मोदी-शी मुलाक़ात से हिला व्हाइट हाउस, ट्रंप की रातों की नींद उड़ी; अमेरिकी मीडिया ने कहा- टैरिफ ने भारत और चीन को करीब लाया
पीएम मोदी का चीन दौरा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात अमेरिका की राजनीति और मीडिया में गहन चर्चा का विषय बन गई है. ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ़ से भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है और विशेषज्ञ GDP पर गिरावट का अनुमान जता रहे हैं. अमेरिकी मीडिया का कहना है कि चीन और रूस से बढ़ती नज़दीकियां भारत की रणनीतिक दिशा बदल सकती हैं, जबकि विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि इससे लंबी अवधि में भारत को नुकसान हो सकता है.

US Media on PM Modi China Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात, अमेरिकी राजनीति और मीडिया में गहरी बहस का विषय बन गई है. BBC की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में इस यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया तनाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदले रुख़ के संदर्भ में देखा जा रहा है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी किताब ‘द इंडिया वे’ में लिखा है कि चीन बिना युद्ध लड़े कई जीत हासिल कर चुका है, जबकि अमेरिका कई युद्ध लड़कर भी निर्णायक विजय नहीं पा सका. मौजूदा हालात में यही जटिल समीकरण भारत के सामने खड़ा दिखाई देता है.
ट्रंप का टैरिफ़ और भारत की चिंता
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ़ लगा दिया है, जिसे अर्थशास्त्री भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका मान रहे हैं. पिछले वर्ष भारत ने अमेरिका को लगभग 87.3 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जो कुल निर्यात का 18% है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि टैरिफ़ की वजह से भारत की GDP में 0.5% तक गिरावट आ सकती है.
अमेरिकी मीडिया का रुख़
अमेरिकी मीडिया जैसे ब्लूमबर्ग और न्यूयॉर्क टाइम्स ने चेतावनी दी है कि मोदी के चीन और रूस से नज़दीकी बढ़ाने की कोशिशें भारत की रणनीतिक दिशा बदल सकती हैं. ब्लूमबर्ग ने लिखा, “ट्रंप की ट्रेड वॉर ने चीन और भारत को एक-दूसरे के क़रीब आने की कोशिश तेज़ कर दी है.” न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा, “भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन ट्रंप की नीतियों ने इसे झटका दिया है. सप्लाई चेन अब वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों की ओर शिफ़्ट हो सकती है.”
अमेरिकी विश्लेषकों की राय
फॉरेन पॉलिसी पत्रिका में कॉलमनिस्ट जेम्स क्रैबट्री ने लिखा, “भारत को रूस और चीन के झांसे में नहीं आना चाहिए. अमेरिका से दूरी बनाना और बीजिंग या मॉस्को की ओर झुकना, लंबी अवधि में भारत के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकता है.” वहीं थिंक-टैंक विश्लेषक माइकल कुगलमैन ने कहा कि मोदी का चीन दौरा अमेरिका-भारत संबंधों को तोड़ने वाला नहीं है, बल्कि यह पिछले एक साल से चल रही तनाव कम करने की प्रक्रिया का हिस्सा है.
BBC रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी मीडिया का मानना है कि भारत को रणनीतिक संतुलन बनाए रखना होगा. चीन और रूस से गहरे रिश्ते तात्कालिक विकल्प हो सकते हैं, लेकिन निवेश, तकनीक और सप्लाई चेन सुरक्षा के लिए भारत को अमेरिका जैसे साझेदारों की भी ज़रूरत रहेगी.