कौन हैं मनोज गौड़, जिन्हें ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किया गिरफ्तार, 12000 करोड़ रुपये का ऐसे किया हेरफेर
ईडी की जांच जयप्रकाश ग्रुप के खिलाफ दर्ज उन मामलों पर आधारित है, जिन्हें दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दर्ज किया था. इन मामलों में जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स प्रोजेक्ट के हजारों होमबायर्स ने शिकायत की थी कि कंपनी ने उनसे घर बनाने के नाम पर बड़ी रकम वसूली, लेकिन प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए.
देश के रियल एस्टेट जगत में एक बड़ा नाम और कभी सफल कारोबारी साम्राज्य का प्रतीक रहे मनोज गौड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं. लेकिन इस बार वजह किसी नए प्रोजेक्ट की नहीं बल्कि करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस की है. ईडी ने गुरुवार को मनोज गौड़ को गिरफ्तार किया है.
उन पर आरोप है कि उन्होंने हजारों होमबायर्स से फ्लैट कंस्ट्रक्शन के नाम पर जुटाई गई रकम को दूसरी कंपनियों और ट्रस्टों में ट्रांसफर कर करोड़ों रुपये का हेरफेर किया. चलिए ऐसे में जानते हैं कौन हैं मनोज गौड़.
क्या है मामला?
ईडी की जांच जयप्रकाश ग्रुप के खिलाफ दर्ज उन मामलों पर आधारित है, जिन्हें दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दर्ज किया था. इन मामलों में जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स प्रोजेक्ट के हजारों होमबायर्स ने शिकायत की थी कि कंपनी ने उनसे घर बनाने के नाम पर बड़ी रकम वसूली, लेकिन प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए. ईडी के अनुसार, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) ने ग्राहकों से करीब 14,599 करोड़ रुपये लिए थे. लेकिन यह पैसा निर्माण में लगाने के बजाय दूसरी जगहों पर खर्च कर दिया गया, जिससे हजारों लोगों का घर का सपना अधूरा रह गया.
फंड्स का खेल और मनोज गौड़ का रोल
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि जेपी ग्रुप ने होमबायर्स से जुटाई गई रकम को अपने ही अन्य संस्थानों और ट्रस्टों में ट्रांसफर कर दिया. इनमें जेपी सेवा संस्थान (JSS), जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड (JHL) और जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड (JSIL) जैसी कंपनियां शामिल हैं. ईडी का कहना है कि मनोज गौर, जो जेएसएस के मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं, ने इस पूरे फंड ट्रांसफर की योजना खुद तैयार की और उसे अमल में लाया. जांच एजेंसी के अनुसार, उन्होंने कई जटिल लेन-देन के ज़रिए पैसे को अलग-अलग जगहों पर घुमाया, जिससे कंपनी में निवेश करने वाले असली खरीदारों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.
मई में हुई थी बड़ी छापेमारी
इससे पहले 23 मई 2025 को ईडी ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) के दफ्तरों सहित 15 जगहों पर छापेमारी की थी. जांच एजेंसी का कहना है कि मनोज गौर इस पूरे वित्तीय घोटाले के केंद्र में थे. कभी रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसे और बड़े प्रोजेक्ट्स का चेहरा माने जाने वाले मनोज गौर का नाम अब मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में घिर चुका है. अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि ईडी की आगे की जांच में इस मामले से जुड़े और कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं.
कौन है मनोज गौड़?
मनोज गौड़ जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और सीईओ, तथा जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (JIL) के पूर्व चेयरमैन और एमडी रह चुके हैं. उनकी गिरफ्तारी ने न केवल जेपी ग्रुप के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि हजारों होमबायर्स की उम्मीदों को भी एक बार फिर झकझोर दिया है.





