अब बिना नोटिस नहीं चलेगा बुलडोजर, 15 दिन का मिलेगा मौका... अतिक्रमण पर उत्तराखंड सरकार ने जारी की नई SOP- जानें खास बातें
उत्तराखंड सरकार ने अवैध अतिक्रमण हटाने की नई SOP जारी की है, जिसके तहत कार्रवाई से पहले 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होगा. नोटिस डिजिटल पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा और संबंधित व्यक्ति को इसकी जानकारी दी जाएगी. तय समय में जवाब या सबूत पेश न करने पर अतिक्रमण हटाया जाएगा. यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और मनमानी कार्रवाई रोकने के लिए उठाया गया है.

Uttarakhand Encroachment SOP 2025: उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को नियंत्रित करने के लिए नई SOP जारी की है, जिसमें अब अतिक्रमण हटाने से पहले 15 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य होगा. यह आदेश शहरी विकास विभाग के अपर सचिव संतोष बड़ोनी की तरफ से जारी किया गया है.
नए प्रावधानों के अनुसार, स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नोटिस की प्रति अतिक्रमणकारी को पंजीकृत डाक (registered post) के माध्यम से भेजी जाए एवं उसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड किया जाए. इसके अलावा, ईमेल द्वारा जिला मजिस्ट्रेट व जिला अधिकारी कार्यालय समेत अन्य सम्बद्ध अधिकारियों को सूचना भेजी जानी चाहिए.
नोटिस जारी होने के बाद तैयार होगी निरीक्षण रिपोर्ट
नोटिस जारी होने के बाद एक निरीक्षण रिपोर्ट तैयार होगी जिसमें पुलिस व सरकारी कर्मचारी शामिल होंगे और कार्रवाई के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी. यदि अतिक्रमणकारी नोटिस पर आपत्ति जताता है, तो सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाएगा और संबंधित विवरण रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. अपील प्रक्रिया पूरी होने के बाद यदि अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो नियत अवधि समाप्त होते ही कार्रवाई की जाएगी.
तीन महीने के अंदर तैयार किया जाएगा एक डिजिटल पोर्टल
तकनीकी पहलुओं में जैसा कि सरकार ने बताया है, प्रत्येक शहर में तीन महीने के अंदर एक डिजिटल पोर्टल तैयार किया जाएगा जिसमें नोटिस जारी करने, उसे प्राप्त करने और आदेशों की स्थिति की पूरी जानकारी रिकॉर्ड की जाएगी. जिला अधिकारी को भी एक नोडल अधिकारी नामित करना होगा जो इस प्रक्रिया का समन्वय करेगा.
गलत तरीके से कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को चुकानी होगी नुकसान की भरपाई
एक अन्य महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि यदि किसी अधिकारी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी की संपत्ति को गलत तरीके से ध्वस्त किया है तो उस अधिकारी को निजी खर्च से नुकसान की भरपाई करनी होगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नया SOP अवैध अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करेगा.
इस कदम से उत्तराखंड में अतिक्रमण पूरी तरह से अनियंत्रित नहीं होंगे, बल्कि लोगों को सुनने और न्याय मिलने का अवसर मिलेगा. सरकारी प्रणाली में जवाबदेही बढ़ेगी और अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई अधिक न्यायपूर्ण और समान बनेगी.