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छुट्टी मनाने नेपाल गया था कपल. हिंसा में हुई महिला की मौत, लाश लाने को दर-दर भटक रहा पति, दूतावास क्यों नहीं कर रहा मदद

नेपाल घूमने गए एक भारतीय कपल की खुशियां कुछ ही दिनों में मातम में बदल गईं. छुट्टियां मनाने निकली पत्नी हिंसा की चपेट में आ गई और उसकी मौत हो गई. अब बेबस पति अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर भारत लाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है.

छुट्टी मनाने नेपाल गया था कपल. हिंसा में हुई महिला की मौत, लाश लाने को दर-दर भटक रहा पति, दूतावास क्यों नहीं कर रहा मदद
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( Image Source:  AI chatgpt )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Published on: 11 Sept 2025 1:38 PM

नेपाल में भड़की हिंसा का असर सिर्फ वहां तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज भारत के कई इलाकों तक सुनाई दी. जहां सीमा से सटे कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है. लेकिन इन सबके बीच एक दर्दनाक कहानी सामने आई है, जिसने हर किसी को झकझोर दिया.

देहरादून के एक ट्रांसपोर्ट कारोबारी की पत्नी की मौत काठमांडू में हिंसा के दौरान हो गई. अब कारोबारी अपनी पत्नी का शव भारत लाने के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन मदद कहीं से नहीं मिल रही.

छुट्टियां मनाने गए थे नेपाल

देहरादून के रहने वाले कारोबारी रामबीर सिंह गोला अपनी पत्नी राजेश गोला के साथ नेपाल घूमने गए थे. दोनों ने सोचा था कि यह सफर यादगार बनेगा, लेकिन यह यात्रा जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द बन गई. वे नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक होटल में ठहरे हुए थे. उसी दौरान शहर में अचानक हिंसा भड़क उठी. उपद्रवियों ने होटल के बाहर और अंदर आगजनी कर दी. चारों ओर अफरातफरी मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे.

भगदड़ में चौथी मंजिल से गिरी महिला

रामबीर और उनकी पत्नी भी इस भगदड़ में फंस गए. अफरा-तफरी में उनकी पत्नी चौथी मंजिल से नीचे गिर गईं. भगदड़ इतनी भयावह थी कि पति को पता ही नहीं चला कि उनकी पत्नी कहां गई. जब शांति लौटी, तब उन्होंने पत्नी को ढूंढना शुरू किया. कई घंटों की बेचैनी और तलाश के बाद उन्हें पता चला कि राजेश अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उन्हें वह खबर मिली, जिसने उनकी दुनिया उजाड़ दी. उनकी पत्नी की मौत हो चुकी थी.

दूतावास ने भी नहीं दी मदद

पत्नी की मौत की खबर से टूटे रामबीर ने सबसे पहले अपने परिजनों को फोन किया. रोते-बिलखते उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी उजड़ गई है. इसके बाद परिवार ने दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास से संपर्क किया ताकि पत्नी का शव भारत लाया जा सके. लेकिन यहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी. परिजनों का आरोप है कि दूतावास ने मदद करने में असमर्थता जताई. अब रामबीर अकेले काठमांडू में संघर्ष कर रहे हैं और शव को भारत लाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.

इंतजार में परिजन, चिंता में डूबा परिवार

रामबीर के घरवालों का कहना है कि नेपाली अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जैसे ही मौका मिलेगा, सुरक्षा बलों से बात कर शव को बॉर्डर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा. लेकिन फिलहाल परिवार असमंजस और चिंता में डूबा है. परिजनों को सबसे ज्यादा चिंता रामबीर की हालत को लेकर है, क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी को खोने का सदमा झेला है और अब अकेले विदेश में न्याय और मदद के लिए जूझ रहे हैं.

उत्तराखंड न्‍यूज
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