जवाब, अब क्‍या करेंगी टीएमसी प्रमुख?

चुनाव आयोग ने एसआईआर (SIR) को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया. आयोग ने स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट में केवल भारतीय नागरिकों के नाम ही जोड़े जाएंगे. बीएलओ को धमकाने की घटनाओं पर आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

SIR: चुनाव आयोग ने खारिज की ममता की हर आपत्ति, चुन-चुन कर दिया जवाब, अब क्‍या करेंगी टीएमसी प्रमुख?
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चुनाव आयोग (EC) ने 2025 में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) को लेकर पश्चिम बंगाल में जारी विवाद को नया मोड़ दे दिया है. आयोग ने ने TMC-उर्फ ममता बनर्जी की ओर से उठाई गई सभी आशंकाएं और आरोप बिना ठोस सबूत बताते हुए खारिज कर दिए. ईसी ने कहा कि SIR जारी रहेगा. अब सवाल यह है कि TMC अगला कदम क्या उठाएगी. विरोध की राजनीति जारी रहेगी या इन दावों को अदालत तक ले जाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा. जानिए एसआईआर को लेकर पूरा मामला.

इस मसले को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 10 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचा और अपनी आपत्तियां अधिकारियों के सामने रखी. डेरेक ओ’ ब्रायन की अगुवाई में शताब्दी रॉय, कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा, प्रतिमा मंडल, सजदा अहमद, डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बराइक चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे थे. उन्होंने आयोग को एक लिखित शिकायत भी सौंपी.

TMC के आरोप

सीएम ममता बनर्जी द्वारा एसआईआर को लेकर कई आरोप लगाने के बाद टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल और TMC का कहना है कि SIR यानी मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में मजबूरन, बिना तैयारी के, वोटर लिस्ट से लोगों को नाम काटने खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में, दबाव में लागू किया जा रहा है. मतदाता सूचियों का अचानक बदलाव और आरोप लगाती हैं कि यह राज्य में नागरिकता, धर्म या जात-पिछड़ापन के आधार पर बंटवारे की शुरुआत हो सकता है.

TMC ने यह भी कहा है कि इस प्रक्रिया के दौरान बूथ-स्तर अधिकारियों (BLOs) पर अत्यधिक दबाव है. काम की गति व अवधि बहुत कम हैं और कई रिपोर्टों के अनुसार कुछ BLOs की मौतें हुई हैं, जो उन्होंने SIR की वजह से बताई.

ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि SIR एक गुप्त प्रयास है, जिसके जरिए कुछ समुदायों (विशेष रूप से मतुआ आदि) को मतदाता सूची से हटाया जाएगा. उन्होंने SIR को पिछले दरवाजे से NRC (National Register of Citizens) को लागू करने जैसा बताया. TMC ने दावा किया कि मतदाता सूची में नए नामों की पुष्टि व नाम काटने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. नागरिकों को डर, दहशत या दबाव में रखा जा रहा है.

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने टीएमसी की शिकायत को सुनने के बाद साफ कहा है कि SIR एक निर्धारित और पारदर्शी प्रक्रिया है. TMC द्वारा लगाए गए आरोप चाहे वे BLO पर दबाव, धमकी या मौतों की बातें बिना प्रमाण और आधारहीन हैं. आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर कोई राजनीतिक दल या कार्यकर्ता BLOs को धमकाएगा या प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

मतदाता सूची में नहीं जुड़ेंगे विदेशयों के नाम

आयोग ने ये भी कहा कि मतदाता सूची सुधार व SIR के लिए राज्य सरकारों का सहयोग संवैधानिक जिम्मेदारी है. इसलिए, पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया पूरा होगा, चाहे ममता या TMC विरोध करें. किसी भी सूरत में वोटर लिस्ट में भारतीय नागरिक का नाम ही जोड़ा जाएगा, किसी विदेशी का नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़ा जाएगा.

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वह देखें कि कोई भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं द्वारा बीएलओ पर दबाव न डाला जाए और ना ही उन्हें धमकाया जाए.

अब ममता के पास विकल्प क्या है?

टीमसी या फिर सीएम ममता बनर्जी का अगले कदम के रूप में सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने पर विचार करे. वे SIR प्रक्रिया के दौरान मिले मृत्यु, धमकी, दबाव जैसे कथित दावों की स्वतंत्र जांच की मांग कर सकती हैं. ताकि आरोपों का सत्यापन हो सके.

इसके साथ ही TMC चुनाव प्रचार शुरू करते हुए जनता में डर या अशंका का माहौल बना सकती है. अपने समर्थकों को जागरूक कर सकती हैं कि मतदाता सूची अपडेट पर ध्यान रखें. अगर SIR प्रक्रिया के बाद भी कई नाम हटाए गए तो वो इसे बेरोजगार मतदाता हटा देना? बताकर चुनावी मंच पर मुद्दा बना सकती हैं.

बंगाल में भी वक्फ कानून लागू

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल अप्रैल में वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 लागू किया था. इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जिनका विपक्षी दलों और उनके द्वारा शासित राज्‍यों की सरकारों ने कड़ा विरोध किया था. पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने बहुत ही आक्रामक तरीके से इसकी मुखालफत की थी. उन्‍होंने कई मौकों पर कहा था कि वे इस संशोधित कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी. अब उनका रुख इस कानून को लेकर बदल गया है. ममता सरकार के अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि राज्य की लगभग 82,000 वक्फ़ संपत्तियों का विवरण 5 दिसंबर की अंतिम तारीख से पहले केंद्र के पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाए. यह कानून इस साल अप्रैल में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था. बंगाल के अल्पसंख्यक विकास विभाग के सचिव पीबी सलीम ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजकर कहा कि हर ज़िले की वक्फ़ संपत्तियों की जानकारी तय समय में umeedminority.gov.in पर अपलोड की जाए.

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