AI खा रहा लोगों की नौकरियां, लेकिन सैम ऑल्टमैन क्यों Gen Z को बता रहे 'Luckiest' Kids
AI तेजी से नौकरियां खत्म कर रहा है, लेकिन OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन का कहना है कि Gen Z सबसे भाग्यशाली पीढ़ी है. वे मानते हैं कि AI युवाओं को नई रचनात्मक संभावनाएं देगा, जबकि बुजुर्गों को नए कौशल सीखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, पूर्व गूगल अधिकारी की चेतावनी है कि AI से सामाजिक असमानता बढ़ेगी और मध्य वर्ग खत्म हो सकता है. इस बदलते दौर में AI के साथ तालमेल और इंसानी पहचान बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हमारी दुनिया को तेजी से बदल दिया है. एक ओर जहां AI नई संभावनाओं के दरवाजे खोल रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे नौकरियों पर खतरा बढ़ रहा है. कई लोगों को डर है कि AI उनके रोजगार छीन लेगा और समाज में आर्थिक असमानता और बढ़ेगी. खासकर वे काम जो मशीनों द्वारा बेहतर और तेज़ी से किए जा सकते हैं, उन पर AI का कब्जा बढ़ रहा है. इस बीच, OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने एक आश्चर्यजनक और आशावादी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जो युवा पीढ़ी, यानी जनरेशन Z, आज के दौर में जन्मी है, वे इतिहास की सबसे 'लकी' पीढ़ी हैं.
सैम ऑल्टमैन का मानना है कि AI का युग युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है, जिससे वे अपनी रचनात्मकता को पहले से कहीं ज्यादा आसानी से दुनिया के सामने ला सकते हैं. उन्होंने इस बदलाव को केवल नौकरियों के नुकसान के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे युवाओं के लिए विकास और नए कौशल सीखने का अवसर बताया. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बदलाव की सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों के लिए है जो खुद को नए दौर के हिसाब से ढाल नहीं पा रहे.
AI का बढ़ता प्रभाव और नौकरियों का संकट
पिछले कुछ वर्षों में AI तकनीक ने इतना तेजी से विकास किया है कि कई उद्योगों में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की भूमिका बदलने लगी है. मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सेवा क्षेत्र और यहां तक कि सफेदपोश नौकरियों तक में AI का दखल बढ़ा है. चैटबॉट, ऑटोमेशन, मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों ने काम को तेज, सटीक और सस्ते तरीके से पूरा करना संभव बना दिया है. इसका सीधा असर यह हुआ है कि कई ऐसे काम जो पहले इंसान करते थे, अब मशीनें कर रही हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले सालों में AI की वजह से बहुत सारी नौकरियां समाप्त हो सकती हैं. खासकर उन क्षेत्रों में जहां रूटीन कार्य अधिक होते हैं. यह चिंता कई देशों के नीति निर्माताओं और कर्मचारियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन रही है.
सैम ऑल्टमैन का आशावादी दृष्टिकोण
इस जटिल स्थिति के बीच OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने एक सकारात्मक नजरिया पेश किया है. उन्होंने कहा कि जो युवा पीढ़ी आज हमारे बीच है, यानी जनरेशन Z, वे सबसे 'भाग्यशाली' हैं. उनका तर्क है कि AI का दौर युवाओं के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रहा है. युवा तेजी से नई तकनीकों को सीखते हैं, उन्हें अपनाते हैं और अपने हुनर को नए स्तर तक पहुंचाते हैं.
सैम ऑल्टमैन ने एक पॉडकास्ट में कहा, “अगर मैं 22 साल का होता, तो मैं खुद को इतिहास का सबसे भाग्यशाली बच्चा समझता.” उन्होंने बताया कि AI की वजह से कुछ नौकरियां खत्म हो सकती हैं, लेकिन यह हमेशा से होता आया है. लोग नए बदलाव के अनुसार खुद को ढालते आए हैं. लेकिन उनका चिंता का विषय उन बड़े बुजुर्गों की है, जो खुद को नए कौशल के अनुरूप नहीं बना पाते.
युवा पीढ़ी को मिलेंगे नए अवसर
AI युवाओं के लिए क्रीएटिविटी को बढ़ावा देने वाला एक उपकरण बनकर उभरा है. इसके जरिए वे अपनी कल्पनाओं को तेज़ी से हकीकत में बदल सकते हैं. नए आइडिया, नए व्यवसाय, और नई टेक्नोलॉजी को समझना और उनका उपयोग करना उनके लिए आसान होता जा रहा है. AI की मदद से वे पुराने बंधनों से बाहर निकलकर नई दिशाएं खोज रहे हैं.
AI से जुड़ी आशंकाएं भी गंभीर हैं
जहां एक ओर सैम ऑल्टमैन का नजरिया सकारात्मक है, वहीं Google के पूर्व शीर्ष अधिकारी Mo Gawdat ने AI को लेकर चेतावनी दी है. उनका कहना है कि AI अगले कुछ वर्षों में सफेदपोश नौकरियों को समाप्त कर देगा, जिनमें सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, CEOs और कंटेंट क्रिएटर्स भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यह सामाजिक अशांति और आर्थिक असमानता को बढ़ावा देगा.
Mo Gawdat के मुताबिक, “अगले 15 साल बहुत मुश्किल होंगे. AI के कारण मध्य वर्ग लगभग खत्म हो जाएगा. केवल शीर्ष 0.1% ही बचेंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि AGI (Artificial General Intelligence) हर क्षेत्र में इंसानों से बेहतर होगा, यहां तक कि नेतृत्व कार्यों में भी.
AI और इंसानी आवाज़ में फर्क
AI के बढ़ते प्रभाव के साथ एक नई समस्या भी उभर रही है - इंसानी असलियत का खत्म होना. आज बहुत से लोग अपनी रचनात्मकता के बजाय AI पर भरोसा कर रहे हैं, जो उनकी आवाज़ और शैली को प्रभावित कर रहा है. ऑनलाइन मंचों पर लोगों ने AI-जनित लेखन की विशिष्टताओं को पहचानना शुरू कर दिया है.
शिक्षा प्रणाली और AI
स्कूल और शैक्षणिक संस्थान अभी भी पारंपरिक लेखन कौशल और भाषा शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लेकिन AI के युग में इसे बदलने की जरूरत है. छात्रों को यह सिखाना होगा कि कैसे AI के साथ मिलकर काम करें, लेकिन अपनी खुद की शैली और असली आवाज़ को कैसे बचाए रखें.
आज की दुनिया में ‘AI फ्लुएंसी’ यानी AI के साथ बातचीत करने और सही प्रश्न पूछने की कला, अंग्रेज़ी भाषा के समान या उससे भी अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है. वे लोग जो AI को समझकर उससे बेहतर आउटपुट निकाल पाते हैं, वे कामकाज, शिक्षा और रचनात्मक क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं.