Mass Layoffs के लिए रहें तैयार, खतरे में हैं 40 फीसदी नौकरियां! OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन क्यों दे रहे ये चेतावनी?
OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने चेतावनी दी है कि 2030 तक सुपरइंटेलिजेंस (Superintelligence) का युग आ सकता है और 40% नौकरियां AI के कारण खतरे में पड़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि GPT‑5 पहले से ही कई इंसानों से स्मार्ट है और आने वाले वर्षों में AI ऐसे कार्य कर सकेगा जो मानव संभवतः अकेले नहीं कर पाए. ऑल्टमैन ने नई नौकरियों, स्किल्स और सीखने की कला (Learning how to learn) पर जोर दिया. हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि AI इंसानों को अप्रासंगिक नहीं बनाएगा और सही प्रशिक्षण से यह मानवता के लिए साथी बनेगा.

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) अब केवल विज्ञान-कथा (Science Fiction) का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि इंसानी ज़िंदगी का एक ऐसा सच बन चुका है जो हर सेक्टर को बदल रहा है. इसी बीच OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने दुनियाभर में हलचल मचा दी है. उनका कहना है कि 2030 तक ‘सुपरइंटेलिजेंस’ (Superintelligence) की शुरुआत हो सकती है और आने वाले समय में 40% नौकरियां AI की वजह से ख़तरे में पड़ सकती हैं.
ऑल्टमैन को इस साल का Axel Springer Award मिला है, जिसके बाद उन्होंने AI के भविष्य और इंसानों की भूमिका पर खुलकर बातचीत की. उनका मानना है कि आज की तेज़ रफ़्तार टेक्नोलॉजी आने वाले सालों में मानवता के लिए ऐसे नतीजे लेकर आएगी जिसकी कल्पना तक मुश्किल है.
GPT-5 और AI की तेज़ छलांग
ऑल्टमैन ने कहा, “कई मायनों में GPT-5 पहले से ही मुझसे और कई अन्य लोगों से ज़्यादा स्मार्ट है. हालांकि अभी भी कई ऐसे आसान काम हैं जो इंसान बेहतर करते हैं, लेकिन AI का सुधार बेहद तेज़ी से हो रहा है.” उनका मानना है कि जल्द ही AI वैज्ञानिक खोजें भी कर सकेगा - ऐसी खोजें जो इंसान शायद अकेले कभी न कर पाए. यही वह मोड़ होगा जब इंसान पहली बार यह मान सकेगा कि मशीनों ने वाकई ‘सुपरइंटेलिजेंस’ हासिल कर लिया है.
उन्होंने साफ़ कहा - “अगर इस दशक के अंत तक यानी 2030 तक हमें ऐसे बेहद सक्षम AI मॉडल नहीं मिले जो इंसानों से परे काम कर सकें, तो मुझे बहुत हैरानी होगी.”
नौकरियों पर मंडराता खतरा
AI और नौकरियों का सवाल हर जगह बहस का विषय बना हुआ है. ऑल्टमैन ने यह स्वीकार किया कि आने वाले समय में 30 से 40% काम AI द्वारा किया जा सकता है. उन्होंने कहा, “सोचना यह चाहिए कि नौकरियां पूरी तरह गायब नहीं होंगी, लेकिन उनके भीतर के कई टास्क ऑटोमेट हो जाएंगे.” मतलब अगर किसी कंपनी में 100 तरह के काम होते हैं तो उनमें से 30-40 काम मशीनें संभाल लेंगी. इससे जहां मास लेऑफ़ (Mass Layoff) का खतरा है, वहीं दूसरी तरफ नई तरह की नौकरियों और स्किल्स की ज़रूरत भी पैदा होगी. ऑल्टमैन ने ज़ोर देकर कहा कि सबसे अहम चीज़ होगी - सीखने की कला (Learning how to learn). क्योंकि जो लोग जल्दी एडजस्ट होंगे, वही इस नई दुनिया में आगे निकल पाएंगे.
