मुस्लिम बच्चों ने हिंदू छात्रों को पानी में मिलाकर दिया पेशाब, बच्चों की हुई तबियत खराब, परिवार वालों का आरोप- मौलाना का हो सकता है हाथ
यह घटना उत्तर प्रदेश के बागपत के ढिकौली गांव के एक प्राथमिक विद्यालय की है, जहां बच्चों के बीच का एक विवाद अचानक गंभीर साम्प्रदायिक तनाव में बदल गया. आरोप है कि स्कूल में पढ़ने वाले कुछ मुस्लिम छात्रों ने लंच ब्रेक के दौरान हिंदू छात्रों की पानी की बोतल में पेशाब मिलाकर दे दिया, जिसे पीने के बाद बच्चों की तबियत बिगड़ गई.
घटना उत्तर प्रदेश के बागपत के ढिकौली गांव के एक प्राथमिक विद्यालय से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां बच्चों के बीच का एक विवाद अचानक गंभीर साम्प्रदायिक तनाव में बदल गया. आरोप है कि स्कूल में पढ़ने वाले कुछ मुस्लिम छात्रों ने लंच ब्रेक के दौरान हिंदू छात्रों की पानी की बोतल में पेशाब मिलाकर दे दिया.
पानी पीने के बाद बच्चों की तबियत बिगड़ गई. घटना सामने आते ही अभिभावकों में भारी आक्रोश फैल गया और स्कूल परिसर में हंगामे की स्थिति बन गई.
पानी में मिलाया पेशाब
गांव के निवासी रवि कुमार के तीन बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा और दो बेटियां है. बच्चे कक्षा एक और कक्षा दो में पढ़ते हैं. रवि कुमार का कहना है कि गुरुवार को लंच ब्रेक के दौरान जब उनके बच्चे बाहर खेल रहे थे, तभी कुछ मुस्लिम समुदाय के बच्चों ने उनकी बोतल में पेशाब मिलाई. मासूम बच्चों ने अनजाने में वो पानी पी लिया, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई. घर पहुंचने पर बच्चों ने माता-पिता को पूरी बात बताई.
परिवारों का गुस्सा और स्कूल में हंगामा
अगली सुबह पीड़ित बच्चों के परिजन स्कूल पहुंचे और प्रिंसिपल को शिकायत की. स्कूल प्रशासन ने तुरंत जांच शुरू की और पुलिस को सूचना दी. हालांकि, मामला यहीं शांत नहीं हुआ. सुबह-सुबह कई ग्रामीण स्कूल में पहुंच गए और जोरदार हंगामा करने लगे. उनका कहना था कि इतनी छोटी उम्र के बच्चे अपने आप ऐसा नहीं कर सकते, उनके पीछे किसी मौलवी या हाफिज का हाथ हो सकता है.
पुलिस ने की जांच शुरू
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्राधिकारी रोहन चौरसिया और थाना प्रभारी अतर सिंह मौके पर पहुंचे. पुलिस ने बड़ी मुश्किल से स्थिति को संभाला और नाराज परिजनों को शांत कराया. रवि कुमार ने पुलिस को तहरीर दी है. थाना प्रभारी अतर सिंह ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और तथ्य सामने आने के बाद ही कार्रवाई तय होगी.
गांव में फैली चिंता और डर
इस घटना के बाद गांव के लोग बेचैन हैं. अभिभावकों के मन में डर बैठ गया है कि कहीं बच्चों के बीच धर्म के नाम पर नफरत की दीवारें खड़ी न हो जाएं. सभी लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सच जल्द सामने आए और मासूमियत फिर से किताबों और खेल के मैदानों में लौट सके.





