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पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान का खजाना सौंपा, डील में ट्रंप परिवार भी शामिल; अब चीन के अगले कदम पर दुनिया की निगाहें?

पाकिस्तान ने अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप को साधने के लिए अनोखा खेल खेला है. दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने ट्रंप से मिलकर 'दहेज' (बलूचिस्तान स्थित खरबों डॉलर के 5.9 बिलियन टन तांबा और सोने के खजाने की चाबी अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स) को सौंप. इसको लेकर हाल ही में एमओयू भी साइन हुआ है. इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप पाक हुक्मरान भी मौजूद थे. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस डील में ट्रंप परिवार का भी कनेक्शन है. हालांकि, इसकी किसी ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि किसी ने नहीं की है. इस सौदे के बदले न सिर्फ पाकिस्तान को आर्थिक सहारा मिलने की उम्मीद है, बल्कि अमेरिका-पाक रिश्तों में नया अध्याय भी खुल सकता है, लेकिन इस राह में बलूचिस्तान और चीनी हित रोड़ा बन सकता है.

पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान का खजाना सौंपा, डील में ट्रंप परिवार भी शामिल; अब चीन के अगले कदम पर दुनिया की निगाहें?
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हाल ही में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हुए अहम समझौते के तहत पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत के विशाल खनिज संसाधनों के उत्खनन की पेशकश की है. इस समझौते के तहत पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को बलूचिस्तान के दुर्लभ खनिजों की संपत्ति के उत्खनन का प्रस्ताव दिया है, जिससे अमेरिका को चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करने का अवसर मिल सकता है. पाक हुक्मरान इस कदम को पाकिस्तान के लिए अपने खनिज संसाधनों का वैश्विक मंच मौजूदगी और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने का एक अवसर मान रहे हैं. यह समझौता पाकिस्तान और अमेरिका के बीच खनिज संसाधनों के दोहन और आर्थिक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होने की भी संभावना है, लेकिन बलूचिस्तान के नेताओं की आपत्तियों और क्षेत्रीय अस्थिरता इस राह में किसी चुनौती से कम नहीं है. चीन भी पाकिस्तान के इस फैसले पर आपत्ति जता सकता है.

पाकिस्तान और अमेरिका के इस खनिज कूटनीति ने नए रास्ते खोले हैं, लेकिन 50 करोड़ डॉलर के इस सौदे से पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने की उसकी क्षमता पर सवालिया निशान लगे हैं. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक 8 सितंबर, 2025 को अमेरिकी कंपनी यूएसएसएम के साथ खनिज सौदे पर हस्ताक्षर समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर भी शामिल हुए थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) के साथ $500 मिलियन के निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के तहत पाकिस्तान के रेको डीक, सैंदक और डुड्डार जैसे खनिज-समृद्ध क्षेत्रों से एंटीमनी, तांबा, सोना, टंग्स्टन और दुर्लभ तत्वों का उत्खनन करने का अधिकार दिया है. इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान में एक बहु-धात्विक रिफाइनरी स्थापित की जाएगी, जो अमेरिकी बाजारों को आपूर्ति करेगी.

व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान पाकिस्तान के नेताओं ने ट्रंप को खनिजों से भरा एक लकड़ी का बॉक्स दिखाया, जिसमें दुर्लभ पृथ्वी तत्व शामिल थे. इस दृश्य को व्हाइट हाउस ने आधिकारिक फोटो के रूप में जारी किया, जिससे पाकिस्तान की खनिज संपत्ति की प्रदर्शनी को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया गया. सबसे अहम और चिंता की बात यह है कि खरबों डॉलर के जिस खणिज संपदा की डील पाकिस्तान ने की है, उसमें बलूचिस्तान और उसके हित का जिक्र कहीं नहीं है.

बलूचिस्तान की जमीन के नीचे छिपे में खरबों डॉलर की संपदा

दरअसल, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में खनिजों की प्रचुरता है, जिसमें रेको डीक, सैंदक और डुड्डार जैसी प्रमुख खदानें शामिल हैं. रेको डीक में लगभग 5.9 बिलियन टन तांबा और सोने का अयस्क है. जबकि सैंदक और डुड्डार में भी महत्वपूर्ण धातु संसाधन मौजूद हैं.

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में नया अध्याय

यह समझौता पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार का संकेत है, जो पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं. शहबाज शरीफ ने ट्रंप के नेतृत्व में पाकिस्तान-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने की उम्मीद जताई है. इस सौदे का ही नतीजा है कि पाकिस्तान से आयात होने वाले उत्पादों पर ट्रंप प्रशासन ने सिर्फ 19% शुल्क लगाया है जो एशियाई देशों में सबसे कम है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

पाकिस्तान और अमेरिका के बीच यह समझौता उत्साहजनक है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के खनिज क्षेत्रों में निवेश और विकास में कई चुनौतियां हैं. इनमें सुरक्षा पहलू सबसे ज्यादा जटिल हैं. स्थानीय समुदायों के अधिकार और पर्यावरणीय प्रभाव शामिल हैं. इसके अलावा, बलूचिस्तान में विद्रोही समूहों की सक्रियता भी एक चिंता का विषय है, जो इन परियोजनाओं की सफलता में बाधा डाल सकती है. इस डील की सफलता स्थानीय समुदायों के साथ तालमेल, उनकी सुरक्षा और हितों की पूर्ति और पर्यावरणीय सतर्कता पर निर्भर करेगी. यदि ये पहल सफल होती हैं, तो इसे पाकिस्तान के लिए आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जाएगा.