आशंका नहीं, उम्मीद भी है
AI के आलोचक अक्सर कहते हैं कि सुपरइंटेलिजेंस इंसानों को अप्रासंगिक (irrelevant) बना देगा. कुछ शोधकर्ता तो इसे इंसानों की ‘चींटी जैसी’ हैसियत तक गिरते देखने का डर जताते हैं. लेकिन ऑल्टमैन इससे सहमत नहीं. उन्होंने अपने सह-संस्थापक इलाया सुटस्केवर का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह चाहते थे कि AGI (Artificial General Intelligence) इंसानों को “प्यार करने वाले माता-पिता” की तरह ट्रीट करे.
ऑल्टमैन का कहना है कि AI न तो इंसानों से नफ़रत करता है, न ही उसे प्यार करने की ज़रूरत है - क्योंकि उसमें खुद की कोई नीयत नहीं होती. असली खतरा यह है कि अगर AI को सही दिशा में प्रशिक्षित (Aligned with Human Values) न किया जाए तो उसके फैसले अनजाने में खतरनाक साबित हो सकते हैं.
गैजेट्स और AI डिवाइस का नया युग
सिर्फ सॉफ़्टवेयर ही नहीं, OpenAI अब हार्डवेयर की ओर भी कदम बढ़ा रहा है. ऑल्टमैन ने खुलासा किया कि कंपनी ने हाल ही में Apple के डिज़ाइनर को हायर किया है और वह एक नई AI डिवाइस फैमिली पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह डिवाइस खूबसूरत भी होगी और हमारी ज़िंदगी को आसान भी बनाएगी. भविष्य में हमें ऐप्स और नोटिफिकेशन के झंझट में नहीं फंसना होगा. AI अपने आप जटिल काम पूरे कर देगा.” उनके मुताबिक यह कंप्यूटिंग की तीसरी बड़ी क्रांति होगी - पहले माउस और कीबोर्ड, फिर टचस्क्रीन, और अब AI-ड्रिवन डिवाइस.
पॉलिटिक्स से पेरेंटिंग तक - हर जगह AI
ऑल्टमैन हाल ही में पिता बने हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे को इस नई दुनिया के लिए लचीलापन (Adaptability), रचनात्मकता (Creativity) और धैर्य (Resilience) जैसी स्किल्स सिखाना चाहेंगे. उनका मानना है कि इंसान की जिज्ञासा और रिश्तों में जुड़ाव की चाहत कभी खत्म नहीं होगी. यही इंसान को इस कहानी का केंद्र बनाए रखेगा. राजनीति पर भी उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में दुनिया के नेता AI पर आधारित फैसलों पर ज़्यादा भरोसा करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ़ किया कि “AI राष्ट्रपति नहीं बनेगा, लोग अभी भी चाहते हैं कि बड़े फ़ैसलों पर आखिरी हस्ताक्षर इंसानों के हों.”
2030 तक कैसी होगी दुनिया?
अगर सैम ऑल्टमैन की भविष्यवाणी सच हुई तो अगले 5-6 सालों में ही दुनिया में ऐसा बदलाव आएगा जो औद्योगिक क्रांति या इंटरनेट क्रांति से भी बड़ा होगा.
- नौकरियों का बड़ा हिस्सा मशीनों के हवाले होगा.
- हेल्थकेयर, साइंस और रिसर्च में नई खोजें होंगी.
- एजुकेशन और स्किल ट्रेनिंग पूरी तरह बदल जाएगी.
- राजनीति, व्यापार और यहां तक कि पर्सनल लाइफ भी AI पर टिकी होगी.
यानी, AI केवल एक टूल नहीं, बल्कि इंसानी सभ्यता का नया सह-नायक बन जाएगा.
सैम ऑल्टमैन का यह बयान सिर्फ एक टेक लीडर की राय नहीं, बल्कि एक चेतावनी और उम्मीद दोनों है. एक तरफ करोड़ों नौकरियों के खतरे की बात है, तो दूसरी तरफ नई संभावनाओं की दुनिया भी. सवाल यही है – क्या हम इस बदलाव के लिए तैयार हैं? 2030 तक का सफ़र छोटा ज़रूर है, लेकिन शायद यही वह दशक होगा जो तय करेगा कि AI इंसानों का सबसे बड़ा दुश्मन साबित होगा या सबसे बड़ा साथी.