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Jaish‑e‑Mohammed का नया खेल! महिलाओं के लिए शुरू किया ऑनलाइन ‘जिहादी’ कोर्स, जानें कौन हैं Masood Azhar की ट्रेनर बहनें

जैश ए मोहम्मद के जिहादी कोर्स का नाम Tufat al-Muminat रखा गया है. इस कोर्स की शुरुआत नवंबर 2025 में होना तय है. प्रति नामांकन महिला से PKR 500 शुल्क वसूला जा रहा है. प्रशिक्षण ऑनलाइन लाइव प्लेटफार्म पर प्रतिदिन लगभग 40 मिनट के सत्र के रूप में होगा.

Jaish‑e‑Mohammed का नया खेल! महिलाओं के लिए शुरू किया ऑनलाइन ‘जिहादी’ कोर्स, जानें कौन हैं Masood Azhar की ट्रेनर बहनें
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( Image Source:  @meevkt )

पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन Jaish-e-Mohammed (JeM) ने महिलाओं को लक्षित कर एक नया ऑनलाइन प्रशिक्षण कोर्स शुरू किया है. इस पाठ्क्रम का नाम ‘तुफत अल-मुमिनात’ है. इस कोर्स को दुर्दांत आतंकी मसूद अजहर की बहनें और उमर फारूक की पत्नी महिलाओं को लीड करेंगी. इस कोर्स के माध्यम से जैश ए मोहम्मद महिलाओं को संगठन में निर्बाध रूप से भर्ती करने, इस्लाम पर आधारित तालिम देने तथा फंड जुटाने का प्रयास कर रहा है.

कब शुरू होगा कोर्स ?

इस कोर्स का नाम “Tufat al-Muminat” रखा गया है, जिसका शुभारंभ नवंबर 2025 में किया जाना तय है. प्रति नामांकन महिला से PKR 500 शुल्क वसूला जा रहा है. प्रशिक्षण ऑनलाइन लाइव प्लेटफार्म पर प्रतिदिन लगभग 40 मिनट के सत्र के रूप में होगा.

महिला ब्रिगेड

JeM ने अपनी पहली महिलाओं वाली ब्रिगेड भी जारी की है, जिसका नाम “Jamaat-ul-Mominaat” रखा गया है. जैश ए मोहम्मद ने इस ब्रिगेड के लिए भर्ती अभियान पाकिस्तान के अलग-अलग स्थानों पर शुरू किया गया है, जिसमें बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद आदि शामिल हैं.

मसूद अजहर की ट्रेनर बहनें

इस अभियान में JeM के प्रमुख Masood Azhar की बहनों (Sadiya अज़हर) तथा (Samaira अज़हर) को प्रशिक्षक ( ट्रेनर) के रूप में नियुक्त किया गया है. Sadiya Azhar को महिलाओं की ब्रिगेड का प्रमुख (लिडर) नियुक्त किया गया है. Samaira Azhar को सिस्टर-ट्रेनर की भूमिका में बताया गया है.

Tufat al-Muminat कोर्स का मकसद

इन दोनों का उद्देश्य महिलाओं को धार्मिक आधार पर कर्तव्य, 'जिहाद' तथा संगठन के एजेंडे के अनुरूप काम करने के लिए प्रेरित करना है.इस कोर्स का मूल उद्देश्य महिलाओं को संगठन के लिए सक्रिय रूप से भर्ती करना, उन्हें संगठन-संबंधित गतिविधियों में शामिल करना तथा ऑनलाइन माध्यम से वित्तीय योगदान में भूमिका निभाने के तैयार करना है.

इस पहल को सुरक्षा एजेंसियों ने बड़े खतरे के रूप में देखा है, क्योंकि इससे महिलाओं द्वारा सक्रिय आतंकवादी या फिदाई भूमिका निभाए जाने की संभावना बन सकती है.

जैश में महिलाओं की एंट्री का रास्ता साफ

यह घटना इस बात का संकेत है कि पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान आतंकवादी संगठन अब महिलाओं को सक्रिय भूमिका में शामिल करने तथा ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा भर्ती का तरीका अपना रहे हैं. इसकी वजह से न केवल सुरक्षा-चिंताएं बढ़ रही हैं बल्कि नए प्रकार के आतंकवादी खतरे भी सामने आ सकते हैं.

दरअसल, 8 अक्टूबर 2025 को आतंकी मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की महिला ब्रिगेड जमात उल-मुमिनात बनाने का ऐलान किया था. 19 अक्टूबर को रावलकोट पाक अधिकृत कश्मीर में महिलाओं को ग्रुप में लाने के लिए 'दुख्तरान-ए-इस्लाम' नाम का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में इस्लामिक नियमों के हिसाब से औरतों का अकेले बाहर निकलना गलत है, इसलिए जैश-ए-मोहम्मद अब औरतों को भर्ती करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा है.

इसके पीछे जैश की योजना ISIS, हमास और LTTE की तरह अपने मर्दों के टेररिस्ट ब्रिगेड के साथ औरतों की टेरर ब्रिगेड बनाने की है. ताकि ट्रेंड महिलाओं का इस्तेमाल सुसाइड या फिदायीन हमलों के लिए करना संभव हो सके.

कौन हैं मसूद अजहर की बहनें?

मसूद अजहर की बहनें सादिया अजहर और समैरा अजहर हैं. अब दोनों को जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. हाल ही में JeM ने अपनी पहली महिला ब्रिगेड 'जमात-उल-मुमिनात' की कमान सादिया अजहर को सौंपी गई है. समैरा अजहर भी इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल हैं.

सादिया अजहर ने अपने पति यूसुफ अजहर को मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खो दिया था. जब भारतीय सेना ने बहावलपुर स्थित JeM के मुख्यालय पर हमला किया था. इस हमले में संगठन के कई उच्च पदस्थ सदस्य मारे गए थे. सादिया की भूमिका अब संगठन की महिला शाखा की प्रमुख के रूप में उभरकर सामने आई है.

समैरा अजहर 'जमात-उल-मुमिनात' अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं. वह महिलाओं को प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. उनका उद्देश्य महिलाओं को संगठन के एजेंडे से जोड़ना और उन्हें सक्रिय भूमिका में शामिल करना है.

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