EXCLUSIVE: 'छांगुर बाबा धर्मांतरण कांड में असली मुजरिम जिले के पूर्व पुलिस अफसर और DM हैं, योगी सबको बर्खास्त कर जेल भेजेंगे!'
छांगुर बाबा धर्मांतरण कांड में अब पुलिस और प्रशासनिक अफसरों पर शिकंजा कसने की तैयारी है. यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने खुलासा किया कि यह नेटवर्क सरकारी मिलीभगत के बिना असंभव था. उन्होंने कहा, कई पूर्व पुलिस अधिकारी, DM, तहसीलदार और प्रशासनिक अधिकारी इस अवैध साम्राज्य में हिस्सेदार रहे होंगे. योगी सरकार पर भरोसा जताते हुए उन्होंने दावा किया कि जांच के बाद दोषी अफसरों को निलंबित कर गिरफ्तार किया जाएगा और उनकी अवैध कमाई जब्त होगी.

''उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में मिले धर्मांतरण के अंतरराष्ट्रीय अड्डा चलाने के लिए छांगुर बाबा और उसकी रखैल नीतू उर्फ नसरीन जितने दोषी हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़े मुजरिम, इसका यह साम्राज्य अपनी निगरानी में खड़ा करवाने वाले थाने के एसएचओ-इंस्पेक्टर से लेकर हवलदार-सिपाही तक जिम्मेदार हैं. इस धर्मांतरण अड्डे का इतना बड़ा अंपायर-साम्राज्य खड़ा करवाने में पुलिस सीओ, डिप्टी एसपी, एडिश्नल एसपी, एसपी-एसएसपी, तहसीलदार, जिलाधिकारी (डीएम) सब बराबर के हिस्सेदार हैं. यह मैं उन सबकी बात कर रहा हूं जो बलरामपुर में उत्तर प्रदेश पुलिस के ही आतंकवाद निरोधक दस्ते द्वारा भंडाफोड़ किए जाने से पहले तक यहां तैनात रहकर और मलाई खा-चाटकर जा चुके हैं.''
''इन सबके खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की तैयारियां जोर-शोर पर चलने की सुगबुगाहट बाहर आने लगी है. अब छांगुर बाबा और उसकी रखैल नीतू उर्फ नसरीन के बाद इन्हीं सबको गिरफ्तार-बर्खास्त करके जेल में भेजे जाने का वक्त आ गया है. वक्त क्या आ गया है, देखते रहिए आज नहीं तो कल इन सबको, योगी आदित्यनाथ की सख्त-मिजाज हुकूमत नौकरी से बाहर करेगी. इनकी काली-कमाई का खजाना इनसे छीनकर सरकारी खजाना भरेगी. ऊपर से इन्हें जेल में ठूंसेगी सो तो ठूंसेगी ही. इन्हें सरकारी नौकरियों से भी बर्खास्त किए जाने की बहुत उम्मीद है मुझे. और ऐसा ही होना भी चाहिए.”
छांगुर बाबा के खिलाफ मुंह खोलने की सजा
यह तमाम बेबाक-कड़वी मगर सच बातें बेखौफ होकर बयान की हैं उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने. 1974 बैच के दबंग आईपीएस अधिकारी और भारत में उत्तर प्रदेश पुलिस की सबसे पहली बने स्पेशल टास्क फोर्स के आईजी-एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे डॉ. विक्रम सिंह स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम से मंगलवार को नई दिल्ली में विशेष बात कर रहे थे. उन्होंने कहा, “छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीन से देशद्रोही बिना सरकारी तंत्र की मिली-भगत के अपना साम्राज्य खड़ा कर ही नहीं सकते हैं. सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि जब कोई पीड़ित इसी मास्टरमाइंड छांगुर बाबा के खिलाफ थाने-चौकी एसपी एसएसपी, डीएम के दफ्तर में कभी शिकायत देने पहुंचता था, तब उसके खिलाफ ही लोकल थाना पुलिस मुकदमा ठोंक कर उसे जेल भेज देती थी.”
पुलिस-प्रशासन की आंखों पर ‘ब्लैक-मनी’ का ‘परदा’
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बोले, “नहीं ऐसा कैसे हो सकता है कि थाना-पुलिस-डीएम-एडीएम तहसीलदार सब इतने भोदूं-भोले थे कि, छांगुर बाबा धर्मांतरण का अंतरराष्ट्रीय अड्डा उनकी नाक के नीचे जमाता रहा और इन सबको भनक तक नहीं लगी. बलरामपुर पुलिस और प्रशासन ने मिलकर रबड़ी खाई है इस अड्डे से होने वाली अवैध कमाई की. अब इन्हीं से वसूली भी जाएगी. योगी आदित्यनाथ की हुकूमत इन सबको देखिए जल्दी ही जांच के बाद ठिकाने लगाने में संकोच नहीं करेगी. हां, सूबे में अगर कोई और मुख्यमंत्री होता तो मैं यह बात नहीं कहता कि, सरकार और सरकारी अधिकारी छांगुर बाबा के दोस्त बनने वाले अफसरों को कानूनी शिकंजे में घेरेंगे. क्योंकि अधिकांश ऐसे मामलो में हर सरकारी अफसर अपने फंसे हुए सरकारी साथी को बचाने की ही पुरजोश कोशिशें करता दिखाई-सुनाई देता रहा है. यह मगर योगी आदित्यनाथ की हुकूमत में तो संभव नहीं है. यह सब दोषी जांच रिपोर्ट आने के बाद सस्पेंड, गिरफ्तार और फिर जेल भी जाएंगे. थोड़ा इंतजार कीजिए. क्योंकि इसकी जांच पुलिस, ईडी व अन्य कई एजेंसियां मिलकर कर रही हैं. इसलिए जांच लंबी चलेगी और उसमें वक्त भी लगेगा. जो अफसर अब फसेंगे इस कांड में, छांगुर बाबा ने उन सबकी आंखों पर ब्लैक मनी का बुरखा कहिए या चादर डाल दी थी.”
