बहराइच में मदरसा-शौचालय में 40 छात्राएं बंद मिलीं, दिल्ली से यूपी तक बाबाओं का बवाल; पूर्व DGP बोले - सब पुलिस करवा रही है!
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पहलवारा गांव के एक अवैध मदरसे पर छापा मारकर 40 नाबालिग छात्राओं (उम्र 9-14 साल) को बचाया गया, जिन्हें कथित तौर पर शिक्षा के नाम पर शौचालय में बंद किया गया था. यह छापा एसडीएम की टीम ने मारा, जिससे मदरसे की गैर-कानूनी गतिविधियां उजागर हुईं, जबकि स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठे. जांच में पता चला कि यह मदरसा तीन साल से अवैध रूप से चल रहा था और इसका कोई पंजीकरण नहीं था. इस घटना ने क्षेत्र में अवैध शैक्षणिक संस्थानों में पुलिस मिलीभगत और निगरानी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

Bahraich madrasa scandal 2025: अभी देश के लोगों के जेहन से यूपी में बलरामपुर के काम-पिपासु छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन और उनकी रखैल नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के कुकर्मों की कहानी, कानून की किताबों में बंद भी नहीं हो पाई थी. तब तक यूपी के ही बहराइच जिले में एक ऐसे ही दुस्साहसिक कांड का बबाल उबाल मारने लगा. बहराइच जिले की तहसील पयागपुर स्थित पहालवारा गांव में मारे गए छापे में मदरसे से 40 बच्चियां बरामद हो गईं. सभी बरामद बच्चियों के तालीम (शिक्षा) देने के नाम पर मदरसा संचालक ने बुलाया था. गैर-कानूनी रुप से चल रहे मदरसे का भंडाफोड़ भी बहराइच पुलिस की बजाय इलाका एसडीएम द्वारा किया गया है. मतलब, यहां भी जिला पुलिस कान में तेल डाले सोती रही और मौलवी गैर-कानूनी मदरसे में नाबालिग बच्चियों को बंधकर बनाकर ‘मनमर्जी’ करता रहा.
बरामद छात्राओं बच्चियों की उम्र 9से 14 साल के बीच बताई जाती है. इस बारे में गुरुवार को स्टेट मिरर हिंदी ने बहराइच के जिला पुलिस कप्तान (पुलिस अधीक्षक) राम नारायण सिंह से उनके कार्यालय में संपर्क करने की कोशिश की. जवाब मिला कि कप्तान साहब की बजाय हम (स्टेट मिरर) उनके प्रवक्ता से बात करें. प्रवक्ता को कई बार मोबाइल कॉल किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्हें टेक्स्ट संदेश भी भेजा गया, लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया.
“इस अवैध-मदरसे का भांडा तो एसडीएम ने फोड़ा है, आप उन्हीं से पूछिए”
बहराइच जिला पुलिस के सीमा-क्षेत्र में लंबे समय से संचालित गैर-कानूनी मदरसे की भनक जिला पुलिस के स्थानीय खुफिया तंत्र (एलआईयू), जिला पुलिस कप्तान की क्राइम ब्रांच, जिला स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और थाना-पुलिस को कैसे नहीं लगी और कैसे इलाका एसडीएम (सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट) को इस गैर-कानूनी मदरसे में 40 नाबालिग छात्राओं को शौचालय में बंद करके रखे जाने की भनक लग गई? इन तमाम सवालों के जवाब में बहराइच जिले के अपर पुलिस अधीक्षक रामानंद प्रसाद कुशवाह से स्टेट मिरर हिंदी ने बात की. उन्होंने जिला पुलिस की बलाय टालने के अंदाज में कहा, “हमने (बहराइच जिला पुलिस) इस छापे में कोई भूमिका नहीं निभाई है. इस अवैध-मदरसे का भांडा तो एसडीएम ने फोड़ा है. आप उन्हीं से पूछिए.” ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्या यह मदरसा पुलिस की मिली-भगत के बिना चल सकता है?
कटघरे में बहराइच जिला पुलिस अफसरान और इलाका थाना पुलिस
मदरसा चूंकि इलाका थाना और जिला पुलिस की मिली-भगत से चल रहा था. इसलिए मदरसे का भंडाफोड़ भी जिला या थाना पुलिस की बजाय एसडीएम इलाका ने किया. अब जब अवैध मदरसा पकड़ ही लिया गया है तब फिर भला ऐसे में थाना और जिला पुलिस किस मुंह से और मीडिया को क्या जवाब दे? क्योंकि यह न सिर्फ अवैध मदरसे का भांडा फूटा है, अपितु एसडीएम की इस गजब की छापा मार कार्रवाई ने बहराइच जिला पुलिस अफसरान और इलाका थाना पुलिस को कटघरे में खड़ा करके नंगा कर दिया है. इलाके के लोगों का मानना है कि इतना बड़ा गैर-कानूनी मदरसा बिना स्थानीय थाना पुलिस और जिला पुलिस अफसरान की मिली-भगत के संचालित हो ही नहीं सकता है.
तीन मंजिला इमारत पर उप जिलाधिकारी की टीम ने मारा छापा
घटनाक्रम के मुताबिक, पयागपुर तहसील के गांव पहलवारा में तीन मंजिला इमारत के भीतर जब उप जिलाधिकारी अश्विनी कुमार पांडे की टीम ने छापा मारा तो वहां भगदड़ मच गई. एसडीएम के मुताबिक, “छापे की कार्रवाई के दौरान मदरसा संचालक ने हमें घर की ऊपरी मंजिल पर जाने से रोक दिया. जब हम फिर भी नहीं रुके और जबरदस्ती मकान-मदरसा की ऊपरी मंजिल पर गए तो वहां, शौचालय के भीतर 8-9 साल से लेकर 13-14 साल तक की 40 छात्राएं हमें वहां बंद मिलीं. उन बच्चियों के बारे में पूछा गया, तो मौके पर मिली अवैध मदरसे की शिक्षिका तकसीम फातिमा ने बताया कि वे बच्चियां अचानक पड़े छापे से घबराकर शौचालय में जाकर छिप गईं थीं.”