किन-किन खनिजों की PAK ने की पेशकश

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के दुर्लभ खनिजों की संपत्ति अमेरिका को पेश की है, जिसमें तांबा, सोना, लिथियम, यूरेनियम और अन्य खनिज शामिल हैं। बलूचिस्तान के चगाई जिले में स्थित रेको डिक परियोजना में 5.9 अरब टन अयस्क का अनुमान है, जिसमें औसतन 0.41% तांबा और 0.22 ग्राम प्रति टन सोना है। इसकी कीमत 500 अरब डॉलर से लेकर 1 ट्रिलियन डॉलर तक आंकी गई है.

बलूच नेताओं की आपत्ति

बलूच नेताओं ने इस समझौते पर आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि बलूचिस्तान के संसाधनों पर पाकिस्तान का दावा गलत है, क्योंकि ये संसाधन बलूचिस्तान के हैं, न कि पाकिस्तान के. बलूच नेताओं के विरोध की वजह से ही चीन और पाकिस्तान के बीच सीपेक परियोजना अधर में लटका हुआ है. खैबर पख्तूनख्वा में भी हिंसा में वृद्धि देखी गई है. वहीं, इस्लामाबाद का आरोप है कि सशस्त्र समूह अफगानिस्तान से दक्षिण और उत्तरी वजीरिस्तान सहित कबायली जिलों में घुसपैठ करते हैं, जहां माना जाता है कि विशाल खनिज भंडार हैं.

इंटरनेशनल रिएक्शन

इस समझौते पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं, कुछ इसे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सुधारने का अवसर मानते हैं, जबकि कुछ इसे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम मानते हैं. अल जजीरा ने एक पूर्व पाकिस्तानी तीन-सितारा सेना जनरल के हवाले से नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, "यह आर्थिक अवसर, संसाधन कूटनीति और प्रतीकात्मक पुनर्संतुलन से जुड़ा एक रणनीतिक हाथ मिलाना है. यह सिर्फ जमीन में दबे पत्थरों के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि भविष्य के निर्माण खंडों को कौन नियंत्रित करता है. पाकिस्तान के लिए, यह अपने खनिज आख्यान पर दावा करने और उसे राष्ट्रीय गौरव और विरासत से जोड़ने का एक मौका है. अमेरिका के लिए, यह संसाधन राजनीति की वैश्विक बिसात पर एक रणनीतिक कदम है."

क्या करती है USSM कंपनी?

अमेरिकी कंपनी US Strategic Metals (USSM) एक प्रमुख संगठन है जो अमेरिका में महत्वपूर्ण बैटरी धातुओं का उत्पादन और पुनर्चक्रण करती है. यह कंपनी विशेष रूप से कोबाल्ट, निकेल, लिथियम और तांबे जैसे धातुओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के लिए आवश्यक हैं. यूएसएसएम की स्थापना 2018 में हुई थी. इसका मुख्यालय सेंट लुइस मिसौरी अमेरिका है. इस कंपनी में लगभग 1,500 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. कंपनी के पास अपनी खुद की भूमिगत खदान और बैटरी स्क्रैप से कच्चे माल (ब्लैक मास) का आपूर्ति चैनल है.

ट्रंप ने उससे किया समझौता जिसे कहा था 'धोखेबाज'

डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में दावा किया था कि इस्लामाबाद ने वाशिंगटन को 'झूठ और धोखे के अलावा कुछ नहीं' दिया. इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति पद पर लौटे थे और अब उसी पाकिस्तान के साथ मेगा डील किया. इसके बाद ट्रंप ने मार्च 2025 में अमेरिकी कांग्रेस को दिए अपने भाषण में आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया था. उनके सैन्य नेताओं ने भी इस साझेदारी के लिए पाकिस्तान को श्रेय दिया. भारत के साथ चार दिनों के संघर्ष के बाद जिसके बारे में वाशिंगटन और इस्लामाबाद का कहना है कि यह उनकी मध्यस्थता से समाप्त हुआ था. पाकिस्तान ने जून में नोबेल पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया था.

इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की व्हाइट हाउस में मेजबानी की. यह पहली बार है जब किसी ऐसे पाकिस्तानी सेना प्रमुख की मेजबानी की गई है जो राष्ट्राध्यक्ष नहीं है. गुरुवार को शरीफ 2019 के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास पर जाने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बन गए.

