19 मिनट 34 सेकेंड का वायरल वीडियो कर सकता है आपका 'दिमाग खराब', जानें वायरल MMS का कैसे पड़ता है असर
सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा 19 मिनट 34 सेकेंड का वीडियो सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि यह आपकी मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है. ऐसे वायरल MMS अक्सर जिज्ञासा के चलते देख लिए जाते हैं, लेकिन उनका असर धीरे-धीरे दिमाग और भावनाओं पर पड़ता है.
सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे 19 मिनट का वायरल वीडियो ने तहलका मचा दिया है. हालांकि, इन वीडियोज को धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है, लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि ये वायरल एमएमएस लोगों की मेंटल हेल्थ के लिए एक गंभीर चेतावनी बन चुके हैं. पहली नज़र में यह एक और वायरल क्लिप लग सकती है, लेकिन इसके असर धीरे-धीरे दिमाग, सोच और रिश्तों तक पहुंचने लगते हैं.
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खासकर जब कंटेंट इमोशनली परेशान करने वाला या आपत्तिजनक हो, तो उसका असर सिर्फ देखने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि भीतर गहरी हलचल पैदा कर देता है. चलिए जानते हैं इन वायरल एमएमएस का इंसान पर क्या असर पड़ता है.
19 मिनट वीडियो का मानसिक असर
हरजिंदगी में छपे आर्टिकल के मुताबिक, बिना इजाज़त बनाए गए अश्लील डिजीटल वीडियो या तस्वीरें इंसान के दिमाग पर बुरा असर डाल सकती हैं. जब कोई व्यक्ति ऐसे वीडियो बार-बार देखता है, तो उसका मन भारी रहने लगता है. बेवजह नेगेटिव सोच आने लगती है, घबराहट बनी रहती है और किसी काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है. धीरे-धीरे व्यक्ति अपनी भावनाओं को संभाल नहीं पाता और छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करने लगता है.
सोच और समझ में आने लगता है बदलाव
बार-बार अश्लील या डरावने वीडियो देखने से इंसान की सोच बदलने लगती है. उसे सहमति और रिश्तों की सही समझ नहीं रह जाती है. दिमाग में ऐसी कल्पनाएं बन जाती हैं, जो असल जिंदगी से बिल्कुल अलग होती हैं. इसकी वजह से असली हालात साधारण या अधूरे लगने लगते हैं और व्यक्ति सच्चाई को समझने और अपनाने में हिचक महसूस करने लगता है.
लो कॉन्फिडेंस
इस तरह का कंटेंट देखने से इंसान की खुद के बारे में सोच भी बदल जाती है. वह अपनी तुलना ऐसी चीज़ों से करने लगता है जो असल में सच नहीं होतीं. धीरे-धीरे उसका कॉन्फिडेंस कम होने लगता है और वह खुद को दूसरों से कम समझने लगता है.
रिश्तों में बढ़ती दूरी
जब इंसान की उम्मीदें और व्यवहार असली ज़िंदगी से अलग हो जाते हैं, तो अच्छे और सम्मान भरे रिश्ते निभाना मुश्किल हो जाता है. दिमाग भावनाओं पर पहले जैसा असर नहीं दिखाता, जिससे सामने वाले की फीलिंग्स समझना और उनसे जुड़ पाना कठिन हो जाता है. धीरे-धीरे व्यक्ति लोगों से कटने लगता है और इसी दूरी के कारण अकेलापन और मानसिक तनाव बढ़ता चला जाता है.
शरीर भी देता है संकेत
ऐसे वीडियो देखने का असर सिर्फ दिमाग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि शरीर भी प्रभावित होता है. तनाव बढ़ने पर शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन ज्यादा बनने लगता है. इसकी वजह से नींद खराब हो सकती है, जल्दी थकान महसूस होती है, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और ध्यान न लगने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं. वहीं, अगर यह कंटेंट इंसान के संस्कारों या सोच के खिलाफ हो, तो शर्म और अपराधबोध भी मन पर और ज्यादा दबाव डाल देता है.