पाई-पाई की वसूली होगी शामिल अफसरों से
बात को आगे बढ़ाते हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा, “दरअसल इस मामले उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस ने खोला है. जरूर उसके पास सीधे कोई शिकायत पहुंची होगी. जब एटीएस ने गंभीरता से गुप्त पड़ताल की. उसके अंदर बैठा खतरनाक छांगुर बाबा और नीतू-नसरीन एटीएस को दिखाई दिए. अगर एटीएस को अपनी ही बलराम पुलिस और जिला प्रशासन बचाना होता तो फिर एटीएस नीतू नसरीन और छांगुर बाबा के बुने इस कदर के मजबूत जाल में हाथ ही क्यों डालती? इस कांड के भंडाफोड़ से साफ हो चुका है कि अब जब छांगुर बाबा और नसरीन पर हाथ डालकर एटीएस इन्हें बाहर खींच ही लाई है, तब फिर ऐसे में बचेंगे तो वह पुलिस अफसर और जिला प्रशासन के अधिकारी भी नहीं, जो यहां बीते 10 साल के समय में तैनात होकर बाबा की ब्लैक मनी का हिस्सा खा-कमाकर जा चुके हैं. अब हुकूमत इन अफसरों की ईंट से ईंट बजा कर, बाबा से कमाई हुई ब्लैक मनी का पाई-पाई वसूलकर, सरकारी खजाने में जमा करेगी. यह मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि इस धर्मांतरण अड्डे का भंडाफोड़ होने से नसरीन-छांगुर बाबा से कहीं ज्यादा नंगे तो पुलिस और बलरामपुर जिला प्रशासन के पूर्व में यहां तैनात रह चुके अफसर होंगे.”
दोषी अफसरों की बर्खास्तगी-गिरफ्तारी की सिफारिश करता
एक सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने कहा, “मैं अगर आज सूबे का पुलिस महानिदेशक होता तो प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर ही, संदेह के घेरे में आए पुलिस अफसरों-कर्मचारियों, डीएम तहसीलदार के खिलाफ सबसे पहले आपराधिक मुकदमा दर्ज करता. उसके बाद अंतिम जांच रिपोर्ट आने पर इन सबको जेल भेजकर नौकरी से बर्खास्तगी की सिफारिश भी हुकूमत से करता. करता क्या, मैं कर भी चुका हूं. जब मैं डीजीपी था तब एक पुलिस अफसर विदेश घूमने गए थे. बिना इजाजत के. वहां से वे कुछ ले आए थे. बाद में जब बात खुली तो उन्हें यूपी पुलिस महकमे से बर्खास्त ही होना पड़ा. छांगुर बाबा नसरीन जैसे देशद्रोहियों की मदद करने वाले सरकारी अफसरों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाने की दृढ़-इच्छाशक्ति की जरूरत होती है सूबे की हुकूमत में. यूपी की मौजूदा योगी आदित्यनाथ की हुकूमत में यह सब करने की कुव्वत है. यह मैं नहीं कह रहा हूं. जमाना जानता है कि ऐसे पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के ऊपर योगी सरकार किस कदर का सरकारी कुर्रा कहूं या फिर चाबुक बेहिचक पूर्व में चलाती रही है.”
पहले पुलिस-प्रशासनिक अफसर दोषी फिर छांगुर
छांगुर बाबा और उसकी रखैल का इतना बड़ा धर्मांतरण का अड्डा खड़ा कराने में छांगुर बाबा को बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी? काफी वक्त भी लगा होगा? पूछने पर उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बोले, “नहीं कोई वक्त नहीं लगता है छांगुर बाबा-नसरीन जैसे मास्टमाइंड देशद्रोहियों को पौधे से दरखत या वट-वृक्ष बनने में. यह कोई अपने बलबूते तो इतने खतरनाक नहीं बन जाते हैं. बस स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन से इनकी सेटिंग-गोटी फिट बैठने भर की देर होती है. जैसे ही लोकल थाना पुलिस और जिला प्रशासन की कमजोर नस छांगुर बाबा जैसों के हाथ में पहुंचती है. यह देश और आमजन के लिए दुश्मन बन जाते हैं. और अक्सर कुछ भ्रष्ट पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी तो छांगुर-बाबा नसरीन जैसे मास्टरमांइडों की तलाश में खुद ही भटकते हैं. ताकि वे छांगुर बाबा के कंधों पर बैठकर खुद भी खा-कमा सकें और छांगुर बाबा जैसे भी ऐसी ही पुलिस-जिला प्रशासन को पाल-पोसकर रखने में ही अपना हित समझते हैं. देश और जनता की चिंता आज किसे पड़ी है?”