मदरसा को तालाबंद करने का आदेश
जबकि वहीं दूसरी ओर छापा मारने वाली टीम का दावा है कि उन लड़कियों को अवैध रूप से गैर-कानूनी मदरसे में बंधक बनाकर रखा गया था. छापे ने मदरसा संचालकों की काली करतूतों को उजाकर कर दिया है. छापे के दौरान मौजूद रहे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद खालिद के मुताबिक, “मामले की जांच शुरू कर दी गई है. अभी तक मदरसा संचालक ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिखा पाया है जिससे यह मदरसा कानूनी या वैध साबित हो सके. फिलहाल जांच पूरी होने तक मदरसा को तालाबंद करने का आदेश दिया गया है.”
सीएम योगी के आदेश का दिख रहा असर
यहां जिक्र करना जरूरी है कि इसी साल के मध्य में बलरामपुर में छांगुर बाबा और उसकी रखैल नीतू उर्फ नसरीन द्वारा जिले में चलाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के धर्मांतरण अड्डे को उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड टीम ने तबाह कर दिया था. उसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जैसे ही भनक लगी कि इस तरह के अवैध मदरसों को चलवाने में इलाका और जिला पुलिस की अहम भूमिका रहती है, तो उन्होंने अन्य संबंधित टीमों को भी इस तरह के राज्य में चल रहे अवैध मदरसों की जड़ें खोदने को कहा. बहराइच में अवैध मदरसा पकड़े जाने की कार्रवाई उसी आदेश का प्रतिफल माना जा रहा है.
अब तक की जांच में पता चला है कि यह मदरसा बीते 3 साल से चल रहा था. इसका पंजीकरण नहीं हुआ था. साल 2023 की एक सर्वे रिपोर्ट में जिले में करीब 495 अवैध मदरसो की सूची बनी थी. उस सर्वे में भी किसी तरह से यह मदरसा छूट गया था. कैसे छूटा इसकी भी जांच शुरू करा दी गई है. संभव है कि सर्वे करने वाली टीम से इन मदरसा संचालकों की कोई सेटिंग हो गई हो.
पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने क्या कहा?
इस बारे में 1974 बैच यूपी कैडर के दबंग आईपीएस और राज्य के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने कहा, “मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह मदरसा भी बहराइच पुलिस और इलाका थाना पुलिस मिल-बांटकर चलवा रही होगी. मेरे दावे की पुष्टि के लिए सूबे के चीफ मिनिस्टर और राज्य के पुलिस चीफ चाहें तो ईमानदार अफसरों की टीम से जांच भी करा लें. इस काले काम में भी बहराइच पुलिस शामिल मिलेगी. अगर पुलिस शामिल नहीं थी तब फिर पुलिस की बजाय इस अवैध मदरसे का भांडा सोचिए भला इलाका एसडीएम को फोड़ने की क्या जरूरत थी? पता तो इस बारे में पुलिस को बहुत पहले से ही सब कुछ होगा, मगर जहां पुलिस के आगे नोट-दाम रिश्वत की रोटी का टुकड़ा पड़ा होगा, वह इन अवैध मदरसा संचालकों के साथ मिल-बांटकर खाने पीने लगी होगी. वह तो भला हो कि इलाका एसडीएम और उनकी टीम भी पुलिस या अवैध मदरसा संचालक के साथ नहीं मिले रहे होंगे. वरना यह अवैध मदरसा अब भी नहीं पकड़ा जाता और न मालूम फिर ऐसे में कब तक मासूम बच्चियां मदरसों के भीतर बंद रहकर बर्बाद होती रहतीं.”
स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ कई छात्राओं ने दर्ज कराया मुकदमा
यहां बताना जरूरी है कि बीते कुछ महीनों में ऐसे कुछ बवाली संदिग्ध बाबाओं, मुल्ला-मौलवियों की देश में बाढ़ सी आई हुई है. अभी दो तीन दिन से देश की राजधानी में ही एक बाबा जी को लेकर तूफान आया हुआ है. ओडिशा से वास्ता रखने वाले इस बाबा का नाम स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती है. पहले इसे लोग डॉ. पार्थसारथी के नाम से जानते थे. अब इसके खिलाफ कई छात्राओं ने मुकदमा दर्ज कराया तो बाबा फरार हो गया. इसके खिलाफ साल 2009 में भी धोखाधड़ी और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ था. उसके बाद साल 2016 में इसके खिलाफ एक महिला ने दिल्ली के वसंतकुज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. अब इसके ऊपर 17 छात्राओं ने एक साथ मुकदमा दर्ज कराया तो दिल्ली की हुकूमत भी हिल गई.
अब तक 32 छात्राओं के बयान हुए दर्ज
शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान ने भी इस कामुक और बदनाम बाबा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. अब तक इसके खिलाफ पुलिस में 32 छात्राओं के बयान दर्ज हो चुके हैं. इनमें से 17 छात्राओं ने आरोप लगाया है कि बाबा उनके साथ बेहद भद्दी, अश्लील भाषा का इस्तेमाल करता था. साथ ही वह लड़कियों के शरीर पर भी अशोभनीय अश्लील कमेंट करता था. वह लड़कियों को अकेले में मिलने के लिए भी बुलाने को आतुर रहता था.