इन उत्पादों के उत्खनन पर हुआ MOU साइन

अप्रैल में एक पाकिस्तानी खनिज शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तर्क दिया था,'अगर पाकिस्तान उन खनिज भंडारों का दोहन करता है, जिनका मूल्य उनके अनुसार 'खरबों डॉलर' है, तो इससे उसकी अर्थव्यवस्था में बदलाव आ सकता है, जो 130 अरब डॉलर के बाहरी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. बयान में आगे कहा गया है कि इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य पाकिस्तान में एक विशेष रिफाइनरी की स्थापना को प्रोत्साहित करना है ताकि अमेरिकी बाजार की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए समर्पित मध्यवर्ती और तैयार उत्पाद का उत्पादन किया जा सके.' विश्लेषकों का कहना है कि यह समझौता ज्ञापन कोई बाध्यकारी खनन लाइसेंस नहीं है, बल्कि यह एक प्रारंभिक चरण का दस्तावेज है.

बलूचिस्तान से गिलगित तक - पाकिस्तान के खनिज कहां हैं?

सरकारी स्वामित्व वाली पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (पीपीएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक और अब कराची स्थित सलाहकार मोइन रजk खान का अनुमान है कि पाकिस्तान के लगभग एक-चौथाई भूभाग में ऐसी चट्टानें हैं जिनमें महत्वपूर्ण खनिजों के पाए जाने की प्रबल संभावना है. रेको दिक की खदानें दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंडारों में से एक मानी जाती हैं. इसकी ज़्यादातर संभावनाएँ बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान के सुदूर पहाड़ी इलाकों में हैं. ये ऐसे इलाके हैं जहां दुर्गम इलाके, गंभीर सुरक्षा चिंताएँ या दोनों हैं. बलूचिस्तान, लगभग 240 मील के देश में लगभग 1.5 करोड़ लोगों का घर है. लगभग 24 करोड़ की आबादी वाले देश में लगभग 1.5 करोड़ लोगों का घर, बलूचिस्तान, प्राकृतिक संसाधनों की अपार संपदा के बावजूद पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है. आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बलूचिस्तान सैंदक और रेको दिक में तांबे के भंडार हैं. एक अनुमान लगाया कि मेजबान चट्टान में निहित धातु का मूल्य 190 अरब डॉलर से अधिक है, जिसमें तांबा लगभग 138 अरब डॉलर और सोना लगभग 53 अरब डॉलर का है.

पाकिस्तान खनिज विकास निगम के पूर्व निदेशक मुहम्मद याकूब शाह ने कहा कि भूगर्भीय दृष्टि से, पाकिस्तान में प्रमुख खनिज संभावनाएँ मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप से क्षमता का पता लगाने और मूल्यांकन करने के लिए विस्तृत अन्वेषण की आवश्यकता है।

मई 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की थी कि अरब सागर में ड्रिलिंग करने वाले एक कंसोर्टियम को 'तेल और गैस का खजाना' मिल गया है, जिससे पाकिस्तान की दशकों की ईंधन ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी.

62 अरब डॉलर के चीनी निवेश का क्या होगा?

अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण खनिज समझौता पाकिस्तान की भू-राजनीतिक संतुलन क्षमताओं की भी पहले जैसी परीक्षा ले सकता है.पिछले एक दशक में, पाकिस्तान ने 62 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का एक नेटवर्क है, के माध्यम से चीन के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा किया है.

चीनी निवेश ने बलूचिस्तान के स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जहां के निवासी चीनी कंपनियों पर स्थानीय संसाधनों की चोरी करने का आरोप लगाते हैं. राष्ट्रवादी विद्रोही लड़ाकों ने बार-बार चीनी कर्मियों और प्रतिष्ठानों पर हमले किए हैं.

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में लगभग 20 हजार चीनी नागरिक रहते हैं. 2021 से अब तक इन परियोजनाओं से जुड़े हमलों में कम से कम 20 लोग मारे जा चुके हैं.

बीजिंग के लिए सुरक्षा एक प्राथमिक चिंता का विषय है और विश्लेषकों का मानना ​​है कि इन्हीं क्षेत्रों में अमेरिकी निवेश का आगमन बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और जटिल बना सकता है.

अमेरिकी सलाहकार फर्म द एशिया ग्रुप के प्रमुख उजैर यूनुस ने कहा कि खनिज समझौता ज्ञापन रणनीतिक क्षेत्रों में पश्चिमी निवेशकों के लिए पाकिस्तान के खुलेपन का संकेत देता है और बलूचिस्तान केवल चीनी प्रभाव के लिए आरक्षित नहीं रहेगा.

यूनुस के अनुसार, "चीनियों के लिए भी, यह एक सकारात्मक विकास है क्योंकि इन क्षेत्रों में अमेरिकी हित बलूचिस्तान में क्षेत्रीय छद्मों द्वारा भड़काए जा रहे विद्रोह को कम करने में भी मदद कर सकते हैं."

वर्ल्‍ड न्‍यूजडोनाल्ड ट्रंप
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