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मुनीर के साथ ट्रंप से मिलकर क्या खिचड़ी पकाएंगे शहबाज शरीफ, पाकिस्तान की बड़ी विदेश नीति चाल या कुछ और?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका की तीन देशों की यात्रा पर निकल रहे हैं. न्यूयॉर्क में संभावित डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात को लेकर चर्चा है कि यह पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों में नया मोड़ ला सकती है. आर्थिक संकट, सुरक्षा सहयोग और निवेश आकर्षित करना यात्रा का मुख्य उद्देश्य है. सवाल यह है कि क्या यह यात्रा पाकिस्तान के लिए रणनीतिक लाभ देगी या सिर्फ राजनीतिक दिखावा साबित होगी.

मुनीर के साथ ट्रंप से मिलकर क्या खिचड़ी पकाएंगे शहबाज शरीफ, पाकिस्तान की बड़ी विदेश नीति चाल या कुछ और?
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 16 Sept 2025 5:58 PM IST

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक बड़ी कूटनीतिक यात्रा पर निकल रहे हैं, जिसमें उनका साथ देंगे फील्ड मार्शल आसिम मुनीर. यह तीन देशों – सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका - की यात्रा पाकिस्तान की वैश्विक छवि सुधारने और नई साझेदारियां बनाने का प्रयास मानी जा रही है. यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण न्यूयॉर्क में संभावित डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात है, जो यदि होती है तो भारत, अमेरिका और चीन जैसे वैश्विक खिलाड़ियों के बीच पाकिस्तान की भूमिका नए सिरे से परिभाषित कर सकती है.

इसी बीच रक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और आर्थिक मुद्दों पर बातचीत की तैयारी भी तेज है. यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट, क्षेत्रीय अस्थिरता और बाहरी प्रभावों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. सवाल यह है - क्या यह यात्रा पाकिस्तान के लिए नया सवेरा साबित होगी या सिर्फ राजनीतिक चाल?

सऊदी अरब से शुरुआत - निवेश, सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी

न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार 17 सितंबर को शहबाज शरीफ की यात्रा का पहला पड़ाव सऊदी अरब होगा. यहां उनकी मुलाकात क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से होगी. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक तौर पर मज़बूत रिश्ते रहे हैं, लेकिन आर्थिक संकट, ऊर्जा संकट और क्षेत्रीय तनाव ने इस रिश्ते को और मजबूती देने की जरूरत पैदा कर दी है. शरीफ की कोशिश होगी कि सऊदी अरब पाकिस्तान में निवेश बढ़ाए, विशेष रूप से ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा क्षेत्र में. साथ ही, आतंकवाद और कट्टरपंथ की रोकथाम पर साझा रणनीति तैयार की जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी निवेश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को राहत देगा और खाड़ी देशों में उसकी स्थिति मजबूत करेगा.

सुरक्षा सहयोग के तहत आतंकवाद-विरोधी अभियानों में सूचना साझा करने और संयुक्त अभ्यासों पर भी चर्चा हो सकती है. क्षेत्रीय स्थिरता के लिए पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सहयोग अरब देशों में पाकिस्तान की छवि सुधारने का माध्यम बन सकता है.

लंदन में व्यापार और प्रवासी मुद्दे - एक नई आर्थिक कूटनीति

18 सितंबर से 21 सितंबर तक शहबाज शरीफ लंदन में रहेंगे, जहां उनकी मुलाकात ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से होगी. ब्रिटेन में पाकिस्तान का बड़ा प्रवासी समुदाय है, जो राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से प्रभावशाली है. शरीफ की कोशिश होगी कि प्रवासियों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएं और उनके निवेश को पाकिस्तान में आकर्षित किया जाए.

इसके अलावा व्यापार, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी सहयोग पर भी बातचीत होगी. पाकिस्तान को जलवायु आपदाओं से जूझते देशों की सूची में शामिल किया गया है, और ब्रिटेन के साथ सहयोग उसे तकनीकी सहायता और जलवायु वित्त तक पहुंच दिला सकता है.

इस दौरे में पाकिस्तान का उद्देश्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों से समर्थन जुटाना और IMF जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने पक्ष को मजबूत करना भी है.

न्यूयॉर्क में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात - क्या नया समीकरण बनेगा?

यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण चरण न्यूयॉर्क होगा, जहां शरीफ 21 सितंबर से सात दिन तक रहेंगे. 24 और 25 सितंबर के बीच उनकी संभावित मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होगी. सूत्र के अनुसार यह मुलाकात तय है और यदि यह मुलाकात होती है तो इसे पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों में बदलाव का संकेत माना जाएगा. फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पहले भी ट्रंप से मुलाकात कर चुके हैं, और उस समय दोनों के बीच सुरक्षा सहयोग को लेकर चर्चा हुई थी. अब इस मुलाकात में आतंकवाद विरोधी रणनीतियों, अफगानिस्तान के हालात और चीन-रूस की भूमिका पर भी बातचीत हो सकती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को मध्यस्थ की भूमिका में देख सकता है, बशर्ते पाकिस्तान अपने कड़े रुख को नरम करे और अमेरिका के रणनीतिक हितों के साथ तालमेल बिठाए.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की आवाज - वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति

26 सितंबर को शहबाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान का पक्ष रखेंगे. कश्मीर मुद्दे, आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सहयोग और वैश्विक व्यापार पर पाकिस्तान की नीति स्पष्ट की जाएगी. विशेष रूप से जलवायु संकट पर पाकिस्तान की आवाज वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच उसकी भूमिका मजबूत कर सकती है. वहीं कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना उसकी प्राथमिकता होगी. आर्थिक सुधारों के लिए IMF और विश्व बैंक से समर्थन पाने की कोशिश भी इसी मंच पर की जाएगी.

आसिम मुनीर की सुरक्षा वार्ता - रक्षा सहयोग की नई दिशा

इस यात्रा में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी शरीफ के साथ होंगे. उनका फोकस रक्षा सहयोग, आतंकवाद-रोधी अभियानों और रणनीतिक साझेदारी पर रहेगा. सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका में वे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात कर रक्षा प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी साझा करने और समुद्री सुरक्षा पर बातचीत करेंगे. मुनीर का उद्देश्य पाकिस्तान की सुरक्षा क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मजबूत करना है. साथ ही यह यात्रा उन्हें वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की सैन्य रणनीति का प्रवक्ता भी बनाएगी. ट्रंप से उनकी पुरानी मुलाकात को देखते हुए सुरक्षा सहयोग पर आगे बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

क्या यह यात्रा पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक दिशा बदल देगी?

विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा पाकिस्तान के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकती है. आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सख्त जरूरत है. साथ ही क्षेत्रीय अस्थिरता और आतंकवाद के खतरे के बीच पाकिस्तान को नई सुरक्षा साझेदारियों की तलाश है.

हालांकि, घरेलू राजनीति में विपक्ष इस यात्रा पर सवाल उठाएगा. क्या शरीफ की यह पहल वास्तव में आर्थिक राहत देगी या सिर्फ दिखावा है? क्या ट्रंप से संभावित मुलाकात पाकिस्तान को अमेरिका के रणनीतिक हितों में बांध देगी?

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